रात में दही न खावें | Avoid eating curd after evening

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रात में दही न खावें | Avoid eating curd after evening

  ।।अमृतम ज्ञान।।

रात्रि में दही खाना बहुत हानिकारक है क्यों? (Avoid eating curd after evening)

यह 91 प्रकार के रोग 
उत्पन्न करता है
जानिए अमृतम के इस लेख में

प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रन्थ-

भावप्रकाश निघण्टु:"दधिवर्ग:अध्याय"
व्याख्याकार-
पंडित विश्वनाथद्वेवेदी शास्त्री
आयुर्वेदशास्त्राचार्य के अनुसार रात्रि में दही या दही से निर्मित पदार्थ जैसे-रायता,दहीबड़े,दही पूड़ी,
लस्सी,छाछ,मस्तु 
(दही का तोड़ अर्थात दही का पानी)
किसी भी हालत में नहीं लेना चाहिए।
रात्रि में दही के सेवन से उदररोग एवं किडनी की खराबी जैसे विकार उत्पन्न हो जाते हैं। मधुमेह रोग भी रात्रि में दही के सेवन करने से अधिक बढ़ रहा है।
आयुर्वेद में खानपान औऱ अनुपान,परहेज,पथ्य-अपथ्य का विशेष महत्व बताया गया है।
"अमृतम आयुर्वेद के अनुसार"
 भोजन आदि के उपयोग से व्यक्ति निरोग रहकर शतायु यानि 100 वर्ष तक जी सकता है।
रात्रि में दही नहीं खावें-
इसके लिए सैकड़ों साल पुराने एक श्लोक में लिखा है कि-

■ न नक्तम दधि भुंजीत...... ....

रात के भोजन से अनेकों रोग शरीर में पनपने लगते हैं।
शस्यते दधि नो रात्रो शस्तम चाबुघृतांवितं
रक्तपित्तकफौतथेषुविकारेषु 
च नैव तत।।
अर्थात- रात्रि में दही कभी नहीं खाना चाहिए। रात में दही कहना तन के लिए उत्तम नहीं है।
रात्रि में दही के साथ घी,पानी विष समान हो जाता है।
हेमन्त शिशिरे चापि 
वर्षाशु दधि शस्यते।
शरदग्रीष्मवसंतेषु प्रायशस्तद्वीगर्हितं।।
अर्थात- हेमन्त,शिशिर औऱ वर्षा ऋतु, इन ऋतुओं में केवल सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच दही का भक्षण करना बहुत लाभकारी होता है।
शरद,वसन्त तथा गर्मी के दिनों में दिन के 12 बजे तक ही दही का सेवन उत्तम है।
ज्वरासृकपित्तविसर्पकुष्ठपांडवामयभ्रामान....
अर्थात- ज्वर,मलेरिया,बुखार,डेंगूफीवर,चिकनगुनिया,रक्तविकार,पित्त की वृद्धि,विसर्प,कुष्ठ रोग (सफेद दाग) पांडुरोग (ख़ूनकीकमी),भ्रम,भय,
चक्कर,भयँकर कामलारोग,पीलिया,
यकृत रोग,88 प्रकार के वात विकार,
थायराईड,मानसिक रोग,अनिद्रा,पेट की खराबी,कब्ज़,मधुमेह,गुड रोग,बबासीर,नेत्ररोग,सूजन सुस्ती,आलस्य आदि अनेक विकार रात्रि में दही के सेवन करने से पैदा हो जाते हैं। (Avoid eating curd after evening)
एक श्लोक में यह भी निर्देश है कि रात्रि में नियमित दही खाने से
बालों का झड़ना,पतला होना शुरू हो जाता है।
■शारीरिक क्षीणता आने लगती है।
■पुरुषों में पुरुषार्थ की कमी होती है।
■महिलाओं का सौन्दर्य घटने लगता है।
■बच्चों की बुद्धि मन्द होने लगती है।
■मोटापा तेज़ी से बढ़ाने लगता है।
 
इन्हीं सब कारणों से अमृतम द्वारा रात्रि में दही का परहेज बताया गया है।
 
 

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