मालूम है, ये पांच तरह के नमक अजीर्ण, वायुगोला, शूल (पेट दर्द) और उदर रोगों को मिटाते हैं।
पित्तनाशक रस – त्रिदोषों में से एक पित्तदोष,
जो पेट व उदर विकार और ज्वर/फीवर/
बुखार, डेंगू आदि रोग उत्पन्न करता है।
दुबलापन, कमजोरी, चिड़चिड़ापन,
मधुमेह पाचनतंत्र (मेटाबोलिज्म) की
खराबी अस्त-व्यस्त पाचन प्रणाली (Digestive system) और पेट की बीमारियां, एसीडिटी, अफरा आदि
अनेक आधि-व्याधि का कारण पित्त दोष है।
पित्तदोष की शान्ति और शर्तिया इलाज
बालों के झड़ने की मूल समस्या का कारण भी पित्त की वृद्धि है। पित्त की वजह से केशपात से पीड़ित लोगों को
“कुन्तल केयर हर्बल हेयर माल्ट”
विशेष रूप से उपयोगी है। इसमें मिलाया गया
सेव मुरब्बा, हरीतकी मुरब्बा, गुलकन्द एवं
विभितकी आदि ओषधियाँ पित्त को तुरन्त शांत करती हैं।
इस माल्ट के
उपयोग से 7 दिवस में ही
बालों का झड़ना, टूटना, पतलाहोना रुक जाता है।
पित्तदोष से पीड़ित लोगों को मीठा
कड़वी कम मात्रा में और कसैला पदार्थों का अधिक में सेवन करना बहुत हितकारी होता है।
पित्त को शांत करने में केवल आयुर्वेदिक माल्ट (अवलेह) लाजबाब हैं।
कफनाशक रस या ओषधि –
चरपरा यानि कलिमिर्ची, लौंग, मसाले आदि
कड़वा जैसे- नीम, चिरायता, कालमेघ आदि
कसैला– अर्थात हरड़, त्रिफला आदि कफ को
शांत करते हैं। कफ प्रकृति वालो को तेज चिरपिरा यानि तेज मिर्च-मसालों का सेवन ज्यादा करना लाभकारी होता है। कफ से पीड़ितों को सदैव लालमिर्च
का सेवन अवश्य करना चाहिए। आयुर्वेद के
मुताबिक यह “कर्कट (केन्सर) रोग” से रक्षा
कर, रक्त संचार बढ़ाकर खून साफ करती है।
चार स्नेह – देशी घी, तेल, चर्बी और मज्जा
ये चार स्नेह या चिकने पदार्थ होते हैं।
पांच लवण – संचर नमक, कला नमक,
सेंधा नमक, बिढ़ नमक, और समुंदर नमक
ये पांच तरह के नमक अजीर्ण, वायुगोला,
शूल (पेट दर्द) और उदर रोगों को मिटाते हैं।
मिश्रण किया गया है।
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