वर्षा ऋतु के बाद की “बीमारियों से बचें” | Changing Seasons & Health

दलता मौसम में हर कोई अनेक  बीमारियों

से परेशान रहता है।

सुबह-रात सर्दी,दिन में भयंकर गर्मी से वात, कफ,पित्त
यानि त्रिदोष विषम हो जाता है। 

बरसात के बाद कि करामात-

 बरसात के बाद की ऋतु शरीर में अनेक रोग उत्पन्न करती है। सर्दी,खाँसी,जुकाम,निमोनिया,हाथ-पैर और शरीर में टूटन, ज्वर, मलेरिया, बुखार,डेंगू, चिकिनगुनिया,
कब्ज, और अनेकों वात रोग शरीर के इम्यून सिस्टम को
कमजोर कर देते हैं।

 

वर्षा ऋतु के पश्चात सभी को बहुत सावधानी बरतने की सलाह हर्बल किताबों में लिखी है।
आयुर्वेद-महामहोपाध्याय श्री धर्मदत्त वैद्य ने 
अपनी रचना-आधुनिक चिकित्सा शास्त्र 
नामक में अदभुत जानकारियां दी हैं।

बरसात के समय होने वाले रोग

शरीर के किसी न किसी अंग में या
अंग-अंग दर्द की वजह से हमारा
ध्यान भंग कर देता है ।
■ कोई भी काम करने की इच्छा नहीं होती या फिर,
 काम में मन नहीं लगता ।
■ कभी सिरदर्द, तो कभी पूरा बदन
दर्द से कराह उठता है ।
■ सन्धि,हाथ-पैरों में टूटन,
■ कमर दर्द,उंगलियों में पीड़ा
■ जोड़ों में जकड़न,अकड़न
■ पीठ एवं पिंडरियों में पीड़ा,
■ बार-बार खाँसी आना,
■ सिर व शरीर में भारीपन,
■ सुस्ती, आलस्य, चिन्ता, तनाव, डिप्रेशन
■ खून और भूख की कमी
■ थायराइड (ग्रंथिशोथ)
■ हाथ-पैरों एवं शरीर में सूजन
वात संबंधित आदि
तकलीफें बरसात के बाद बदलने वाले सीजन के
कारण हो जाती हैं।
वात-विकार वर्षा काल में ही प्रकट होकर
शरीर में अपना आधिपत्य स्थापित कर जिन्दगी
रुकावट खड़ी कर देते हैं। इस वजह से व्यक्ति सदैव
परेशान रहता है।

यह बरसात का सीजन है । इस समय

रात में ठंड,दिन में गर्मी लगने से शरीर में

वात,पित्त,कफ का संतुलन बिगड़

जाता है । तन,त्रिदोष के कारण

त्राहि-त्राहि करने लगता है ।

हमेशा ध्यान रखें वर्षा ऋतु के समय प्रकृति में प्रदूषण,
 दूषित वातावरण, जलवायु होने से शरीर में रोग
अपना स्थान बनाकर बाद में असहनीय दर्द एवं
 वात विकार के रूप में परेशान करते हैं ।

   “दर्द से दुखी न हों,

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