क्या आपको आयुर्वेद की इस चमत्कारी ओषधि के बारे में मालूम है?
यह औषधि केवल शक्तिवर्धक ही नहीं,
बल्कि यौन शक्ति को भी जागृत करने में सहायता करती है।
आप मानो या ना मानो...
भारत की पुरानी देशी वियाग्रा में छुपा है वो गुण, जिसे पढ़कर आप भी हो जाएंगे हैरान..!
अमृतम के इस आर्टिकल में
आयुर्वेद के ग्रंथो में जो किस्से काफी अनसुने, पुराने या फिर रोचक अथवा अधूरे रह गये हैं, उन सब दुर्लभ जानकारियों से आपको अवगत कराया जाएगा
इस ब्लॉग में 5000 साल पुरानी उस आयुर्वेदिक शक्तिवर्धक ओषधि की
जानकारी प्रस्तुत है, जिसे सभी ने उपयोग,
तो किया किन्तु यह दवा किस हद तक चमत्कारी है तथा आपको कितना फायदा पहुंचा सकती है इसकी जानकारी लोगों को न के बराबर ही होगी।
च्यवन ऋषि द्वारा खोजी गई ओषधि
5000 वर्ष पहले किसी भी बीमारी को
ठीक करने के लिए प्रमुख ओषधि थी।
आज से 100 पूर्व तक इसे घर-घर में
बनाया जाता था।
अच्छी तरह से परिचित हैं।
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ORDER AMRUTAM CHAWANPRASH NOW[/caption]
संसार में पहली बार च्यवन ऋषि ने इस शक्तिवर्धक दवा को किस स्थान पर बनाया
एक दुर्लभ जानकारी --
च्यवनप्राश को कहां और किसने तैयार किया। आज आपको हरियाणा की ऐसी पहाडिय़ों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां ऋषि च्यवन ने जड़ी-बूटियों से यह शक्तिवर्धक दवा तैयार की।
[[]] श्रीमद्भागवत,
[[]] शिवपुराण,
[[]] भैषज्यसारसंग्रह
आदि पुराणों में उल्लेख है कि हरियाणा राज्य के नारनौल नामक क्षेत्र में आयुर्वेद की महत्वपूर्ण खोज च्यवनप्राश का नाता धोसी या ढोसी पहाड़ी से है।
वैदिक काल में यह आर्चिक पर्वत के नाम से प्रसिद्ध था। यह नारनौल नगर से सात किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में ग्राम थाना, ढोसी व कुलताजपुर के मध्य स्थित है।
बताया जाता है कि इन प्राचीन पर्वतों पर अनेक दुर्लभ बूटियाँ पाई जाती हैं, यहीं पर वर्षों तक
च्यवनप्राश के अविष्कारक
"ऋषि च्यवन"
ने उम्ररोधी (एंटीएजिंग) अर्थात बुढ़ापे को रोकने हेतु घनघोर तपस्या कर आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त किया था। फिर, बहुत गहन अनुसंधान के पश्चात
अमृतम च्यवनप्राश जैसी शक्तिवर्धक दवा को बनाया था।
अमृतम का 100 फीसदी
आयुर्वेदिक च्यवनप्राश
वर्तमान में भारत के इस चमत्कारी उत्पाद की विदेशों में बहुत डिमांड बढ़ती जा रही है।
विदेशों में जड़ीबूटियों पर रिसर्च व खोज करने वाले प्राकृतिक वेज्ञानिको को एक शोध में पता चला है कि
च्यवनप्राश केवल शक्तिवर्धक ही नहीं बल्कि पुरुषार्थ और यौन शक्ति को भी जागृत करने में सहायक है। च्यवनप्राश में पाए गए तत्वों के असर बिल्कुल वैसे ही हैं, जिन्हें
नामर्दी जैसी बीमारी एवं सेक्स की कमजोरी को दूर करने के लिए वर्तमान में आयुर्वेदिक कंपनियां वर्षों से मिश्रण करती आ रही हैं।
विलक्षण औऱ तुरन्त असरकारी जड़ी बूटियों का प्रयोग करते थे, जो उस समय इस पर्वत पर उपलब्ध थी। 50 से अधिक जड़ी बूटी से तैयार किए गए इस औषधीय गुणों वाले सर्वदोष नाशक आयुर्वेदिक योग को आज के समय में
अमृतम च्यवनप्राश अवलेह के नाम से जाना जाता है, जिसे आज भी शक्तिवर्धक औषधि के रूप में पूरी दुनिया में प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व च्यवनप्राश का पहली बार निर्माण
हरियाणा में हुआ था।
हैरत इस बात पर है कि
शक्तिवर्धक, तो है ही, साथ में यौन शक्ति बढ़ाने का भी काम करता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अमृतम च्यवनप्राश खाने से यौन इच्छा में तेजी से बढ़ोतरी होती है।
विशेष यौन शक्तिवर्धक ओषधि --
नपुंसकता और नामर्दी से ज्यादा पीड़ित या फिर पुरुषार्थ सम्बंधित पुरानी शारीरिक
कमजोरी हो, तो ऐसे मरीजों को
बी फेराल गोल्ड केप्सूल
1 माह तक लेवें।
शोध के मुताबिक च्यवनप्राश शरीर में सेक्स की इच्छा को जगाने वाले हॉर्मोन 'टेस्टास्टेरॉन' की मात्रा को तेजी से बढ़ाता है।
आयुर्वेद की बहुत प्राचीन 5 किताबों जैसे
{{१}} "रसतन्त्र सार व सिद्धप्रयोग संग्रह
{{२}} चरक सहिंता
{{३}} शारंगधर सहिंता
{{४}} भावप्रकाश
{{५}} आयुर्वेद सिद्ध संग्रह
{{६}} आयुर्वेद सार संग्रह
{{७}} अर्क प्रकाश
आदि शास्त्रों के मुताबिक