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आंवले की 20 रहस्यमयी जानकारी, जिसे जानकर दंग रह जाएंगे। आंवला धनदायक वृक्ष है…
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- आयुर्वेद में हरेक ओषधि, फल, जड़ीबूटियां आदि सब अमृत है। लेकिन अनुपान भेद यानी सेवन की मात्रा और तरीका गलत होने से वही विष रूप हो जाती हैं।
- दिव्यगुण विज्ञान में किसी एकल ओषधि या चूर्ण एक दिन में 5 से 8 ग्राम तक खाने का निर्देश दिया है, क्योंकि ये सब सूखे चूर्ण जल्दी पचते नहीं हैं।
- द्रव्यगुण विज्ञान के अनुसार आंवले के पानी को सुबह खाली पेट पीना सबसे अच्छा माना जाता है।
- ऐसे ही इच्छाभेदी वटी को अगर सादे जल से लें, तो दस्त लगाती है और गर्म पानी से लेने पर दस्त बन्द कर देती है।
- फलों के बारे में बताया है कि व्यक्ति के वजन का एक फीसदी लेना हितकारी है, वह भी सूर्यास्त के पहले तक ही उपयोग करना चाहिए। जैसे आपकके शरीर का वजन 50 किलो है, तो एक दिन में अधिकतम 500 ग्राम फल या जूस ले सकते हैं।
- दूध दही, घी जितना पचा सकें उतना ही लेवें।
- नीम, हल्दी, अदरक, तुलसी आदि एक दिन आधा से एक ग्राम तक श्रेष्ठ है।
- एलोवेरा, लौकी, करेले का रस 10 मिलीलीटर तक पर्याप्त है।
- प्राचीन ग्रंथ आयुर्वेद सहिंता के अनुसार रात को दही, अरहर की दाल, उड़द की दाल आदि खाने से पित्त की वृद्धि होती है।
- भैषज्य रत्नावली के मुताबिक जिस वस्तु को पकाने में अधिक समय लगता है, उसे पचाने में 5 गुना वक्त लग जाता है। इसलिए सुपाच्य या जल्दी पचने वाले पदार्थों को भोज्य करने का निर्देश है।
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- जाने आंवला चूर्ण के फायदे…. आंवला नियमित खाने से सावला व्यक्ति पर भी निखार आ जाता है।
- आंवला बुढापे को रोकता है। च्यवनप्राश एवं त्रिफला चूर्ण का यह मूल घटक है।
- धनदायक उपाय…स्कंदपुराण के अनुसार स्वयं भी सपरिवार इस दिन इस वक्ष के नीचे भोजन करने से धन लाभ होने लगता है।
- आंवला ग्यारस के दिन 108 परिक्रमा लगाने से पूरे साल कोई भी रोग, दुर्घटना नहीं होती।
- आंवला एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण इम्युन सिस्टम ठीक कर इम्युनिटी बढाता है और इसी कुदरती गुण की वजह से आँवला चूर्ण उम्र रोधी यानि एंटी-एजिंग होता है।
- आंवला मेटाबोलिज्म और डिटोक्सिफीकेशन को बढाकर दिल की नाड़ियों एवं रक्तकणों स्वस्थ रखता है।
- आंवला कफ को सन्तुलित कर गले की खराश ठीक करता है और नेत्रज्योति बढ़ाता है।
- आंवला दमा-अस्थमा, पुरानी खांसी, स्किन और बालों के लिए फायदेमंद रहता है।
- आमला (Emblica officinalis) …वयस्थामलको दृष्या जातीफलरसं शिवम् ॥ ३७॥ पात्रोफलं श्रीफलंच तथा भूतफलस्मतम्! विष्वामलकमाख्यातं कात्री तिष्यफलामुता॥३८॥ हरीतकीसमं धात्रीफल किन्तु विशेषतः ।रक्तपित्तप्रमेहन पर वृष्यं रसायनम्॥३६॥ हन्ति वातं तदम्लत्वात्थितं माधुर्यात्वतः वार्फ मानकषायत्त्वात्फलं धाग्यास्त्रिदोषजित् ।। पर्याय-वस्था, आभन्नी वया, जातीफालरसा, शित, धात्री फल, श्रीफल, अमृत फल तथा आभरे ये सब आँवला के संस्कृत नाम हैं। भावप्रकाश ग्रन्थ।
- आँवला के अन्य भाधाओं में नाम….बं०-आमला, आमलकी भाषाभेद से नामभेद--हिं०--आमला, आंवला। म०काम्वट्ठा । मुब०-आँवलो। क०–नेल्लि । तै० उसरकाम । फा-आमला सि० नल्ली। इंग-एम्बलिक माइरोबैलेन्ज, (Emblic Myrobalans फाइललेन्थस एम्बलिका (Phyllanthus Enblica)।
- विशेष-स्वाद--आंवला कसैला, खट्टापन लिये, हानिप्रद-प्लीहा को। हानिनिवारक शहद, बादाम का तैल।
- आंवले के अभाव में-काबली हरड़ लेवें। जो गण हरड़ के हैं वही गुण आँवले के भी है।
- आंवले की विशेषता यह है कि यह रक्तपित व प्रमेह को हरने वाला एवं अत्यधिक धातुवर्द्धक बलदायक रसायन है।
- आमला--अम्लरस से वायु को, मधुरस से और शीत होने से पित्त को, रूक्ष व कषाय होने से कफ को जीतता है। अतः यह त्रिदोपहर है ।। ३७-४० ।।
- आंवला फलमज्जा के गुण.
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यस्य यस्य फलस्येह वीर्य भवति यादशम्।
तस्य तस्यैव वीर्येण मज्जानमपि निदिशेत॥४॥
- :अर्थात जिस-जिस फल के जिस प्रकार के वीर्य होते हैं, उस-उस फल के मज्जा के भी वही वीर्य जानना चाहिए ।
- आंवला का परिचय-….आमला--इसके पेड़ क्या उद्यान और क्या जंगल प्रदेश सर्वत्र पाये जाते है।
- आंवला के पेड़…. बड-बट २०० से ३०० फुट तक ऊँचे तथा पतियाँ इमली के पत्तों से मिलती जुलती और पीलवर्ण की होती है। पतझड में पत्तों के झड़ जाने पर टहनियों में जहाँ-जहां पर से टहनियाँ निकलने वाली होती है, वहाँ हांथ सी बन जाती है।
- वसन्तागमन के पूर्व ही उनसे टहनियाँ फटती है और पत्ते लग जाते है। पीले-पीले छोटे-छोटे पुष्प भी लग जाते है। पुष्पकाल-आश्विन । फल भी लगने लग जाते है और कात्तिक में स्वाद व रस स्पष्ट हो जाता है।
- चैत्र में फल पक कर तैयार हो जाते है। अब इसे औषधिकार्य में प्रयोग किया जा सकता है। इस वृक्ष को उद्यानों में बड़े शौक से लगाते हैं। केवल फल के लिय ही नहीं, अपितु कात्तिकी अक्षय नवमी को इस वृक्ष के तले पशुओं को चने, गेहूं खिलाने का बहुत बड़ा माहात्म्य भी माना गया है।
- फल-कई प्रकार के होते है। जंगली आमलों क फल, एक दम छोटा होते है। रोपित वृक्षों के फल बड़े-बड़े होते है। फलों का आकार अण्डाकार होता है। वजन २ से ६ तोले तक होता है।
- बड़े फल अक्सर मुरब्बा और amrutam च्यवनप्राश बनाने के काम में अधिक प्रयुक्त होते है। फल के ऊपर छ रेखा व भीतर षट्कोण कटोर गुठली होती है।
- पाश्चात्यमतानुसार विश्लेषण :-~--गलिकासिट, (Gallic Acid) टेनिक एसिड (Tanmic Acid) शकरा. स्वतीक, ( Albumcin) तथा काप्टोज। ये पदार्थ विश्लेषण करने पर पाये जाते है।
- प्रयोग और फल-ताजाफल स्निग्ध, भूत्रल एव भटुरेचक होता है। अत पुराने उदगमय में हितकारी है।
- सूखा आंवला शुष्कफल...-शीतल, पाचक तथा उत्तेजक होता है। कुकुम, नीलकमल व गुलाबजल के साथ किया गया लेप सिर दर्द वा आधा शोशी के लिए हितकारक है।