मानसिक अशांति,तनाव
दूर करने हेतु
आयुर्वेद के ऋषियों के दिशा-निर्देश-
आत्मविश्वास जगाए-
अनेकों पाठकों के ईमेल,
फोन आते हैं, कि
"अमृतम हर्बल उत्पादों"
के अलावा "आयुर्वेद के महान ऋषियो"
के शास्त्र मत,विचार,
सूक्तियों को भी
अमृतम की वेवसाइट पर
मनोबल बढ़ाये-
अमृतम दवाओं के साथ-साथ
प्राकृतिक चिकित्सा,उपाय भी
प्रदर्शित किये जावें
विचारों के द्वारा व्यक्ति को
विकार रहित कैसे रखा जाए आदि
जानकारियां भी सबको मिलना चाहिए।
ब्रेन को टॉप बनाये-
इस लेख में हम प्राचीन काल के
आयुर्वेद चिकित्सकों
द्वारा मानसिक शान्ति तथा
ब्रेन की समस्याओं पर बताये गए
विचार के बारे में बताएंगे-
महर्षि चरक ने कहा है-
1-परेशानियां व पीड़ा प्रकृति का उपहार है,
जो हमारा विवेक जगाती हैं।
(चरक सहिंता)
2- परेशानी के दौर की पीड़ा दिमाग को
सुस्त करने वाला कीड़ा बाहर निकाल देती हैं।
वैद्य प्रियव्रत शर्मा
लेखक- नामरूप ज्ञानम
3- कठिनाइयों से हमें विवेक प्राप्त होता है।
बुद्धि प्रखर होती है
वैद्य वापालाल ग.शाह
लेखक-निघण्टु आदर्श
4- हमारा मन,स्वास्थ्य,
हमारी बुद्धि प्रकृति प्रदत्त है।
वैद्य श्री ठाकुर बलबंत सिंह,
लेखक-बिहार की वनस्पतियां
5- कभी कभी मानसिक पीड़ा का कारण
पुरानी पीढ़ी के संस्कार होते हैं।
जिससे बुद्धि जागृत नहीं हो पाती।
आयुर्वेद चिकित्सक कालीपद विश्वास
लेखक-भारतीय वनोषधि (बंगला)
6- तेज़ दिमाग व विवेकवान होने के लिए,
दुःख,कष्ट,पीड़ा,तकलीफों,परेशानियों
का आना तथा झेलना जरूरी है।
टीका श्री विश्वनाथ वैश्य
लेखक-भावप्रकाश निघण्टु
7- कहा गया है कि
"जिसने झेला कष्ट
वही आया फर्स्ट
कष्ट से कतराने वाले कभी सफल
नहीं हो पाते ।
टीका श्री नन्दकिशोर शास्त्री
लेखक-मदनविनोद
8- पीड़ा की चरम परिणति ही
सुख का समागम है।
श्री अंतु भाई वैद्य
लेखक-मस्तिष्क वनस्पति परिचय
9- मन शांत ही जाए,तो वह
इच्छाओं का मरण है।
वेधराज श्री चन्द्रराज भण्डारी
लेखक-वनोषधि चन्द्रोदय
10- अशांत मन ही नये-नये दुर्गम मार्गों के
बीच खोजी,अन्वेषक बनकर सहजता
स्थापित करता है।
वैद्य कृष्णचन्द्र चुनेकर
लेखक-वानस्पतिक अनुसंधान दर्शिका
11- मन में जो भी आये कह दें,तो अनावश्यक
क्लेश व भारीपन से बाख जाएंगे।
श्री कविराज उमेशचंद्र गुप्त वैद्य
12- बनाबटी शांति भीतरी धोखा है
औऱ उससे गहन आघात का भय है।
श्री वैद्य हिरामण मोतीराम जंगले
लेखक-सचित्र वनस्पति गुणादर्श
13- जिंदगी सहज मार्ग नहीं है
कभी पानी की तरह हिलेगी,तो
कभी आंधियों की तरह प्रचंड बनेगी।
पण्डित भगीरथ स्वामी वैद्य
लेखक-संदिग्धनिर्णय वनोषधिशास्त्र
14- दुख आने पर जो घबरा नहीं जाता,
सुख के समय जिसका सिर,फिर
नहीं जाता, जो राग,भय,और क्रोध
का शिकार नहीं होता।
उसकी प्रज्ञा स्थिर हो जाती है।
वैद्य श्री काशीराज शर्मा सुवेदी
लेखक-सौश्रुत निघण्टु:
15- सदाबहार शांति सत्य नहीं है----
तो सदा अशांत भी असत्य है।
टीका महेश्वर,आयुर्वेद अमरकोश
16- हथोड़े और पत्थरों में चोट नहीं होगी,
आघात-प्रतिघात नहीं होंगे,तो जिंदगी
भटकी हुई अकेली आवाज हो जायेगी।
वैद्यमणि कैलाशपति पाण्डेय
लेखक-गुणरत्न माला
अपने ब्रेन (मस्तिष्क,दिमाग,बुद्धि)
को तेज़ व तनावरहित बनाने के लिए
ब्रेन की गोल्ड माल्ट का सेवन करें