अति आवश्यक जानकारी
इंसानों के जीवन का सर्वनाश करने वाले घातक एवम खतरनाक अनेकों अज्ञात वायरस दुनिया के कोने-कोने में अचानक तबाही
मचाने आ चुके हैं । यदि तन पहले से ही रोगों से घिरा है,तो इनसे बचना मुशिकल है ।
वर्तमान में
"निपाह" "जापानी बुखार"
तेजी से पूरे देश में फैल रहा है। फिलहाल इस तरह के "वायरस" का कोई ईलाज नहीं है और मरीज 24 घंटे के अंदर "कोमा" में चला जाता है। यह बीमारी
प्रदूषण,
प्रदूषित खान-पान,
अनिश्चितता के कारण फैल रही हैं।
दुनिया में इस समय अनेक प्रकार के
वायरस फैल रहें हैं ।
अलबिदा बुखार-वायरस-
दुनिया को वर्तमान में कई तरह के वायरस-बुखार ने नाक में दम कर रखा है । जिसका इलाज केवल अमृतम आयुर्वेद में है, क्योंकि हर्बल दवाएँ ही रोगप्रतिरोधक क्षमता एवं जीवनीय शक्ति में भारी वृद्धि कर
शरीर की नाडियों, धमनियों व तंतुओं को बल,ऊर्जा,शक्ति प्रदान करती हैं ।
जो लोग हमेशा अमृतम आयुर्वेदिक दवाओं, माल्ट, चूर्ण,औषधीय तेलों का उपयोग काफी समय से लगातार कर रहे हैं या करते हैं,वे
हर तरह के अकस्मात वायरस व रोगों से बचे रहते हैं । अमृतम आयुर्वेद तन का सुरक्षा कवच है ।
"विश्वासोफलदायकम"
पुरानी कहावत है- प्रकृति या परमात्मा पर विश्वास करने वाला सदा सुखी रहता है । प्राकृतिक नियमों को अपनाकर हम सदा रोगरहित जीवन व्यतीत कर सकते हैं ।
अमृतम आयुर्वेद पर अटूट विश्वास, विश्व को निरोग बनाये रखेगा ।
आयुर्वेदिक-हर्बल दवाएँ रोग-विकार
ठीक करने में कुछ समय,तो लेती हैं ।
लेकिन जड़मूल से रोगों को नाशकर शरीर को निरोग बनाती हैं ।
यह पूर्णतः हानिरहित होती हैं ।
एक ऐसी अद्भुत हर्बल मेडिसिन है,जो
इंसान के सभी ज्ञात-अज्ञात विकारों से रक्षा करता है ।
जाने अमृतम के बारे में :-
अमृतम गोल्ड माल्ट के गुणधर्म, इंडिकेशन, उपयोग तथा इसमें डाले गए द्रव्य-घटक, मुरब्बे-मसाले एवं निर्माण की प्रक्रिया विस्तार से जानने के लिए
की
#ब्रिटिश मेडिकल जर्नल#
में प्रकाशित एक
जानकारी के जरिए पता लगा है कि-
भारत तथा कम शिक्षित देशों में यह बिडम्बना है कि यहां के लोगों को अपनी प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक
ओषधियों पर विश्वास कम है ।
के मुताबिक
3 करोड़ 80 लाख
लोग मात्र लैब टेस्ट, अन्य आधुनिक दवाइयों का खर्च उठाने के कारण
गरीबी रेखा के इतने नीचे पहुंच गए कि,अब रोटी के भी लाले पड़ गए हैं ।
विदेशों में भी बदहाली
दुनिया में 1.4% लोग आधुनिक चिकित्सा पर खर्च करने के कारण भयंकर गरीबी के शिकार हो गए हैं ।
भविष्य में यह आंकड़ा 10 गुना होने की संभावना है ।
बीमारी की महामारी से पीड़ित विदेशी देश अब
प्राकृतिक चिकित्सा तथा अमृतम आयुर्वेद की और लौट रहे हैं जिसका शुभप्रभाव यह हुआ कि
अमृतम आयुर्वेद पर विश्व में बहुत विश्वास बन रहा है ।
कितने प्रकार के बुखार-वायरस
? जापानी बुखार,
(जापनीज एनसेफेलाइटिस)
? ट्यूबरक्लोसिस (टी.बी.),
? इबोला वायरस,
? जिका वायरस,
? हेपेटाइटिस ए और बी,
? एच.आई.बी.पॉजिटिव,
?हूपिंग कफ,
? इन्फ्लूएंजा वायरस,
? मर्स औऱ सार्स जैसे कोरोना वायरस,
? स्वाइन फ्लू,
? निपाह वायरस,
? चिकनगुनिया,
? डेंगू फीवर,
? रैबीज जैसी
14 बीमारियां है जो किसी संक्रमण के कारण फैल रही हैं । कुछ ही समय में इनका भयानक रूप प्रकट होने वाला है ।
आयुर्वेद सार के अनुसार
भेषजयरत्नावली
एवम आयुर्वेद चिकित्सा ग्रंथों में 88 प्रकार के मलेरिया, ज्वर, बुखार
को भी वायरस की श्रेणी में माना गया है । आयुर्वेदिक ग्रंथों में शरीर का संक्रमण (वायरस) से घिरने का कारण
रोगप्रतिरोधक क्षमता तथा जीवनीय
शक्ति की कमी बताया है ।
आने वाले समय में
ये वायरस दुनिया में तहलका मचाकर करोडों
लोगों की जान ले लेंगे ।
विश्व त्राहिमाम्-त्राहिमाम्
कर उठेगा ।
यदि बचपन से पचपन तक हर्बल प्राकृतिक चिकित्सा की जावें, तो व्यक्ति ताउम्र स्वस्थ रह सकता है । अमृतम आयुर्वेदिक ओषधिओं के
साइड बेनिफिट्स बहुत हैं, साइड इफ़ेक्ट
कुछ भी नहीं,यदि अनुपान के अनुसार ली जावें,तो
वायरस होने से पूर्व के लक्षण
1.दिमागी बुखार
2.सिरदर्द में भारी दर्द होने लगना
3.दिमागी संदेह (भ्रम)
4. उल्टियां या उल्टी जैसा मन होना
5. मांसपेशियों में दर्द,
6. शरीर में टूटन,
7. आलस्य, बेचैनी
8. भूख न लगना
9. रात भर जागना
10. यूरिक एसिड में वृद्धि
11. ह्रदय की धड़कन बढ़ना
12. भय-भ्रम,चिन्ता
13. त्वचारोग होना
14. लगातार खुजली होना
15. शरीर में चकत्ते होना
16. अचानक सर्दी-खांसी होना
17. निमोनिया के लक्षण
18. हल्की बेहोशी
19. दिमागी सूजन
कैसे रखें सुरक्षित
1.सुअरों से दूर रहें।
2.पक्षियों के कटे फल न खावे न खरीदें और बाहर के खुले में मिलने वाले जूस का सेवन जरा भी न करें।
3.खजूर न खाएं।
4.झाना चमगादड़ों के आवास का निवास हो,उसके आस पास भी न जाएं।
5.कोई भी यात्रा अत्यावश्यक हो तो ही करें, संभव हो तो न ही करें।
6.चूंकि यह सभी वायरस अत्यधिक संक्रामक है, इसीलिए बाहर का कुछ भी खाने-पाइन से बचें ।
7.वर्तमान में फैलने वाले वायरस पशु-पक्षी, चमगादड़, सुअरों से फैल रहा है, इसीलिए मांसाहार से भी बचें और ऐसी जगहों से भी, जहां मांसाहार का क्रय विक्रय होता है।
8.संक्रमित व्यक्ति तुरंत इंटेंसिव केअर दें और उनके इस्तेमाल की किसी भी वस्तु को अलग रखें।
इस समय फैल रहे वायरस जैव श्रृंखला प्रवेश करने वाले नवीनतम वायरस है। इसकी वैक्सीन और दवाइयां अभी प्रयोग के स्तर पर ही हैं।
जीवन का सार
गिलोई,
चिरायता,
मुलेठी,
तुलसी,
नीम,
कालमेघ,
हल्दी,
नागरमोथा,
सेव,आँवला,हरड़ का मुरब्बा,
द्राक्षा,
शुण्ठी,
त्रिकटु
आदि का सेवन करें ।
प्राकृतिक चिकित्सा एवं अमृतम आयुर्वेद तथा इंटेंसिव केअर के अलावा इसका फिलहाल कोई भी इलाज नही है ।
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