मानसिक तनाव से लड़े आयुर्वेदा के संग | Fight Depression & Anxiety with Natural Ayurvedic Herbs

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मानसिक तनाव से लड़े आयुर्वेदा के संग | Fight Depression & Anxiety with Natural Ayurvedic Herbs

●क्या आप चिता में हैं?

●क्या आप बहुत चिंतित हैं?

●क्या हमेशा चिन्ता में रहते हो?

●क्या डिप्रेशन से पीड़ित हैं?

अमृतम के इस लेख में पाएं
चिन्ता से बचने के उपाय

क्योंकि बड़े-बुजुर्ग कहते हैं-

चिन्ता,चिता जलाए,चतुराई घटाए
तो फिर,
एक विशेष दुर्लभ जानकारी आपकी

चिन्ता,अवसाद (डिप्रेशन) के बारे में।

amrutam Brainkey Gold Malt
 
आयुर्वेद में चिन्ता,तनाव,डिप्रेशन आदि रग-रग में रोग के रिसोर्स बताये गए हैं,तो जानें

चिंता, डिप्रेशन है क्या-

दुःखद या शोकपूर्ण विचार,फिक्र,खटका,
खुटका,सदैव चिन्तामग्न रहना,चिन्तातुर,चिंतित रहना,आदि से मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
ज्यादा तनाव, तन की नाव डूब देता है।

मन मलिन करे-

चिन्तातुर रहने से मन-मलिन,गन्दा हो, निगेटिव विचारों से घिरकर अनेक विकारों को बुलाता है। व्यक्ति धीरे-धीरे अवसादग्रस्त होने लगता है। फिर,हताशा हाथपैर कमजोर कर देती है।

अमृतम को है, हर आदमी की चिन्ता-

पागलपन,उद्वेलित,दिमागी थकावट,भुलक्कड़पन
हिस्टीरिया,मिर्गी,अनिद्रा, कब्जियत,पेट व पाचन तन्त्र की खराबी,उदररोग,मधुमेह,
केन्सर, हृदयरोग,इत्यादि अनेक बीमारियों
तथा मानसिक विकारों का कारण
आयुर्वेद में चिंता ही बताया है।
 
!!चिन्ता को चारो खाने चित्त करें!!
मस्त फकीर कहते हैं-
 
"फ़िक्र बुरा फांका भला,
फ़िकर फ़कीरा खाये"!
 
अर्थात चिंता बुरी चीज है, फकीरों को भी
बीमार बना देती है,इससे से फाका अच्छा।depression ayurveda

हमेशा वेफ़िक्र रहें-

फ़िक्र से जुड़ते नहीं,
कोटन करो उपाय।
मन,मोती और दूध रस,
इनका यही स्वभाव।।
अर्थात
जो होना है वह निश्चित है, चिन्ता करने से
कुछ नहीं होने वाला। आप कितनी भी चिंता,फ़िक्र करें । मन टूटने से ऊर्जा-उमंग नष्ट होकर अवसाद (डिप्रेशन) होने लगता है।
मोती और दूध आदि भी मन की तरह एक बार
टूट गए,तो जुड़ते नहीं हैं।
 
"आयुर्वेद सूक्तियां"
 नामक कृति में कहावत कही है-
 
सदा न फूले केतकी, सदा न सावन होय।
सदा न जीवन थिर रहे,सदा न जीवे कोय।।
 
मतलब सीधा सा है कि जिन्दगी कभी स्थिर नहीं होती।इसमें गन्दगी व बन्दगी दोनों का समावेश है। कब कौंन दगी दे जाए।
 
डबरा के सिन्धी समाज के
"सन्त बीरबल दास जी" कहा करते थे
"प्राणी चिंता में पड़ा की बिस्तर पर सड़ा"
खड़ा रहकर ही बीमारियों
एवं संसार से लड़ा जा सकता है।
 
"आयुर्वेद नीतिशास्त्र" में लिखा है-
 
मीठा-मीठा कुछ नहीं,मीठा जाकी चाह"।
 
ये कभी सम्भव ही नहीं है कि हमेशा सब अच्छा-अच्छा हो। सृष्टि में दुःख-सुख,अच्छा-बुरा, सब सम है अर्थात जीवन में जितना दुःख मिलेगा उतना  सुख भी मिलेगा।
यह प्रकृति का नियम है।
इसीलिए गीता का सार में लिखा-
परिवर्तन संसार का नियम है।
चिन्ता चाटे चार घर-
चिन्ता,तन को रोगशाला बना देती है।रोगों के इलाज में अपना,परिवार का,रिश्तेदार एवं मित्रों सहित 4 घरों का पैसा बर्बाद हो जाता है।

मधुमेह से महाविनाश-

आयुर्वेद के ग्रंथों-

१- चिन्तारसमणि,
२- कायचिकित्सा,
३- अष्टाङ्ग ह्रदय में बताया गया है कि
मधुमेह रोग का कारण-मूल रूप से चिंता ही है।
भारत में करीब 45 फीसदी से अधिक लोग
चिन्ता के कारण डाइबिटिज से पीड़ित हैं।
मधु का अर्थ है राग,मोह,लगाव ।
किसी बात के लिए लगातार चिंतनीय रहना,
किसी चीज से ज्यादा लगाव भी तनाव
का कारण बनता है।
मेह का अर्थ-मूत्र,प्रमेह रोग जो परिश्रम,व्यायाम तथा मेहनत न करने से होता है।

व्यंग का रंग-

डाइबिटिज मीठा खाने से नहीं कड़वा बोलने से होती है। जीवन में स्वस्थ्य तन के लिए हँसी-मजाक बहुत जरूरी है। हमारे रीवा-सतना के लोग कहतेे हैं-
मधुमेह मीठा खाने से नहीं,कड़वा बोलने से होता है। जब हम कड़वा बोलते हैं,तो मीठा हमारे तन में एकत्रित हो जाता है,जो मधुमेह,(डाइबिटिज) के रूप में प्रकट होकर, विकट व्याधियां पैदा कर हमें बर्बाद कर देता है।

महिलाओं का महाज्ञान-

आयुर्वेद में "चिन्तिडी,चिंचा"  इमली के पेड़ को कहा गया है जिसे पुराने समय में महिलाएं गर्भवती या चिन्तातुर होने पर सेवन करती थीं।
 
चिन्ता का शर्तिया इलाज है आयुर्वेद में-
■ भैषज्य रत्नावली,
■ आयुर्वेद सार संग्रह
■ रसतन्त्र सार
■ माधवनिदान
 
आदि प्राचीन अमृतम ग्रंथों में चिन्ता नाशक,
अवसाद (डिप्रेशन) से मुक्त करने वाली

प्राकृतिक ओषधियाँ उपलब्ध हैं,जैसे-

१- स्मृति सागर रस
२- त्रिलोक्य चिंतामणि रस
३चिंताहरण रस, ४- मोती पिष्टी
५- ब्राह्मी,वच,उसीर,चन्दन,
९- शंखपुष्पी,जटामांसी,बादाम,
१२- शतावर,सौंठ,इलायची,
१५- सेव,आवला,हरीतकी मुरब्बा,

१९- गुलकन्द,प्रवाल आदि

Fight Anxiety & Depression with Amrutam's Brainkey gold Malt Fight Anxiety & Depression with Amrutam's Brainkey Gold Malt[/caption]
ये सब आयुर्वेद के प्रसिद्ध व प्राचीन
चिन्ताहनन,कष्ट हरण,मानसिक रोग नाशक योग हैं, जो मानसिक तनाव,चिन्ता दूर कर बल-बुद्धि में बरकत करते हैं।

★बुद्धि वर्द्धक एवं स्वास्थ्य रक्षक

ब्रेन की चिन्ता करने वाला हर्बल फार्मूला-
उपरोक्त असरकारक ओषधियों से निर्मित
अदभुत हर्बल मेडिसिन है जो मस्तिष्क की
शिथिल कोशिकाओं को जल्दी जाग्रत करता है।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट
3 से 5 दिनों में ही अपनी विलक्षणता दिखा देता है।

कब तक उपयोग करें-

ब्रेन की का सेवन 3 माह तक लगातार करने
से चिन्ता रहित तथा डिप्रेशन से मुक्त हो जाता है।
यह ऊर्जा,उमंग से भर देता है।
याददास्त तेज करता है।

कैसे सेवन करें- 

1- सुबह खाली पेट 2 से 3 चम्मच,दिन व रात्रि में खाने से पहले गर्म दूध या से जल से लेवें।
2- ब्रेड,रोटी,पराँठे में जैम की तरह लगाकर खाएं।
3- 100 ML गर्म पानी में 2 चम्मच माल्ट
मिलाकर चाय की तरह दिन में 3 से 4 बार
सेवन करें।

बच्चों की पढ़ाई के लिए- 

यदि बच्चों की याददास्त जल्दी दुरुस्त करना हो,
तो सुबह खाली पेट गुन गुने दूध से 3 माह तक
दिन में 3 बार नियमित देवे।

अधेड़ उम्र के स्त्री-पुरुषों के लिए-

केवल सुबह खाली पेट देवें

बुजुर्गों के लिए-

रात्रि में खाने से एक घंटे पूर्व गर्म पानी,चाय
या दूध के साथ देवें।
ब्रेन की गोल्ड टेबलेट
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आयुर्वेद की दुर्लभ जानकारियां-
यदि ज्ञान वृद्धि या पढ़ने का शोक हो,तो हमारे पुराने लेख या ब्लॉग को एक बार जरूर पढ़िए

 

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