वात का साथ कैसे होता है?
हमारे प्रतिरोधी तन्त्र यानी इम्यून सिस्टम में
कुछ ऐसे तत्व मौजूद होते हैं, जिनकी कमी
से शरीर में संक्रमण होता रहता है, जैसे
सर्दी-जुकाम, निमोनिया भी यदि गम्भीर
रूप धारण कर ले, तो क्षयरोग, हड्डियों की टीबी एवं ग्रंथिशोथ (थायराइड) आदि अनेक वातरोग (अर्थराइटिस) को जन्म देते हैं।
लम्बे समय तक अर्थराइटिस बने रहने पर
शरीर में टूटन, सूजन, कम्पन्न, थायराइड, गठिया जैसी बीमारियां उत्पन्न होने लगती है, जो जटिल समस्याओं का समूह है।
वात से बिगड़ते हालात -
वातविकार पुराना होने पर शरीर की हड्डियों
को गलाना शुरू कर देते हैं। जोड़ों में लचीलापन और लुब्रिकेंट कम या खत्म हो जाता है।
शरीर को होने वाली हानि
【】जिससे चलना मुश्किल हो जाता है।
【】सूजन आने लगती है।
【】हल्का से बुखार, थकान,
【】आलस्य बना रहता है।
【】भूख नहीं लगती।
【】वजन कम होने लगता है।
【】रात में पसीना आता है।
【】गहरी नींद नहीं आती।
हानि रहित स्थाई इलाज
१०० फीसदी आयुर्वेद की बहुमूल्य ओषधियों जैसे-
■ स्वर्ण भस्म, ■ योगेंद्र रस, ■ त्रिलोक्य चिंतामणि रस, ■ वृहत वात चिंतामणि रस सभी स्वर्णयुक्त और ■ शुद्ध गुग्गल,
■ शुद्ध शिलाजीत, ■ त्रिकटु ■ त्रिफला आदि
असरकारक योग से निर्मित
88 तरह के वात विकार (अर्थराइटिस)
जड़ से मिटाएं।
? हाथ-पैर, ? कमर, गर्दन,
?मांसपेशियों, ?घुटनों व जोड़ों के दर्द,
? पक्षाघात (लकवा)
?नई या पुरानी गठियावाय,
? कम्पन्न, ? अकड़न-जकड़न
? ग्रंथिशोथ (थायराइड),
?आमवात, ? साइटिका,
?संधिवात, निर्बलता एवं
? चिकगुनिया के बाद के दर्द दूर
करने में विशेष उपयोगी व लाभदायक है।
@ वात-विकार ग्रस्त जाम नाडियों,
रस वाहिनियों व कोशिकाओं में रक्तसंचार (ब्लड सर्कुलेशन) सुचारू करता है।
@ कमजोर व सूखी हड्डियों में लुब्रिकेंट उत्पन्न कर, मजबूती और लचीलापन देता है।
@ इम्युनिटी पॉवर वर्द्धिकारक है।
? वातरोगों को दबाता नहीं है अपितु सभी
साध्य-असाध्य दोषों को दूरकर शरीर
का कायाकल्प कर देता है।
? वातव्याधियों का शोधन करके हड्डियों को
मजबूत कर नवीन रस-रक्त का निर्माण करता है, जिससे सप्तधातु बलशाली होती हैं।
भूख की कमी, कमजोरी, कम्पन्न, कम्पवात,
वातकटक, वातगुल्म, वातोदर, वातुल,
वातोलम्बन व वाताण्ड आदि समस्याओं
से निजात दिलाता है।
? शरीर को निरोगी बनाने में विलक्षण है।
शरीर का त्रिदोष और त्रिताप सामान्य कर
मल-मूत्र विसर्जन की क्रियायों को नियमित करने में भी सहायक है।
उदर की कड़क और जाम नाडियों को मुलायम कर वायु व वातविकार का नाश करता है। दस्त साफ लाता है। कब्ज नहीं होने देता।
सेवन विधि
परहेज
पैकिंग आदि की जानकारी के लिए
थॉयराइड (ग्रंथिशोथ)
से होने वाले 88 प्रकार के
"वातरोगों" से सावधान रहें,
अन्यथा बढ़ा सकता है--
★मानसिक तनाव,
★स्नायु-विकार,
★मेमोरी लॉस,
★स्मरण शक्ति की कमी,
★ब्रेन की कमी या कमजोरी
★दिमाग की शिथिलता
★स्मृति हीनता,
★ब्रेन डैमेज,
★ब्रेन हेमरेज का खतरा,
★व्यक्ति भयभीत रहता है,
★चिन्ता सताने लगती है,
इस कारण "चतुराई" घटकर
याददास्त कमजोर होने लगती है।
बार-बार भूलने की आदत से
क्रोध उत्पन्न हो जाता है।