प्रतिदिन अभ्यंग से होते होते हैं 10 लाभ

आयुर्वेदिक अभ्यङ्ग है -9 तरह से लाभकारी

व्यायाम करने से पहले रोजाना अभ्यंग यानी मालिश करने से होते हैं अनेकों लाभ और हमारा स्वास्थ्य बना रहता है।

【1】अभ्यंग (मालिश) शरीर और मन की ऊर्जा का संतुलन बनाता है,
【2】वातरोग के कारण त्वचा के रूखेपन को कम कर वात को नियंत्रित करता है।
 【3】शरीर का तापमान नियंत्रित करता है।
【4】शरीर में रक्त प्रवाह और दूसरे द्रवों के प्रवाह में सुधार करता है।
【5】अभ्यंग त्वचा को चमकदार और मुलायम बनाता है।
【6】मालिश की लयबद्ध गति जोड़ों और मांसपेशियों की अकड़न-जकड़न को कम करती है।
 【7】अभ्यङ्ग से त्वचा की सारी अशुद्धियाँ दूर हो जाती हैं, तब हमारा पाचन तंत्र ठीक हो जाता है।
【8】 पूरे शरीर में ऊर्जा और शक्ति का संचार होने लगता है।
 【9】अभ्यङ्ग यानि मालिश से शरीर में रक्त परिसंचरण बढ़ता है और

 【10】शरीर के सभी विषैले तत्त्व बहार निकल जाते हैं।<

हालाँकि प्रतिदिन का स्व-अभ्यंग पर्याप्त है
लेकिन सभी को सप्ताह में एक या दो बार
किसी जानकर मालिश वाले से समय समय पर कायाकी हर्बल मसाज ऑयल 

के द्वारा एक अच्छी मालिश करवानी चाहिए।

[caption id="attachment_3019" align="aligncenter" width="300"] ORDER KAYAKEY BODY OIL NOW[/caption]
 
यदि आपके शरीर का पाचन तंत्र अच्छे से काम कर रहा है तो आपकी त्वचा अपने आप कोमल व रोगहीन, तो हो ही जाती है - साथ ही सुन्दरता में इजाफा होता है। 
 
वात और कफ प्रकृति वालों के लिए उपयोगी
 
वात और कफ प्रकृति के लोगों को अभ्यंग की
बहुत ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि स्पर्श की संवेदना वात प्रकृति के लोगो में अधिक होती है। वात प्रकृति के लोग ज्यादातर शुष्क और ठंडी प्रकृति के होते हैं; और कफ प्रकृति के लोगो की प्रकृति ठंडी और तैलीय होती है। वात और कफ प्रकृति वाले लोग यदि सप्ताह में एक या दो बार अपने शरीर की मालिश करें, तो शरीर में फुर्ती बनी रहती है और लम्बी आयु तक बुढ़ापा नहीं आता।
 
पुराने आयुर्वेदिक ग्रन्थ सुश्रुतसंहिता के मुताबिक अभ्यङ्ग को उम्ररोधी यानि एंटीएजिंग चिकित्सा बताया गया है। मालिश से तन के रग-रग में रक्त का संचार होता है, जिससे त्वचा में निखार आता है।
चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती।
इसलिए वात विकार 【अर्थराइटिस】
औऱ कफ प्रकृति वालों को प्रतिदिन सुबह
"ऑर्थोकी पेन ऑयल" से अभ्यंग करना चाहिए।
 
वात असंतुलन के समय आयुर्वेद के प्राचीन शास्त्रमत दर्दनाशक ओषधियों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे - वात हर तेल, षदबिन्दु तेल, इरिमेदादि तेल, चन्दनबलालक्षादि तेल, पीड़ा शामक तेल,  धन्वन्तरम तेल, महानारायण तेल, दशमूल तेल, बला तेल, माहामाष तेल, मालकांगनी तेल आदि।

पित्त प्रकृति वालों के लिए उपयोगी

 
पित्त प्रकृति के लोगों की प्रकृति गरम और तैलीय होती है और इनकी त्वचा अधिक संवेदनशील होती है। पित्त प्रकृति के लोगों के लिए शीतल तेलों का प्रयोग अधिक उपयोगी होता है। कायाकी मसाज ऑइल में चन्दनादी तेल, गुलाब इत्र, जैतून तेल, बादाम तेल विशेष विधि से मिलाया गया है।
इसके अलावा नारियल तेल, सूरजमुखी का तेल, चन्दन का तेल का प्रयोग कर सकते हैं। पित्त असंतुलन में चंदनादि तेल, जात्यादि तेल, एलादी तेल मालिश या अभ्यंग के लिए बहुत उपयोगी है।
 
अभ्यङ्ग की प्रक्रिया  -
हाथों की गति धीमी या मध्यम पर लयबद्ध (व्यक्तिगत इच्छा के अनुसार) होनी चाहिए और जो शरीर के बालों की विपरीत दिशा में बदलते हुए हो और तेल की अधिकतम मात्रा शरीर पर रहे। यानि पूरा शरीर तेल से भीग जाए।
 

प्रतिदिन अभ्यंग होते हैं 10  लाभ

१- वृद्धावस्था रोकता है
२- नेत्र ज्योति में सुधार होता है।
३- शरीर का पोषण होता है
४- जल्दी बुढापा नहीं आता।
५- अच्छी नींद आती है
६- त्वचा (स्किन) में निखार आता है।
७- मांसपेशियों, कोशिकाओं का विकास
८- आलस्य, थकावट दूर हो जाता है।
९- वात,पित्त,कफ का संतुलन होता है।
१०- शारीरिक व् मानसिक आघात सहने की क्षमता बढ़ती है।
 

बिना किसी चिकित्सा के शरीर को निरोग बनाये रखने के लिए ध्यान देने योग्य बातें

¶ शरीर को सुन्दर और स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए प्रतिदिन अभ्यंग करना चाहिए।
¶¶ कभी भी अधिक भूख या प्यास में अभ्यंग न करे।
¶¶¶ अभ्यंग खाने के १-२ घंटे बाद ही करन ठीक रहता है।
¶¶¶¶ बालों में हमेशा कुन्तल केयर हर्बल हेयर ऑयल लगाएं। सबसे पहले सिर की चोटी से तेल लगाना आरम्भ करें।
¶¶¶¶¶ जब आप पूरे शरीर का अभ्यंग करे,तो सिर को कभी न छोड़े।
¶¶¶¶¶¶ नहाने से पहले आधा-एक घण्टे पूर्व ही अभ्यंग करे।
¶¶¶¶¶¶¶ 15 से 20  मिनट के लिए तेल को शरीर पर रहने दें। अभ्यंग के बाद तेल को शरीर पर ठंडा न होने दें। धीरे धीरे हाथ से मालिश करते रहे या कुछ शारीरिक व्यायाम करते रहे।
¶¶¶¶¶¶¶¶ अभ्यंग के बाद गर्म पानी से स्नान करें।

अभ्यंग कब नहीं करना चाहिए -

◆ खांसी, बुखार, अपच, संक्रमण के समय
◆ त्वचा में दाने होने पर
◆ खाने के तुरंत बाद
◆ शोधन के उपरांत जैसे उल्टी या वमन, विरेचन, नास्य, वस्ति
◆ महिलाओं में मासिक धर्म के समय

कैसे शुरू करें -अभ्यंग क्रम

■ सर्वप्रथम सर की चोटी में तेल लगाएं
■ फिर, चेहरा, कान और गर्दन पर
■ फिर, कंधे और दोनो हाथों पर
■ फिर, पीठ, छाती और पेट
■ दोनों टांगे और पैर
 
सबसे पहले सिर की चोटी पर
कुन्तल केयर हर्बल हेयर ऑयल लगाए। दोनों हाथों से पूरे सिर की धीरे धीरे मजबूती से मालिश (मसाज) करे
 
कहाँ कितनी बार मालिश करें -
 
चेहरा : ४ बार नीचे की ओर,
४ चक्कर माथे पर,
४ चक्कर आँखों के पास,
४ बार धीरे धीरे आँखे पर,
३ चक्कर गाल,
३ बार नथुनों के नीचे,
३ बार ठोड़ी के नीचे आगे पीछे,
३ बार नाक पर ऊपर नीचे,
३ बार कनपटी और माथा आगे पीछे,
३ बार पूरा चेहरा नीचे की ओर
 
कान : ७ बार कर्ण पल्लव को अच्छे से मसाज करे, तेल कान के अंदर न जाये
 
छाती : ७ बार दक्षिणावर्त यानि सीधी तरफ और ७ बार उल्टी तरफ यानि वामावर्त  मसाज करे
 
पेट : ७ बार धीरे धीरे दक्षिणावर्
 
उरास्थि: अंगुलाग्र से ७ बार ऊपर नीचे
 
कंधे : ७ बार कन्धों पर आगे पीछे
 
हाथ : ४ चक्कर कंधे के जोड़ पर,
७ बार बाजु ऊपर नीचे,
४ चक्कर कोहनी,
७ बार नीचे का हाथ ऊपर नीचे,
४ बार हथेलिया ऊपर नीचे खींचे
 
पीठ: ८ बार ऊपर नीचे ऊँगली के जोड़ों से
 
टांगे : हाथों की तरह
 
पंजे : ७ बार ऊपर नीचे तलवे,
७ बार ऊपर नीचे एड़ियां, उँगलियों के बीच में मसाज करे और उँगलियों को खींचे
 
मालिश के बाद १०-२० मिनट के लिए तेल शरीर लगा रहने दें और गरम पानी से साबुन या उबटन के साथ स्नान करें।
 
बालों में कुन्तल केयर हर्बल हेयर शैम्पू कर सकते हैं।
 
सिर और बालों में तेल लगाएं
 
दोषों के संतुलन और दोषों को दूर
करने के लिए सिर की चोटी पर
कुन्तल केयर हर्बल हेयर ऑयल लगाना बहुत जरूरी है।
 
सिर में बालों की हल्की मसाज स्नान से पूर्व और स्नान के समय न केवल बालों की बढ़त में सहयोगी है बल्कि आँखों की शक्ति बढ़ने में भी बहुत मददगार है। ये छोटा सा प्रयास तनाव से मुक्ति देकर रात्रि में गहरी नींद देता है। इससे शरीर का तापमान भी नियंत्रण में रहता है।
 
 
आयुर्वेद के संस्कृत ग्रंथों के मुताबिक
जिन्हें अपना पाचनतंत्र (मेटाबोलिज्म)
हमेशा ठीक रखने की चाहत हो, उन्हें प्रतिदिनकाया की मसाज़ ऑयल से मालिश जरूर करना चाहिए
 

RELATED ARTICLES

Talk to an Ayurvedic Expert!

Imbalances are unique to each person and require customised treatment plans to curb the issue from the root cause fully. We recommend consulting our Ayurveda Doctors at Amrutam.Global who take a collaborative approach to work on your health and wellness with specialised treatment options. Book your consultation at amrutam.global today.

Learn all about Ayurvedic Lifestyle