अमृतम स्वास्थ्यवर्द्धक सूत्र

Read time : min

अमृतम स्वास्थ्यवर्द्धक सूत्र
अमृतम आयुर्वेद के एक प्राचीन ग्रंथ-

"विषम ज्वरः चिकित्सानी:"

में बताया है कि-
 जब शरीर मलादि
त्रिदोषों से घिर जाता है,तो
 
रग-रग में रोगों की रासलीला
 
शुरू हो जाती है ।
तन ज्वर से घिर जाता है,तब
ज्वर शरीर को जर्जर कर देता है ।

क्यों होता है-अंदरूनी ज्वर

1- पाचन तंत्र की कमजोरी से
2- वात,पित्त,कफ बिगड़ने से,
3- लम्बे समय तक कब्ज हो,
4- हमेशा कब्जियत बनी रहती हो,
5- पेट का निरन्तर खराब रहना,
6- एक बार में पेट साफ न होना,
7- लेट्रिन का बहुत टाइट आना
8- पेट व छाती में दर्द सा रहना
9- अम्लपित्त, एसिडिटी रहती हो,
10- बार-बार खट्टी डकारें आना,
11- वायु-विकार से परेशान रहना
12- हर समय  गैस का बनना
13- भूख-प्यास,पेशाब कम लगना
14- खाने की इच्छा न होना,
15- मन का सदा खराब रहना,
16- ऊबकाई सी आते रहना,
17- मानसिक अशान्ति रहना,
18- पुराना निमोनिया हो,
19- तन में सदा सर्दी बनी रहती हो,
20- खांसी-जुकाम से पीड़ित हो,
21- सिर में भारीपन बना रहना,
22- पेट में कृमि (कीड़े) होना
23- शरीर में खुजली सी रहना
24- हमेशा आलस्य रहता हो,
25- बहुत क्रोध आता हो,
26- स्वभाव चिड़चिड़ापन लिए हो,
 27- बैचेनी,चिंता,तनाव रहना
 28- शरीर का कमजोर होना,
 29- किसी काम में मन नहीं लगना
30- स्वास्थ्य न बनना,
31- पुरुषार्थ की कमी,
32- सेक्स से अतृप्ति,असंतुष्टि
33- वीर्य का पतलापन,
34- जल्दी डिस्चार्ज होना,
35- नवयौवनाओं व स्त्री रोग-
36-समय पर पीरियड न होना
 37- पीरियड के समय दर्द होना
38- लिकोरिया,सफेद पानी,
39- हमेशा डिस्चार्ज होनाआदि
 
यदि उपरोक्त दोषों में से कुछ
 लक्षण प्रतीत हों एवं इनमें से
 किसी भी व्याधि से  पीड़ित
या परेशान है,तो निश्चित शरीर
ज्वर की जकड़ में है औऱ
आप पकड़ नहीं पा रहे हैं ।
अतः अकड़ छोड़
फ्लूकी माल्ट खाएं ।
अन्यथा ज्यादा लेट-लतीफी से
पाचन तंत्र पूरी तरह खराब
हो सकता है ।

क्या कहना है आयुर्वेद का

निम्नलिखित आयुर्वेद किताबों का
सार तत्व यही है कि
"जब तन में बढ़ जाता है,
 
 कई तरह के "मल का एरिया",
तो ही एक दिन होता है "मलेरिया" ।

जैसा वेद-पुराणों ने बताया

आयुर्वेद की ये दुर्लभ किताबें
हजारों वर्षों से हमारे स्वास्थ्य
को ठीक करने,स्वस्थ रखने
हेतु प्रेरित करती हैं-
 
()- ज्वरान्तक चिकित्सा
()- हारीत सहिंता
()- माधव निदान
()- शारंगधर सहिंता
()- वृंदमाधव
()- सिद्धभेषज्यमणिमाला
()- स्वास्थ्य रक्षा
()- वैद्यकचिकित्सासार
 
ऐसे बहुत से संस्कृत, हिन्दी
 
वैदिक भाष्यों,उपनिषदों, तथा
आयुर्वेद के आदिकालीन शास्त्रों में
बताया है कि-
मल की वृद्धि तथा वात,पित्त,कफ
के विषम होने से पाचन तन्त्र
बिगड़ने लगता है,जिससे
!!- भूख कम लगती है ।
!!- खून की कमी होने लगती है ।
!!- वीर्य पतला होने लगता है ।
!!- सहवास-संभोग,सेक्स
के प्रति अरुचि होने लगती है ।
पाचन तंत्र में विकार होने से
!!- कोई भी दवा नहीं लगती  ।
!!- हमेशा पेट खराब रहता है ।
!!- खट्टी डकारें आती हैं ।
!!- शारीरिक क्षीणता आने लगती है ।

प्रदूषण का शोषण

प्रदूषित वातावरण,
प्रदूषण के कारण
 ज्वर, विषम ज्वर,
मलेरिया बुखार के
कीटाणु-जीवाणु
सबके शरीर में हमेशा
कम या ज्यादा मात्रा में निश्चित पाये
जाते हैं । जब इनकी अधिकता हो जाती है,
तो यह शरीर को जर्जर,खोखला कर
ऊर्जा हीन बना देते हैं ।
तन की शक्ति क्षीण हो जाती है ।
 
आयुर्वेद के ग्रंथों के अध्ययन से ज्ञात
होता है कि-
शरीर में अंदरूनी ज्वर के बने रहने
से कोई न कोई समस्या,रोग-व्याधि
हमेशा बनी रहती है ।

लेतलाली की काली छाया

लगातार लापरवाही के कारण
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता
क्षीण व कमजोर हो जाती है ।
जीवन जीने की ताकत देने वाली
जीवनीय शक्ति
नष्ट हो जाती है ।
इस कारण हमारा तन-मन
का इतना पतन हो जाता है कि
वर्तमान के भयँकर असाध्य रोग
जैसे-चिकनगुनिया,ड़ेंगू फीवर,
स्वाइन फ्लू, तथा अनेक आकस्मिक
फैलने वाले वायरस हमें तत्काल
बीमार कर देते हैं ।

आराम हराम है

अमृतम आयुर्वेद के शास्त्र
निर्देश देते हैं कि शरीर को जितना
तकलीफ या कष्ट दोगे, अथवा
थाकाओ , तो वह आराम देगा
औऱ तन को जितना आराम दोगे
 उतना ही ये कष्ट-रोग,व्याधि देगा ।
बहुत ज्यादा समय तक लगातार
बैठकर काम करने से भी
 
1- लिवर की प्रॉब्लम,
2- लिवर में सूजन,
3- आँतो की कमजोरी,
4- गैस पास न होना
ये ऐसे अज्ञात रोग हैं जिनके कारण
पाचनतंत्र निष्क्रिय
हो जाता है ।
लगातार पाचन तंत्र की खराबी से
हेमोग्लोबिन
कम होने लगता है ।
स्वास्थ्य गिरने लगता है ।
किसी काम में मन नहीं लगता है ।
जिसका ज्ञान या ध्यान किसी को
नहीं रहता । ये अल्प रोग भविष्य
में विकराल रूप ले लेते हैं ।
पुराने बुजुर्ग लोगों का कहना था कि-
 
"नारी और बीमारी" 
 
समय पर संभालना चाहिये ।

क्या कहना है विश्व के वैज्ञानिकों का

विश्व अब प्राकृतिक,प्राचीन तथा घरेलू
चिकित्सा तरफ लौट रहा है ।
दुनिया के 20% लोग,रोग की
चिकित्सा के कारण गरीबी रेखा
से नीचे जा चुके हैं ।
 
"विश्व स्वास्थ्य संगठन" 
 
के अनुसन्धान कर्ताओं, ने दुनिया को
चेताया है कि अंग्रेज दवाएँ
बहुत ही ज्यादा हानिकारक हैं ।
इसके विषैले दुष्प्रभाव से
कर्कट रोग (केन्सर) नपुंसकता
जैसा पुरुष रोग तेज़ी से फेल रहा है ।
इसलिए फ्लूकी माल्ट शरीर की
सुरक्षा हेतु सर्वश्रेष्ट स्वास्थ्य वर्द्धक
दवाई है ।
यदि कायदे से चलो ,तो
आयुर्वेद के बहुत फायदे हैं ।
 केवल हल्की-फुल्की
सर्दी-खांसी,जुकाम सामान्य बीमारी
तन से पित्त के प्रकोप को दूर करती है ।
गर्मी या उष्णता के बढ़ने से ऐसा साल
में दो या तीन बार होता है । सारे विकार निकालने में सहायक है ।
 इन छुट-पुट रोगों के होने पर दवा न लेवें ।
इनसे मुक्त होने हेतु घरेलू या
दादी माँ के फार्मूले अपनाएं ।
चिकित्सक के भरोसे न रहें ।
तुरन्त लाभ या फायदा लेने के चक्कर में मनमर्जी से अथवा विज्ञापन वाली दवाएँ बहुत
नुकसान पहुँचा सकती हैं ।

वर्षा ऋतु में फ्लूकी माल्ट

अत्याधिक लाभकारी है । बरसात के सीजन में

कीड़े-मकोड़ो, जीवाणुओं का पृथ्वी
पर प्रकोप रहता है ।
अधिकांश बीमारियां इसी समय फैलती है ।
 
नदी-नालों के आस-पास गंदगी फ़ैलने से
तथा कीचड़,के कारण पूरा वायुमण्डल
दूषित हो जाता है ।
इन दिनों ही मलेरिया के मच्छर एवं डेंगू
का लार्वा बीमारियां, संक्रमण फेलाने
भूमिका निभाते हैं ।
अतः बरसात के दिनों में फ्लूकी माल्ट
का सेवन हर रोज परेशानी से रक्षा करता है ।
यह किसी तरह के रोगों को
शरीर में पनपने नहीं देता ।

अमृतम स्वास्थ्यवर्द्धक सूत्र

*- सुबह उठते ही खाली पेट
कम से कम 2 से 3 गिलास पानी पीवें ।
*- प्रतिदिन व्यायाम-प्राणायाम,
कसरत की आदत डालें
*- रोजाना कम से कम 5000 कदम
लगभग 5 से 7 किलोमीटर  पैदल चले ।
*- हर माह अपने स्वास्थ्य का
परीक्षण नियमित कराते रहें ।
*- हमेशा अमृतम दवाएँ घर में रखें
*- अमृतम द्वारा विभिन्न रोगों के
लिये 45 तरह के हर्बल माल्ट
का निर्माण किया जा रहा है ।
दनिया की यह पहली हर्बल
माल्ट (अवलेह) बनाने वाली
आयुर्वेदिक कम्पनी है ।
ये जैम की तरह स्वादिष्ट
एवं स्वास्थ्य वर्द्धक हैं ।
अमृतम के सभी माल्ट
1-आँवला मुरब्बा,
2-सेव मुरब्बा,
3-हरीतकी मुरब्बा
4-करोंदा मुरब्बा
5-पपीता मुरब्बा,
6-बेल मुरब्बा,
7-गाजर मुरब्बा
8-गुलकन्द आदि
तथा
9-बादाम मेवा
10-त्रिकटु व त्रिसुगन्ध
जैसे मसाले
और प्रकृति प्रदत्त
11-जड़ीबूटियों के काढ़े
से निर्मित किये जाते हैं !
इनमें--
दिमाग की शान्ति हेतु
 
वात रोगों के लिये
 
बाल बढ़ाने के लिये
अमृतम की सर्वाधिक
बिक्री होने वाली दवाएं हैं ।
 
इन सब अमृतम दवाओं की
जानकारी हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है ।
इन ओषधियों को ऑनलाइन घर बैठे
आसानी से मांग सकते हैं ।

आयुर्वेद के फायदे

अमृतम फ्लूकी माल्ट सुबह खाली पेट
2 से 3 चम्मच गुनगुने दूध या गर्म पानी
के साथ जीवन भर लेते रहें ।
 
नाश्ते या खाने के साथ ब्रेड,पराठे,
रोटी पर जैम की तरह लगाकर
भी ले सकते हैं ।
जल्दी आराम के चक्कर में
तन का पतन न करें ।
तन ही हमारा वतन है ।
मात्र अंग्रेजी या विषदायी चिकित्सा
के भरोसे न रहें । ये शरीर के लिए
बहुत भयँकर हानिकारक हैं ।
 
प्राकृतिक,घरेलू चिकित्सा करें ।
अमृतम आयुर्वेदिक पद्धति अपनाएं ।
हर्बल ओषधियों का अधिक से अधिक
सेवन करते रहें ।
का नियमित सेवन करते रहें ।
यह पूर्णतः आयुर्वेदिक ओषधि है ।
इसमें मिलाया गया
"चिरायता"
"महासुदर्शन काढ़ा"
"कालमेघ"
"शुण्ठी-पिप्पलि,मारीच"
आँवला,सेव,गुलकन्द मुरब्बा ।
आदि औषध शरीर के अंदरूनी
ज्वर,मलेरिया एवं अनेक विषरूपी मल
को नष्ट कर देती हैं ।
के नियमित उपयोग से
जीवनदायिनी कुदरती खूबियाँ,
खूबसूरती,सुंदरता
ज्यों की त्यों बनी रहती हैं ।
यह सर्वरोग नाशक तथा
स्वास्थ्य वर्द्धक भी है
 
पाचन तन्त्र को मजंबूती देकर
भूख व खून में वृद्धि करती हैं ।
 
में ऐसी प्राकृतिक हर्बल
जड़ीबूटियों का अनुपातिक मिश्रण है
जो शरीर में सभी प्रकार के
विटामिन्स,
प्रोटीन,
मिनरल्स  एवं
खनिज पदार्थो
की पूर्ति कर तन के असाध्य व अज्ञात
मल,विष तथा दोषों को दूर करने में
सहायता करता है ।
 
पाचन तन्त्र को ठीक रखने
में मदद करता है ।
मांसपेशियों और
हड्डियो को शक्ति
देकर प्रभावी ईंधन का काम करता है ।
 
का फार्मूला आयुर्वेद की
प्राचीन पुस्तकों से लिया गया है ।
 
फ्लूकी माल्ट एक ऐसी अमृत युक्त
हर्बल ओषधि है जो शरीर में जाते ही
शारीरिक ताकत को दोगुना कर देती है ।
यह शक्तिवर्द्धक है ।
अमृतमआयुर्वेद का स्वास्थ्य वर्द्धक
रामबाण नुस्खा है ।
 
दर्द दूर भगाए-
के निरन्तर सेवन से
जकड़न-अकड़न,जोड़ों का दर्द,
कमर दर्द,गले का दर्द,थायरॉइड,
सूजन भी दूर होती है ।
 
शरीर के अंदर पनप रहे, 
अंदरूनी रोगों को
जड़ से मिटा देता है ।
 
यदि नई उम्र के युवक-युवतियाँ
जिन्हें लम्बे समय तक बैठकर
काम करना पड़ता है,उनके लिए
फ्लूकी माल्ट बहुत ही ज्यादा
लाभकारी दवा है ।
 
फ्लूकी माल्ट का सेवन उदर विकारों
को मिटाने के लिए भी कर सकते हैं ।
लॉगिन करें-

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Talk to an Ayurvedic Expert!

Imbalances are unique to each person and require customised treatment plans to curb the issue from the root cause fully. Book your consultation - download our app now!

Learn all about Ayurvedic Lifestyle