अमृतम- वात-विकारों का काम खत्म | How to deal with diseases associated with Vata Dosha | Learn with Amrutam- Part 2

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अमृतम- वात-विकारों का काम खत्म | How to deal with diseases associated with Vata Dosha | Learn with Amrutam- Part 2
पिछले ब्लॉग में 5 प्रकार के वात के बारे में बताया । आगे अन्य और वातरोगों की चर्चा करेंगे
Vatta dosha amrutam*मज्जागत वात वायु*
वायु दूषित होकर
बाहर नहीं निकल पाती, तब यह मज्जा में
स्थित होकर प्राणी पीड़ा से परेशान हो जाता है ।
यह पीड़ा कभी शांत नहीं होती ।
निरन्तर बनी रहती है । शेष लक्षण *हड्डिगत वातवायु* अर्थात हड्डियों में ठहरी हुई वायु समान होते हैं ।
शरीर की कोई भी पीड़ा प्राणी को पनपने
नहीं देती । तन और धन का नाश कर मन खिन्न
बना देती है  ।
*अमृतम उपाय* इसका  उपाय यही है कि अधिक से अधिक गुनगुना पानी पिये ।
*‎ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट* 1-1 चम्मच
तीन बार गुनगुने दूध से ।
*ऑर्थोकी गोल्ड कैपसूल* 1-1 दो बार चाय से
ब्रेन की टेबलेट 2 गोली रात में दूध से 1 बार
*भयंकर दर्द नाशक तेल* की मालिश करें ।
सुई सी चुभने वाली पीड़ा का मूल कारण
राहु है । अतः पीड़ा रहित होने हेतु
शनिवार को सुबह 9 से 11 के बीच
5 दीपक राहुकी तेल के जलावें ।
*शुक्रगत वात वायु*
जब कामवासना के कारण कुपित वायु वीर्य में प्रवेश कर जाती है ,तब
वह वीर्य को स्वखलित नहीं होने देती,
कच्चे गर्भ को ही गिरा देती है अथवा
उसे मूढ़ कर देती है । वीर्य का रंग
बदलकर उसे खराब कर देती है ।
वात-दूषित वीर्य से उत्पन्न होने के
कारण गर्भ कच्चा ही गिर जाता है ।
गर्भ मूढ़ भी हो सकता है ।
*अमृतम उपाय* - बी.फ़ेराल माल्ट
एवम कैप्सूल दोनों 2-3 बार गर्म
दूध से केवल पुरुषों को सेवन करना
चाहिए ।
*महिलाएं*नारी सौन्दर्य माल्ट 1-1 चम्मच
गुनगुने दूध से 3 बार लेवें ।
*काया की तेल* की मालिश कर स्नान करें ।
ऑर्थोना टेबलेट की 2-2 गोली 3 बार चाय
या जल से लेवें ।
पापं शांति उपाय- शुक्रवार को किसी 1 स्त्री
1 कन्या को को 1-1 अमृतम तेल की
शीशी 7 शुक्रवार सुबह 10 से 12 के
बीच दान करें ।
बाकी है अभी वात के कई प्रकार, कारण औऱ लक्षण जानने के लिए ब्लॉग पढ़े, देखे, लाइक व शेयर करें 
amrutam.co.in
*शेष जारी है*
 

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