में हैं- पिपर पीपरामूल, छोटी पीपल के औषधीय गुण प्राचीनकाल से पीपल वृक्ष के लिए शास्त्रों में उल्लेख है कि "सर्व रक्षतिति पिपरा:" पग-,पग पाया जाने वाला, पल-पल जीवन देने के कारण पीपल गुणों का भंडार है ।
पीपल प्रत्येक पल, प्रतिक्षण, 24 घंटे ऑक्सीजन प्रदान कर वातावरण को शुद्ध करता है ।
ग्रामीण क्षेत्रों में हर डगर, अगर पीपल का पेड़ न हो, तो वह बंजर प्रतीत होता है । प्रत्येक घर तथा मन्दिर के आस पास पीपल या नीम का वृक्ष मिलना प्रकृति का प्रतीक है ।
परम् सत्ता की माया अद्भुत है । पीपल जीव-जगत के काया की रक्षा "आया" (माँ की तरह) करता है ।
वेद-ग्रंथ में ईश्वर (ब्रह्मा-विष्णु-महेश) स्वरूप बताया है । पीपल के मूल, शाखा,तना में त्रिदेवों का वास है । मन्त्र सहित विस्तार से चर्चा आगे के लेख में करेंगे
पीपल वृक्ष छायादार, पत्ते कोमल, चिकने और हरे रंग का तथा नाग मुख
की तरह होता है ।
पीपल का पत्ता और पीपल का फल दोनों प्राकृतिक औषधीय गुणों से भरपूर है ।
कफमुक्ति माल्ट में घटक रूप में डाला गया
पीपल, फेफड़ों के रोग जैसे तपेदिक, अस्थमा, खांसी तथा कुष्ठ, आदि रोगों का मुक्तिदाता है । इसी गुणों के कारण अमृतम के हरेक उत्पाद हरे-भरे पीपल से निर्मित हैं ।
रोगों का काम ख़त्म-
पीपल युक्त कफमुक्ति माल्ट - यह रतौंधि, मलेरिया ज्वर, कान दर्द, खांसी, बांझपन, सर्दी व जुखाम आदि रोग नाशक है ।
पीपल के अमृतम गुण:-
बल्य-वीर्य वृद्धिकारक ! पीपल मर्दाना कमज़ोरी, नपुंसकता को जड़ से मिटाने में सहायक है ।
पीपल फल ( पिपरी ); को छाया में सुखाकर, पीस कर छलनी से छान लें। अब इस चूर्ण का एक चौथाई चम्मच समभाग मिश्री युक्त तथा
मधुयष्टि, अश्वगंधा, 1-1 ग्राम, त्रिवंग भस्म 100 मिलीग्राम सभी को अच्छी तरह घोंट पीसकर
200 ग्राम दूध में मिलाकर नियमित रूप से पीने से वीर्य बढ़ता है, शरीर में शक्ति की वृद्धि तथा नपुंसकता दूर होती है । 3 माह लगातार लेने से जवानी के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं ।
अतिशीघ्रता से लाभ लेने के लिए अमृतम
अद्भुत है । इसके सेवन से घर की मान-मर्यादा भी बनी रहती है ।
बढ़ता है, शरीर में शक्ति की वृद्धि तथा नपुंसकता दूर होती है ।
अतिशीघ्रता से लाभ लेने के लिए अमृतम
बी.फेराल माल्ट एवम कैप्सूल आयुर्वेद की
बेहतरीन दवा है ।
गर्वीली रमणियों के मान-मर्दन मिटाने हेतु बहुत ही सकुन दायक दवा है ।
आँखों के लिए लाभदायक
पीपल का दूध आंखों के अनेक रोगों को दूर करता है। पीपल के पत्ते या टहनी तोड़ने से जो दूध निकलता है उसे थोड़ी मात्रा में प्रतिदिन सलाई से लगाएं और आंखों में दर्द, जलन, खुजली और सूजन में राहत पाएं ।
"अघोरी की तिजोरी से"
एक सिद्ध अवधूत अघोरी द्वारा बताया गया प्रयोग भी बहुत ही अचूक है । इसे एक बार अवश्य आजमाएं -
सफेद अकौआ के पत्ते का दूध प्रातःकाल सुबह । पैर के अंगूठे पर इस तरह लगाएं !
जैसे जिस आंख में तकलीफ हो उसके विपरीत अंगूठे में लगाएं ।
उदाहरण- मान लो, कि किसी की दायीं (right side) आंख में मोतियाविन्द है , तो बाईं (left side) के अंगूठे में सफेद अकौआ
का दूध लगायें । इसके चमत्कारी परिणाम से प्रभावित होकर हमने
"अमृतम" मासिक पत्रिका
में इस तरह के अद्भुत प्रयोग कई बार प्रकाशित किया जा चुका है ।
हमारे द्वारा प्रकाशित 'कालसर्प' विशेषांक
में दिए गए राहु-केतु, शनि तथा रोग निवारण सिद्ध प्रयोगों से आशातीत
लाभ होने की वजह से भी हजारों प्रतियां बिकी । पिछले 35-40 वर्षों के लगातार प्रवास के फलस्वरूप जो भी इस भारत भूमि से प्राप्त किया, उसे समय-समय पर जनहित में
अमृतम में प्रकाशित-प्रसारित कर लोगों तक पहुँचाया ।
फिलहाल अमृतम का यही प्रयास है कि अपनी वेवसाइट पर इन सब लेखों का संकलन
ब्लॉग के रूप में पहुंच सके ।
गुणकारी पीपल पत्ता-
कान का दर्द छूमन्तर
पीपल पत्तों को निचोड़कर उसका रस कान में डालने से कान दर्द दूर होता है।
पीपल पैरों की बिवाई-
(एड़ी का फटना) में हितकर-
पुरानी कहावत है कि-
जाकी फ़टी न बिम्बाई,
वो का जाने पीर पराई ।
अर्थात-जिसे दुख-तकलीफ होती है,
उसका दर्द वही जानता है ।
बार-बार फटने वाली बिम्बाई की प्राकृतिक चिकित्सा यही है कि पीपल पत्ते का
दूध को लगाने से पैरों की बिवाई ठीक हो जाती है।
खाँसी में लाभकारी-
जब आप खांस खांस कर, सांस अटकने लगे, तब सूखे पीपल पत्तों को कूट कर इसमें मिश्री, मुलेठी तथा कीकर का गोंद समभाग मिलाकर चने के आकार के बराबर गोली बना लें ।
दिनभर में 3 या 4 गोलियां 30 दिन तक चूसनें से खांसी मिट जाती है ।
अमृतम उपाय-
पीपल, त्रिकुटु, हंसराज, मुलेठी,
हरीतकी मुरब्बा, अभ्रक भस्म शतपुटी, आदि
आयुर्वेद के अद्भुत योगों से निर्मित
कफमुक्ति माल्ट
अमृतम आयुर्ववेद की बहुत ही असरकारक
ओषधि है, जो पुराने से पुराने कफ रोगों का विनाश करने में सहायक है ।
कफमुक्ति माल्ट- फेफड़ों में जमे वर्षों पुरानी
बलगम को कफ या मल बिसर्जन द्वारा बाहर
निकल देता है । हर्बल माल्ट फेफड़ो के रोगों का नाशक सप्लीमेंट के रूप में यह
दुनिया का पहला उत्पाद है ।
कफमुक्ति माल्ट फेफड़ों के संक्रमण, फेफड़ों
में जमें बलगम, पानी बाहर निकाल, पूरे शरीर
को अपार शक्ति देता है ।
वर्षों पुरानी सर्दी-खांसी, जुकाम, निमोनिया,
दमा, श्वांस, सूखी खांसी, फेफड़ों में पानी भरने, कमजोरी, श्वांस लेने में दिक्कत, पसली चलना, हाफनी भरना श्वांस नली का अवरुद्ध होना, कंठ के रोग, बार-बार हिचकी आना, स्वर भंग, आवाज में खरखराहट आदि अनेक ज्ञात-अज्ञात व्याधियों से बचाता है ।
सर्दी जुखाम से तत्काल लाभ हेतु
पीपल की 2 कोमल पत्तियों को चूसने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है।
दाद खाज खुजली भगाएं
नवीन पीपल के 4-5 पत्ते ख़ूब चबा-चबाकर खावें । पीपल छाल 25 ग्राम 2 लीटर पानी में इतना उबले कि 40 ग्राम रह जाये । इसे पूरे दिन पीने से दाद, खाज, खुजली आदि चर्म रोगों में आराम मिलता है । यह प्रयोग 2 माह तक नियमित करें ।
सभी साध्य-असाध्य त्वचा रोगों के लिए यह बहुत ही अद्भुत उपाय है ।
साथ में अमृतम "स्किन की" (Skinkey)
टेबलेट का सेवन करें ।
शरीर में जीवनीय शक्ति की कमी या क्षीणता
के कारण वह रोगों से घिर जाता है, तब तन
को विकार घेरने लगते हैं ।
विकार से बड़े-बड़े होशियार भी मात खा जाते हैं ।
धीरे-धीरे रोग शरीर में दीवार बनाकर,
मार पर मार करने
लगते हैं, तो व्यक्ति के रग-रग में रोग मायावी
रूप से खोखला कर देते हैं ।
अब क्या करें-
एक अद्भुत असरकारी सप्लीमेंट के रूप में
जिसे बनाने में ही लगभग 30-35 दिन लग जाते हैं इसके निर्माण की प्रक्रिया हम गुग्गल लेख में बहुत ही विस्तार से दे चुके हैं । यह एक ऐसा हर्बल्स गुणकारी योग है, जो शरीर के समस्त दोषों व रोगों का नाशक, तो है ही, साथ ही समय-समय पर या बदलते मौसम के अनुसार पड़ने वाली जरूरतों को पूरा करता है । कभी भी खून की कमी नहीं होने देता ।
एक प्राकृतिक हर्बल्स ओषधि है । इसके नियमित सेवन से कभी भी कोई असाध्य या अज्ञात रोग नहीं होता । विशेषकर गर्मियों (ग्रीष्म ऋतु) एवम बरसात में होने वाली बीमारियों से नारियों सहित सबका यह पूर्णतः बचाव करता है । क्योंकि उसे हरीतकी मुरब्बा, सेव मुरब्बा, आंवला मुरब्बा, गुलकन्द, अंजीर, मुन्नका (द्राक्षा) बादाम एवम 30 से अधिक जड़ी-बूटियों के काढ़े तथा 12 तरह के मसाले, गाय का शुद्ध देसी घी, करीब 9 भस्म, रसादि से निर्मित किया है ।
के निर्माण की प्रकिया बहुत जटिल व खर्चीली है । यह विश्व का पहला ऐसा हर्बल सप्लीमेंट है, जो शरीर की सम्पूर्ण कार्य प्रणाली को क्रियाशील बनाता है । नाड़ी तंत्र को मजबूती देकर बल-वीर्य, शक्ति वृद्धिकारक है । पेट के कई विकारों का जड़-मूल से नाश करता है । पेट साफ करता है । मल (लैट्रिन) बांधकर लाता है । बार-बार होने वाले पेटदर्द में राहत देता है । भोजन के बाद आलस्य या बेचेनी मिटाता है यह एक ऐसा योग है, जो अनेक रोग नाशक है । बच्चे-बड़े, बूढ़े, , युवा, महिलाएं और स्त्री-पुरुष कभी भी, किसी भी मौसम या सीजन में ले सकते हैं ।
अमृतम गोल्ड माल्ट-
शरीर में आवश्यक मिनरल्स,
विटामिन्स, खनिजों तथा पोषक तत्वों की पूर्ति करने में चमत्कारी रूप से सहायक है ।
सभी मसल्स व अवयवों को शक्तिदाता है ।
रक्त का संचार व्यवस्थित कर रोज-रोज होने वाली ब्लूडप्रेशर (BP) की समस्या से निजात दिलाता है ।
ताउम्र इसको लेने से फ़ेफ़डे, हृदय रोग, गुदा और गुर्दे के रोग-विकार परेशान नहीं करते ।
आंखों का आँकलन कम नहीं होता ।
चेहरे पर झुर्रियाँ नहीं पड़ती ।
कपकपाहट, कम्पन्न, भय-भ्रम, चिन्ता नहीं सताती । अनिद्रा मिटाकर समय पर बेफ़िक्र नींद लाना इसकी विशेषता है ।
बच्चों को ताकतवर बनाकर बल-बुद्धि, शक्ति दायक है । चिड़चिड़ापन मिटाकर जरूरत के अनुसार लम्बाई बढ़ाता है ।
बेहिचक जीवन भर लेते रहने से महिलाओं के अनेक असंख्य रोग, सफेद पानी की शिकायत, व्हाइट डिस्चार्ज, प्रदर की प्रॉब्लम दूर कर उन्हें सुन्दर व खूबसूरत बनाने में सहायक है ।
विशेषकर कामकाजी महिलाएं या पुरुष
जो समय पर भोजन न कर पाने के कारण
कमजोर महसूस करते हैं । उनके लिए यह अमृत योग है ।
45 से अधिक मुरब्बे-काढ़े से निर्मित
शरीर को शीघ्र शक्ति प्रदान करता है । एथेलीट, खिलाड़ी, क्रिकेट के शौकीन, पर्वतारोही, गोताखोर, तैराक,
कमजोरी से पीड़ित, सभी उम्र के लोग या कामकाजी ,घरेलू या गर्भवती
महिलाओं, बच्चों, विकलांगों, दिव्यांगों, रोग से असहाय रोगियों को, बार-बार रोग-विकारों से पीड़ित, हमेशा रोगों का भय सताना, कभी भी रोग हो जाना, एक के बाद दूसरा रोग होना,
त्वचारोग, खून की खराबी, कमजोरी, शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो जाना, रोग होने अथवा नहीं होने पर भी *
बिना किसी सलाह के
जीवन भर लिया जा सकता है ।
जिन्हें तत्काल ऊर्जा शक्ति एवम
पोषण पूर्ति की आवश्यकता है ।
अमृतम गोल्ड माल्ट विशेष लाभकारी है । ऋतु परिवर्तन के समयशरीर विकारों से घिर जाता है ।सर्दी-खाँसी, जुक़ाम, सिरदर्द, मन की अशांति आदि जैसे सामान्य रोग भी जीवनीय शक्ति व रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम या क्षीण कर देते हैं इस कारण बहुत बेशुमार विकार- तन को तनकर खड़े नहीं होने देते । यही समस्याओं से परेशान होकर व्यक्ति असाध्य रोगों में उलझ जता है । असरकारक इलाज- अमृतम गोल्ड माल्ट रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर जीवनीय शक्ति कारक है । इसे ऑनलाइन आर्डर देकर भी मंगा सकते हैं ।
जब बलग़म हो जाये जमा, तो होगा
इसमें पीपल की छाल के अन्दर का भाग निकालकर सुखाकर और कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर मिलाते हैं, जो फेफड़ों की कमजोरी
मिटाता है । बार-बार छींक आना, सर्दी-खांसी-जुकाम, निमोनिया में बहुत
लाभ करता है ।
पीपल- यह चूर्ण दमा रोगी को अकेला एकल चूर्ण के रुप में भी सेवन कराएं, तो इससे दमा रोग में आराम मिलता है ।
दम निकाले-दमा -- पीपल की कोमल 2-3 व नीम की एक नवीन पत्ती सुबह खाली पेट खूब चबा-चबाकर खाएं ।
– समयाभाव के कारण
घर मे ओषधि निर्माण कर पाना कुछ मुशिकल
प्रतीत होता है । हम अमृतम दवाओं के साथ-साथ आयुर्वेदिक नुस्खे, प्राकृतिक उपचार का भी वर्णन अपने लेखों में करते हैं, ताकि सुविधानुसार घरेलू चिकित्सा भी कर सके ।
दमा-अस्थमा से पीड़ित परेशान अमृतम गोल्ड माल्ट की 2 चम्मच सुबह खाली पेट गुनगुने गर्म
दूध से 3 माह तक निरन्तर लेवें, तो यह रोग जड़ से दूर हो जाता है ।
पीपल की दातून -
पीपल के दातुन से दांतों के रोग जैसे दांतों में कीड़ा लगना, मसूड़ों में सूजन, ख़ून निकलना, दांतों का पीलापन आदि रोग दूर हो जाते है। दाँतो से मवाद आना, पायरिया, मुंह की दुर्गंध दूर होती है । आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
पीपल- पीलिया रोग नाशक-
आयुर्वेदिक प्राचीन चिकित्सा, तंत्र और टोटके,
तन्त्र विज्ञान, ग्रामीणों के झाड़-फूक, उतारा, टोटके आदि कई अमृतम
पुस्तकों में टोने-टोटकों द्वारा रोगों का सामान्य
उपचार बताये गए हैं ।
अगर पीलिया से पीड़ित पीपल की नर्म टहनी के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर माला बनाकर एक सप्ताह तक पीलिया पीड़ित धारण करे, तो पीलिया रोग जड़ से चला जाता है ।
अमृतम उपाय- अंजीर,, द्राक्षा, करोंदा मुरब्बा,
पपीता मुरब्बा आदि 56 हर्बल्स ओषधियों से निर्मित
एवम
कीलिव स्ट्रांग सिरप
यकृत रोगों की बहुत ही असरकारक दवा है ।
कीलिव के विषय में कभी विस्तार से फिर कभी ब्लॉग लिखा जाएगा ।
पीपल के औषधीय गुणों से परिचित होने के बाद यक़ीनन आप भी इस पेड़ को लगायेंगे और इसके चमत्कारिक लाभ से फ़ायदा उठायेंगे।
भारत भूमि में डगर-डगर, कदम-कदम तथा
पग-पग पर पीपल पाया जाता है ।
गांव में ज्यादा, शहरों में कुछ कम देवताओं की तरह पूज्य है । पीपल को प्रणामकर इस पर पानी अर्पित करने से गुरु ग्रह की पीड़ा शांत होती है । ऐसी मान्यता वर्षों से है । दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि पीपल वृक्ष बहुतायात में होने से इसे जल मिलता रहे व छाया मिलती रहे, इसलिए धर्म से जोड़ा गया होगा । यह समस्त जीव-जगत को जीवन देता है । हमेशा ऑक्सिजन विसर्जन के कारण संसार में इसके गुणों का गुणगान सदियों से होता आ रहा है । पीपल स्वतः ही उग जाता है, इसे लगाना नहीं पड़ता । पीपल के बारे में अमृतम आयुर्वेद के ग्रंथ अभी अनछुये रह गये हैं ।
आगे के ब्लॉग में
जान पाएंगे पीपल के बारे में बहुत से दुर्लभ रहस्य । अभी, तो 70-72 ग्रंथ पीपल की
प्रशंसा और प्रसिद्धि से भरे पड़े हैं । 10-12 आयुर्वेद निघंटु भी बहुत कुछ
बताना चाहते हैं । वेद-पुराण, भाष्य, उपनिषद, संहिताएं, आदि आपको बताएंगी पीपल के गुण व रहस्य, प्रयोग, कुल, जाति, भेद, अनेकों नाम, उत्पत्ति के रहस्य, उपचार,
टोन-टोटकों में अमृतम पीपल का प्रयोग, भूत-बाधा से मुक्ति, पीपल से वास्तु शान्ति, कालसर्प , पितृ दोष से मुक्ति, परम् सत्ता (ईश्वर) से पीपल के संबंध आदि जानकारी आपको देना है, बस थोड़ा इंतजार करें । शास्त्रों के नाम सहित यह ज्ञान तथा विस्तार से सब कुछ मिलेगा । पीपल के विषय में लेख या ब्लॉग आपको अच्छे लगें, आकर्षित हो, तो लाइक, कमेंट्स शेयर करने में कतई कंजूसी न करें । अमृतम का विनम्र प्रयास है कि हमारी भारतीय परम्पराओं को पूरा विश्व जानें और भारत-भूमि को नमन करे । दुर्लभ जानकारी अमृतम दवाएँ मंगाने के लिए तुरन्त
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