तनाव से ताप बढ़ें, झुर्रियां पड़े ।
कारण औऱ निवारण व हर्बल चिकित्सा
तनिक भी तनाव, तन की नाव डुबा देता है ।
तन रूपी घने तने को तनाव तहस-, नहस
कर देता है । तन औऱ वतन सर्वश्रेष्ठ रत्न हैं,
इनको पतन से बचाने के लिए सभी जतन प्रत्यन व यत्न करना जरूरी है ।
तनाव के कारण अनेकानेक,असंख्य हानियाँ-
परेशानियां होती हैं । चेहरे पर होने वाली झुर्रियों के लिये तनाव व
पानी की कमी दोनों जिम्मेदार हैं ।
अमृतम आयुर्वेद के प्रथम प्रवर्तक ऋषि अश्वनी कुमार ने आयुर्वेद संहिता में 40 श्लोक संस्कृत में तनाव के बहुत से कारण-निवारण लिखें हैं ।
विज्ञान का दान
विज्ञान ने विश्व को बहुत खोजे दी हैं ।
एक अमरीकी वैज्ञानिक डी.एस. डेनफर्टे ने
अपने एक शोध के दौरान पाया की अधिक तनावग्रस्त रहने वाले व्यक्ति असमय झुर्रियों के शिकार हो जाते हैं ।
वैज्ञानिकों का मानना है कि
- तनाव के क्षण में हमारे शरीर में एक विशेष प्रकार का खिंचाव होता है, तनाव का खिंचाव या असर चेहरे पर सर्वाधिक होता है ।
- तनाव के समय कभी-कभी मानसिक संतुलन की स्थिति इसी खिंचाव के कारण होती है ।
- इस खिंचाव के वक्त "डिस्केफांन" नामक हार्मोन का स्त्राव बड़ी तेज़ी से होता है, जिससे चेहरे की त्वचा में संकुचन उत्पन्न होता है औऱ आगे चलकर यह झुर्रियों में बदल जाता है ।
कवि-फकीरों की वाणी
कबीर ने लिखा कि
"मेरे कौन तनेगा ताना"
यदि मैने तनाव पाला,तो मेरे काम कौंन करेगा,भजन कैसे हो सकेगा ।
तन, तनाव से तनकर, अकड़ जाता है ।
फिर कवि पद्माकर ने समझाया-
"गात के छुए से तुम्हें, ताप चढ़ि आवेगी"
अर्थात निगेटिव सोच से तनाव,फिर तनाव से ताप,आप को परेशान करता है ।
ताप से तात्पर्य है-
ज्वर,
बुखार,
वायरस,
मलेरिया आदि तन को घेर लेता है ।
औऱ ज्वर शरीर को जर्जर व जीर्ण-शीर्ण बना देता है ।
कविराज भूषण के शब्दों में-
"मानो गगन तम्बू तनों,
ताको विचित्र तनाव है" !
गुरुग्रंथ साहिब सुझाव देते हैं-
तनिक सोचो साथ क्या जाएगा, जीवन की नाव न डूबे,इसलिए तनाव से बचो ।
कैसे बचें तनाव से
आलस्य के रहस्य को समझो, यह कर्महीन कर,मन को कुविचारों से भर देता है । नित्य सुबह दौड़ो,भागो, योग-प्राणायाम, व्यायाम करो, कुछ काम करके व्यस्त रहो, काम के दाम न देखो,
भाव-ताव न कर, भाव को बदलो ।
तनाव से बचने हेतु,'कम खाओ-गम खाओ'।
अमृतम ओषधि
2 चम्मच सुबह खाली पेट तथा रात में 2 चम्मच "
ब्रेन की टेबलेट"सहित गुनगुने दूध के साथ 2 या 3 माह तक लगातार लेवे ।
ब्रेन की माल्ट का निर्माण का तरीका
इसमें बुद्धि-,प्रज्ञा वर्द्धक बूटी जैसे-
ब्राह्मी,
मंडूकपर्णी,
शंखपुष्पी,
जटामांसी,
भृंगराज,
अश्वगंधा,
दालचीनी,
पिप्पली
नागरमोथा,
त्रिकटु,
त्रिसुगन्ध,
देवदारु,
शतपत्री,
आदि तनाव नाशक हर्बल ओषधीओं
का काढ़ा तथा,
सेव मुरब्बा,
हरीतकी मुरब्बा,
आँवला मुरब्बा, एवं
बादाम,
अंजीर,
मुनक्का आदि मेवा और
स्मृतिसागर रस,
स्वर्णभस्म,
रजत भस्म
का समावेश कर 25 से 30 दिन में
निर्मित हो पाता है ।
शरीर यदि रोगों, विकारों तथा विभिन्न वायरस का भय,पेट की तकलीफ,दर्द,कमजोरी,खून की कमी,भूख कम लगना आदि व्याधियों से घिरा है,तो ऐसे 100 तरह के
रोग मिटाने वाला एक ही अद्भुत हर्बल योग
का 2-2 चम्मच 3 बार गुनगुने दूध से 2 या 3 माह तक निरन्तर लेना चाहिये ।
तनाव से केशविकार-
तनाव की वजह से यदि कोई भी केश विकार जैसे-रूसी,खुजली,झड़ना,दो मुहें बाल, टूटना तथा बाल झड़ने की समस्या हो,तो
का सेवन करें
सूखे बालों लगाकर एक दिन बााद
बाल धोवें
2 माह तक इस्तेमाल करें ।
के विषय में विस्तृत
जानकारी जुटाने एवं
आयुर्वेद और आस्था का आधार
अमृतम मासिक पत्रिका
अपना आर्डर online दे सकते हैं ।
औऱ भी लोगों को तनाव मुक्त रखने के लिए
लाइक,शेयर करें ।