टूटते बाल का महाकाल
कुन्तल केयर हर्बल हेयर ऑइल
तुरन्त असरकारक हर्बल ओषधि
"झड़ते बालों को लगाए ताले"
खुश हो जाएंगे, रोने वाले
संस्कृत का सूत्र है-
'लावण्यकेशधारणं'
अर्थात-
लम्बे,घने, काले,चमकदार केश
खूबसूरती,सुंदरता,तथा आकर्षण
बढाने में सहायक है ।
अतः केशवर्द्धक ओषधि के रूप में
प्राचीन तरीके से निर्मित पूर्णतः
केशरक्षक आयुर्वेदिक दवा है ।
केश पतन, केशनाश के क्या कारण हैं
=प्रदूषित खानपान, प्रदूषण,
=तनाव,चिंता,फ़िक्र,क्रोध,
=मानसिक अशान्ति,चिड़चिड़ापन
=अव्यस्थित व अनियमित जीवन शैली,
=भविष्य की चिन्ता, त्रिदोष,
=भूख न लगना,खून की कमी,
=पेट की खराबी, पुरानी कब्ज,
=वायु-विकार,अम्ल पित्त, खट्टी डकारें
=बार-बार बीमार होना,
=जीवनीय शक्ति की कमी, आदि ।
स्त्री रोग
=पीरियड की नियमितता,
=मासिक धर्म के समय दर्द होना,
=खुलकर नहीं होना या
=अधिक समय तक होना,लिकोरिया,
=सफेद पानी (व्हाइट डिस्चार्ज)
=बढ़ती उम्र,ढलती जवानी,
=वायु-विकार, तथा
=पुरुषों में पुरुषार्थ की कमी,
=स्वप्नदोष तथा वीर्य का पतलापन
आदि अनेक
आधि-व्याधि बालों के झड़ने
टूटने का कारण है ।
आधि-व्याधि का क्या अर्थ है
आधि-आयुर्वेद ग्रंथों में सारे
मानसिक व मन तथा आत्मा के विकार "आधि"कहे जाते हैं ।
मन में जब आधि की ऑंधी चलती
है,तो सोचने,समझने,विचारने की शक्ति कमजोर कर देती है ।
ऊर्जा को उड़ा ले जाती है ।
बालों का झड़ना भी
आधि रोग की श्रेणी में आता है ।
व्याधि- अन्य सभी तन व शरीर के
रोगों को व्याधि कहते हैं ।
व्याधि,वात से उत्पन्न होती है । तब,
वात-विकार तन में हाहाकार
मचा देते है ।
वात की लात से शरीर इतना कमजोर हो
जाता है कि हाथ-लात, माथ (सिर)
तथा बात करने में कम्पन्न एवं
पात-पात (अंग-अंग) हिलने लगता है ।
वात, इतना शक्तिहीन,उर्जारहित
कर देता है कि
रात नींद आना मुशिकल हो जाता है ।
क्या कोई उपाय है
हाँ,अमृतम ने पिछले 35 वर्षों के अध्ययन,अनुसंधान,पुराने वेद्यों,
आधुनिक आयुर्वेद चिकित्सकों की
सलाह लेकर विशेष इन वात नाशक
हर्बल ओषधीयों का निर्माण किया है ।
एवं
स्वर्ण भस्म,
बृहत वात चिंतामणि रस (स्वर्ण युक्त)
योगेंद्र रस (स्वर्ण युक्त)
रसराज रस (स्वर्ण युक्त)
आदि बहुमूल्य स्वर्ण-चांदी युक्त
रस-रसायनों का इसमें मिश्रण है ।
हानिरहित गुणकारी दवाओं की
गुणवत्ता के कारण
अमृतम ने ऑनलाइन विश्व व्यापार
में अपना सम्मानपूर्वक स्थान बनाया है ।
अमृतम की स्थापना
अगस्त 2013 में की गई थी
इतने अल्प समय में ऑनलाइन
बिज़नेस द्वारा प्रसिद्धि पाने वाली
हिंदुस्तान की पहली हर्बल कम्पनी है ।
वात नाशक अन्य उत्पाद-
3-ऑर्थोकी पावडर
यूरिक एसिड को कम करने में सहायक है ।
4-ऑर्थोकी पैन ऑयल
दर्द के स्थान पर मालिश करने हेतु
ऑर्थोकी वातनाशक बास्केट
का निर्माण किया है ।
ऑर्थोकी के नाम से प्रचलित ये दवा
88 प्रकार के वात-विकारों,व्याधियों
को जड़ से दूर करने में सहायक है ।
जिनका शरीर वात रोग से
जीर्ण-शीर्ण, चलती-फिरती
लाश हो गया हो, उनके लिए
चमत्कारी रूप से असरकारक है ।
हमारा दावा है कि
3 माह तक ऑर्थोकी के सेवन से
अन्य दवाओं की तलाश नहीं करनी पड़ेगी ।
ये विश्वास दिलाते हैं ।
बच्चों के लिए
बाल-गोपाल का भविष्य
उज्ज्वल बनाने के लिए
बच्चों हेतु बेहतरीन
हर्बल जैम की तरह है ।
केशवर्द्धक हर्बल योग
बालों में बल चाहिए, तो
*-कुन्तल केयर हर्बल हेयर माल्ट
*-कुन्तल केयर हर्बल हेयर ऑयल
*-कुन्तल केयर हर्बल हेयर शेम्पो
*-कुन्तल केयर हर्बल हेयर स्पा
का उपयोग करें ।
ब्रेन तेज करने के लिए
मन को सम्बल,अक्ल वृद्धि में
नारियों की नस-इस में निखार हेतु
एवं
तन में गजब की सुंदरता बढाकर
रग-रग में हलचल मचा देता है ।
रंग-रूप निखारने में सहायक है ।
और
के उपयोग से
"लम्बे,घने,काले बाल हों,
शालीनता भरी चाल हो ।
रेशमी जुल्फे,सरबती ऑंखे
जवानी से भरे हुए गाल हो" ।।
जो एक बार देख ले,तो ये कहने को
मजबूर हो जाएगा और गुनगुनायेगा-
"पल-पल दिल के पास,
तुम रहती हो"।
स्वास्थ्यवर्द्धक फार्मूला-
इन सबका स्थाई इलाज एवं
प्राकृतिक चिकित्सा
अमृतम आयुर्वेद द्वारा ही सम्भव है ।
पुराणों,धार्मिक किताबों में
धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष का साधन,
स्वस्थ शरीर बताया है ।
स्वस्थ शरीर से ही तकदीर बनती है ।
बलवीर बनने व तजवीर तथा नई-नई
खोजें,अनुसंधान, आयुष्मान करने में
स्वस्थ तन-मन सहायक है ।
अतः
आप कहीं न जाएं
आयुर्वेद अपनाएं
आयुर्वेद से फायदे
त्रिदोष अर्थात वात-पित्त-कफ
की विषमता के कारण
विकार,आकार लेते हैं ।
अमृतम आयुर्वेदिक ओषधियाँ
ही मात्र त्रिदोष नाशक हैं । यह
तन को तबाह होने से बचाती हैं ।
दुनिया में केवल आयुर्वेद विभिन्न
विकारों के विनाश के लिए सक्षम हैं ।
त्रिदोष किसे कहते हैं
पिछले 35 वर्षों के निरतंर प्रयास और
प्रवास के फलस्वरूप ज्ञात हुआ कि
हर्बल दवाएँ तन-मन और आत्मा के
दोषों को दूर कर इसे पवित्र बनाती हैं ।
तन-मन-विचारों से विकारों का
हरण हुआ कि हर कोई स्वयं को
श्री चरण में पाता है ।
"काली रहस्य" व "शिव रहस्य"
में एक श्लोक आया है कि
महालक्षमी,धन सम्पदा,
स्वस्थ लोगों के यहां लम्बे समय
तक निवास करती है ।
दतिया पीताम्बरा पीठ के संस्थापक
परमहँस श्री श्री स्वामी जी महाराज
की पुस्तक
"श्री स्वामी कथा सार"
में भी यही लिखा है । श्री स्वामी जी
को आयुर्वेद का गहन ज्ञान था ।
उनके परम् शिष्यों में
ग्वालियर राजघराने की प्रमुख
1- माँ राजमाता सिंधिया,
3- श्री रामनारायण जी शर्मा
संस्थापक वैद्यनाथ तथा
तारापीठ तन्त्रपीठ के संस्थापक
3- गुरुजी श्री रमेश उपाध्याय
आदि और भी अनेक विद्वान,गणमान्य लोग थे ।
दोषकारक-वात,पित्त-कफ
*- तन को वात पीड़ित करता है ।
*- मन को कफ से क्लेश-क्रोध होता है ।
*- आत्मा को पित्त परेशान, दूषित करता है ।
आयुर्वेद में "वात-पित्त-कफ" तीनों में समरसता न होना ही त्रिदोष कहलाता है । इनके दूषित होने से त्रिकाल तक
त्रिशूल,त्रिपात, द्रवित,पीड़ित करते हैं ।
शरीर में कोई भी विकार होते ही
वह सर्वप्रथम विचारों को कुंठित करता है ।
1-आयुर्वेद ग्रंथ "
2-आयुर्वेद और जीवन"
3-आयुर्वेद जीवन सार
4-वेद और आयुर्वेद
५-आयुर्वेद के नियम
6-आयुर्वेद के स्वस्थ सूत्र
७-आयुर्वेद के फायदे
८-आयुष और वेद
9-जीवन का ज्ञान
10-आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
11-आयुर्वेद चिकित्सा
12-आयुर्वेदिक ओषधियाँ
13-प्राचीन आयुर्वेद
14-आयुर्वेद शब्द कोष
15-जीवन का सार-आयुर्वेद
16-दुर्लभ बूटियाँ
17-आदिवासी औऱ आयुर्वेद
18-आयुर्वेद से रक्षा
19-त्रिदोष नाशक ओषधियाँ
तथा
20-'तन-मन रक्षक आयुर्वेद' के अनुसार
मन में "द्वेष-दुर्भावना-
खराब स्वास्थ्य की सम्भावना"
प्रकट करता है ।
विकारों की उत्पत्ति विचारों से
होती है । ज्यादा जलन-कुढ़न, गन्दी नजर से
तन की ऊर्जा-शक्ति कम होती है ।
अग्नि क्षीण होती है ।
उपरोक्त आयुर्वेद शास्त्रों में शरीर के
अन्दर कई प्रकार की अग्नि का उल्लेख
आया है-यथा
1- दाक्षिणाग्नि
2- गारहप्तयाग्नि
3-आवाहनियाग्नि
4- जठरानल अग्नि
5- दावानल अग्नि
6- वाडवानल अग्नि
हमारी जिव्हा पर भी 3 तरह
की अग्नि का वास है
जिसे अग्निजिव्हा कहा है ।
जिस कारण सभी प्राणियों में
मात्र मनुष्य ही बोल पाता है ।
A- रसवती
B- मधुमती
C- प्रज्ञावती
ये अग्नियां उदर को ऊर्जावान बनाये
रखती हैं । इससे पाचन तन्त्र मजबूत रहता है ।
उदर में अग्नि-ऊर्जा प्रज्वलित हेतु
का निर्माण किया है
जिसके सेवन से तन में पनप रहे
अनेक अज्ञात रोग-विकार,
पेट की बीमारियां,
मानसिक तनाव,डिप्रेशन दूर हो जाते हैं ।
आत्मविश्वास व मनोबल में वृद्धि होती है ।
केशनाशक,
केशपात करने वाले
तन्तुओं-जंतुओं को शीघ्रता से नष्ट करता है । पेट साफ कर कई अंदरूनी रोगों को जड़-मूल से बाहर कर देता है ।
इसे 3 महीने कम से कम खाना जरूरी है ।
क्योंकि ये आयुर्वेदिक चिकित्सा है ।
यह अपना प्रभाव तभी दिखाता है जब,
तक शरीर में त्रिदोष
का नाश न हो जाए ।
"आयुर्वेद निदान"
नामक कृति में भी लिखा है कि
हर्बल ओषधि सबसे पहले तन से त्रिदोष
(वात-पित्त-कफ) का दूर करती है,
फिर रोगों को जड़ से ठीक करना शुरू
करती है ।अतः जिन्हें धैर्य हो,विश्वास हो,
जो पूर्णतः निरोग होना चाहते हैं
वे ही लोग आयुर्वेद से लाभ उठा सकते हैं ।
"निदान, निघण्टु, चिकित्सा"
आयुर्वेद के मुख्य आधार है ।
यह प्रकृति प्रदत्त चिकित्सा है,
जो तन के साथ-साथ मन
की मलिनता भी मिटाकर
आत्मा को परमात्मा
की और प्रेरित करती है ।
वेद वचन है कि "आत्मा सो परमात्मा"
मन की खराबी से अंतरिक्ष दूषित होता है,
जिससे भाग्य साथ नहीं देता ।
तन से प्रकृति रुष्ट होती है, इस कारण
भौतिक सुख प्राप्त नहीं होते ।
प्रकृति और आयुर्वेद का सीधा सा नियम है, इसे जो देंगे, वही पाएंगे।
इसीलिए वेद का यह महामंत्र अरबों-खरबों
वर्षों से प्रचलित है ।
ॐ असतो मा सदगमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्युर्मा अमृतम गमय
ॐ शांति:शांति:शान्ति:!!
अर्थात-हे ईश्वर हमें अंधकार से प्रकाश,
मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ।
इस प्रक्रिया में
।।अमृतम।।
हर पल आपके साथ हैं हम
यही अमृतम आयुर्वेद के सूत्र है,
उदघोष है । उद्देश्य है ।
अतः कैसे भी हो,कुछ भी हो
।।अमृतम।।
इस जीव-जगत के पशुओं-प्राणियों में
"रोगों का काम खत्म"
करने का प्रयास,रत है । आपसे भी
सहयोग की अपेक्षा है ।
जीवन का सार
जीवन के पार
सबका आधार
स्वस्थ्य जीवन,
अमृतम हो ।
इस भाव के साथ कि-
"तेरा मङ्गल
मेरा मङ्गल
सबका मङ्गल होए रे..
जिस जननी ने जन्म दिया है,
उसका मङ्गल होए रे....." !
जय आयुर्वेद-जय अमृतम
विशेष निवेदन-
कृपया ध्यान देवें
जो लोग भी आयुर्वेद में रुचि रखते हो,
जिन्हें आयुर्वेद के किसी भी घटक,
जड़ीबूटियों की जानकारी हो,
प्राचीन रहस्य हों,घरेलू नुस्खे हों
अपने क्षेत्र के पुराने वैद्य,चिकित्सक
जिन्हें किसी विशेष बीमारी, असाध्य
रोग को ठीक करने में सफलता,प्रसिद्धि
मिली हो, साक्ष्य सहित प्रेषित करे ।
कोई दुर्लभ ज्ञान,निदान,चिकित्सा हो
या कोई वैज्ञानिक लेख-ब्लॉग हो, वे हमें
निसंकोच भेज सकते हैं ।
अमृतम आपकी यह जानकारी
नाम-पता,फ़ोटो सहित अपनी
वेबसाइट
पर सम्मान सहित प्रकाशित करेगा ।
ताकि सम्पूर्ण विश्व में भारत की इस आयुर्वेद
ज्ञान का प्रचार-प्रसार हो सके ।