जानें सर्दियों में गुलकन्द खाने के 50 चमत्कारी फायदे। पित्तदोष शांत कर, पेट की बीमारियों और स्त्रीरोगों से बचाता है…
जानें सर्दियों में गुलकन्द खाने के 50 चमत्कारी फायदे। पित्तदोष शांत कर, पेट की बीमारियों और स्त्रीरोगों से बचाता है…
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गुलकन्दके सेवन से ठीक हो जाते हैं-घातक व असाध्य रोग…
सर्दी में गुलकन्द दूध के साथ लेने से जमा हुआ पुराना पित्त निकल जाता है।
पेट की तकलीफों से परेशान ऐसे लोगों को सर्दी-जाड़े के मौसम में गुलकन्द जरूर खाना चाहिए।
गुलकन्द रस-रक्त निर्मित कर नवीन वीर्य निर्मित कर गाढ़ा करती है, जिससे मर्दाना ताकत में गजब का इजाफा होता है।
गुलकन्द के सेवन से महिलाओं का मासिकधर्म सुचारू होकर सौंदर्य उभरता है।
ये खासतौर पर उन युवतियों के लिए अच्छा होता है, जो पीसीओडी या सोमरोग से पीड़ित हैं।
गुलकन्दखाने से बच्चों में बल-बुद्धि का विकास होता है।
ग्रन्थिशोथ यानि थायराइड में गुलकन्द में 50 mg हल्दी मिलाकर गर्म दूध के साथ लेने से जबरदस्त आराम मिलता है।
जाड़े या सर्दियों के मौसम में जरूर खाएं गुलकन्द, इसके फायदे जानकर रह जायेंगे दंग। कई बीमारियां दूर करने में सहायक है-अमृतम गुलकंद
आयुर्वेदिक शास्त्रों के मुताबिक गुलाब के फूलों से निर्मित स्वादिष्ट गुलकन्द के 53 औषधीय गुण और फायदे,
जो 35 प्रकार के पेट रोग व अन्य बीमारियों को जड़ से मिटाता है…भावप्रकाश निघन्टुकार ने गुलकन्द को ग्राही यानि सर्दी-गर्मी-बरसात पूरे साल ग्रहण करने योग्य लिखा है।
ग्राही का अर्थ है- जो द्रव्य उद्दीपन अर्थात भूख बढ़ाने वाला एवं पाचन मतलब भोजन को शीघ्र पचाने वाला।
अमृतम गुलकन्द शरीर के उष्ण अंश को सुखाकर घबराहट कम करता है।
यदि गुलकन्द घर का बना हो, तभी बहुत लाभकारी रहेगा। बाजार में मिलने वाला अधिकांश गुलकन्द अर्क निकला हुआ रहता है, जो असरकारी नहीं होता।
आयुर्वेद में…… गुलकन्द को सर्वश्रेष्ठ पित्त, हाइपर एसिडिटी, अफरा, अम्लपित्त, नाशक और हल्का दस्तावर ओषधि बताया है।
शरीर की शुद्धि हेतु तथा सभी टोक्सिन मिटाने के लिए गुलकन्द को 12 महीने या पूरे साल बेझिझक खाया जा सकता है।
उदररोग, आँतों के छाले या जख्म, अल्सर आदि यकृत के अनेक अज्ञात रोगों गुलकन्द बहुत गुणकारी है।
गुलकन्दबनाने की आयुर्वेदिक विधि- गुलाब की ताजी साफ पत्तियां 250 ग्राम, मिश्री या शक्कर 250 ग्राम सूखी हुई कांच की बरनी में इस प्रकार भरें।
पहले 50 ग्राम मिश्री डालकर ऊपर से 50 ग्राम गुलाब की पत्तियां, फिर 50 ग्राम मिश्री या शक्कर,
पुनः यही प्रक्रिया दोहराकर पूरा गुलाब व मिश्री भरकर कपड़े से बांधकर ढक्कन लगाकर धूप में रखें और हर दूसरे दिन हिलाते रहें।
एक महीने बाद शहद डाल कर मिलायें। गुलकन्द तैयार हो जाएगी। इसे स्पेशल बनाने के लिए इसमें 5 ग्राम स्वर्णमाक्षिक भस्म,
5 ग्राम वंग भस्म और 5 ग्राम प्रवाल पिष्टी एवं दालचीनी, इलायची अच्छी तरह मिलाकर रखें।
गुलकंद बनने में 40 से 45 दिन का समय लगता है। कभी धूप या गर्मी कम होने पर दो माह लग सकते हैं
सर्दी के मौसम में गुलकन्द खाने के फायदे…
द्रव्यगुण विज्ञान शास्त्र के अनुसार बुद्धि एवं याददाश्त बढ़ाने के लिए गुलकन्द रोज सुबह खाली पेट दूध के साथ सर्दी में जरूर लेना चाहिए।
गुलकन्द वर्ण्य है अर्थात रंग को निखारती है।
मधुर विपाक होने से यह धातुवर्धक है।
दक्षिण भारत, बंगाल, कर्नाटक, उड़ीसा आदि क्षेत्रों में मस्तिष्क-दौर्बल्य, कमजोरी विकारों में सदैव सेवन करते हैं।
इसे खाने से पाचन तंत्र को शक्ति मिलती है। मेटाबोलिज्म ठीक होता है तथा भूख खुलती है।
गुलकन्द अल्पमात्रा में कषाय होने से अतिसार, दस्त, प्रवाहिका, कोष्ठ वात, विबन्ध एवं पाचन विकार में उपयोगी है।
गुलकन्द महिलाओं के लिए अत्यंत हितकारी होती है- अनियमित मासिक धर्म, माहवारी बिगड़ना, पीसीओडी या सोमरोग,
श्वेत या रक्त प्रदर, बांझपन आदि स्त्री रोगों में गुलकन्द चमत्कारिक रूप से कल्याणकारी है।
गुलकंद खाने से माहवारी के समय होने वाली तकलीफ कम हो सकती है। ज्यादा रक्तस्राव होने पर गुलकंद खाने से लाभ मिल सकता है।
गुलकन्द पीरियड्स से पूर्व स्पॉटिंग के लिए अतिउत्तम ओषधि है।
ब्लैक डिस्चार्ज, ब्राउन डिस्चार्ज होता है तो ये गुलाब की पंखुड़ी का जैम यानि गुलकन्द खाने से आपको काफी राहत मिल सकती है।
खून की कमी है, तो गुलकन्द आपके हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करेगा।
श्वेतप्रदर में गुलकंद खाने से आराम मिल सकता है।
अमृतम गुलकंद खाने से युवतियों के कील-मुंहासे ठीक होते हैं और इससे त्वचा ग्लो करने लगती है।
गुलकन्द गर्भवती महिलाओं को गुलकन्द बहुत लाभदायक रहता है।
बहुत दुबले-पतले लोगों को जाड़े के समय सुबह एक पराठें में अमृतम गुलकन्द लगाकर गर्म दूध से खाने पर एक माह में वजन बढ़ता जाता है।
गुलकन्द उन्हें विशेष हितकारी है, जिन्हें बार-बार ज्वर या बुखार आता है। ऐसे मरीजों को सर्दी-गर्मी या बरसात सभी मौसम में गुलकन्द लाना लाभकारी रहता है।
पित्त की वृद्धि से कफ बढ़ता है। लिवर की खराबी का मूल कारण पित्त की अधिकता है। गुलकन्द खाने से समस्त उदर विकार दूर होकर यकृत को ताकत मिलती है।
गुलकन्द में प्राकृतिक नेचुरल फाइबर होता है इसीलिए यह कब्ज को दूर करता हैं।
गुलकन्द अर्श, पाइल्स, बवासीर को बढ़ने नहीं देती। शौच साफ और ढ़ीला आता है।
गुलकंद का लगातार उपयोग करने से अल्सर , पेट की जलन तथा एसिडिटी ठीक होती है।
अमृतम गुलकंद के उपयोग से शरीर की बदबू दूर होती है तथा यह गर्मी में ज्यादा पसीना नहीं आने देता।
गुलकंद खाने से गर्मी के मौसम में आने वाली नकसीर ठीक हो जाती है। यह गर्मी में के कारण लू लगना , जी घबराना ,चक्कर आना आदि ठीक होते है।
यह पेशाब में जलन को मिटाता है। इसे खाने से पेशाब खुलकर आने लगता है।
गुलकन्द शरीर से विषैले तत्व निकाल कर शरीर की अंदरूनी गर्मी को शांत करता है।
अमृतम गुलकंद मे एंटीऑक्सीडेंट होने से यह उम्र रोधी या एंटीएजिंग अर्थात बुढापा आने से रोकता है। शरीर में चुस्ती लाता है।
अमृतम गुलकन्द त्वचा को मखमली बनाता है। इसे खाने से त्वचा का रूखापन , खुजली , जलन , झुर्रियां आदि मिट जाते है।
यह मस्तिष्क नाड़ियों व नर्वस सिस्टम पर अच्छा प्रभाव डालता है जिससे मानसिक तनाव और टेंशन कम होता है।
अमृतम गुलकन्द खाने के बाद एक चम्मच ले ने से पित्ताशय की गर्मी को शांतकर लिवर को क्रियाशील बनाता है और पेट साफ रखता है।
जिन लोगों को आँतों की समस्या, अल्सर, छाले हों, आँतों में चिकनापन आ गया हो, उन्हें सर्दी में अमृतम गुलकन्द अवश्य लेना चाहिए।
एसिडिटी, गेस, जलन की शिकायत हो वे नियमित अमृतम गुलकन्द का सेवन करें।
यह जमे हुए मल को गलाकर पेट की सुप्त-कड़क नाड़ियों को मुलायम बनाता है। जिससे वात विकार मिटता है।
गुलकन्द पानी के साथ लेने पर भूख को सन्तुलित करती है और दूध के संग लेने से यह खुलकर भूख बढ़ाने की सर्वश्रेष्ठ ओषधि है।
अमृतम गुलकन्द रोज से निर्मित होता है। गुलकन्द रोज खाने से रोज-रोज के रोजा (भूख न लगना) आदि तकलीफों से राहत मिलती है। गुलकन्द पित्त नाशक होती है। दिमाग को शान्ति प्रदान करने में सहायक है।
अगर ज्यादा भोजन कर लिया हो तो अमृतम गुलकन्द एक चम्मच खाकर बाहीं करवट से एक घण्टे आराम करें, तो भोजन तुरन्त पच जाएगा। आलस्य भी नहीं आएगा।
भोजन उपरांत अमृतम गुलकन्द खाने से कभी गुर्दे की समस्या नहीं होती।
गले की खरखराहट, गले की खराबी या आवाज में भारीपन हो, तो एक पान में 20 ग्राम गुलकन्द, 200 mg कालीमिर्च, 200 mg अजमोद एवं 500 MG मुलेठी मिलाकर सुबह खाली पेट और रात में भोजन उपरांत सोने से पहले पान खाने से राहत मिलती है।
आयुर्वेद के विभिन्न ग्रन्थों में गुलाब फूल से निर्मित गुलकन्द को सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक चिकित्सा है। गुलकन्द पित्तदोषों को सन्तुलित कर पेट की बीमारियों के लिए अत्यन्त लाभकारी होती है।
गुलकन्द देह को शीतलता प्रदान करती है।
गुलकन्द संग्राही यानी मल को बांधकर उदर की मरम्मत करती है।
अमृतम गुलकन्द शुकर्जनक अर्थात नवीन वीर्य का निर्माण करती है। पुरुषार्थ बढ़ाती है
गुलकन्द शुक्राणुओं की वृद्धि कर वीर्य को गाढ़ा कर sexual Power बेशुमार वृद्धि करती है।
वात-पित्त-कफ (त्रिदोष) नाशक होने से रक्तदोष, खून की गंदगी दूर करने में कारगर है।
त्वचा के रंग को निखारकर शरीर के वर्ण को उत्तम बनाती है।
गुलाब फूलों से निर्मित शुद्ध गुलकन्द स्वाद में हल्की कड़वी, तिक्त, रसयुक्त होती है।
गुलकन्द पाचनतंत्र के लिए अमॄत ओषधि है।
गुलकन्दअजीर्ण, ग्रहणी यानि ibs रोग मिटाकर भूख को सन्तुलित कर शरीर को पुष्ट बनाती है।
गर्मी के समय गुलकन्द खाने नकसीर नहीं फूटती अर्थात नाक से खून नहीं निकलता।
गुलकन्द ह्रदय बलदायक होती है। गुलकन्द युक्त मिठुआ पान भोजन के बाद खाने से ह्रदय की धड़कन कम होती है। यह हार्ट को मजबूती देता है।
गुलकन्द प्यास की अधिकता सन्तुलित करता है
थकावट, ग्लानि, अवसाद/डिप्रेशन, भरम, चित्त की अस्थिरता आदि शारीरिक एवं मानसिक विकारों में गुलकन्द से अच्छा कोई पदार्थ नहीं है।
पेशाब की जलन, मूत्र की रुकावट, आंखों की जलन, धुंधलापन, में गुलकन्द अत्यंत उपयोगी है।
नाक-मुख या गले में खुश्की होने पर गुलकन्द को दूध के साथ मिलकर लेना चाहिए।
मुँह के छले, मुख व्रण होने पर गुलकन्द पान में डालकर तीन बार खिलाने से बहुत फायदा होता है।
हाथ-पैरों में कम्पन्न होने पर सुबह खाली पेट मुनक्के के साथ गुलकन्द, दूध के साथ लेने से राहत मिलती है।
सूखा कफ हो, कफ नहीं निकलता हो, तब मिठुआ पान में मुलेठी, अमृतम गुलकन्द, अनारदाना तथा सेंधानमक डालकर भोजन से एक घण्टे पहले खाना चाहिए।
कुछ लोगों का पेट सदैव खराब रहता है, कब्ज बनी रहती है, उन्हें सुबह एक चम्मच अमृतम गुलकन्द दूध के साथ और रात को एक गोली अमृतम टैबलेट के साथ सादे जल से लेवें।
भैषज्य रत्नाकर आयुर्वेदिक किताब के अनुसार गुलकन्द से होने वाले अन्य लाभ…
देह, तलवों एवं पेशाब में जलन होने पर 100 ग्राम पानी में 20 ग्राम गुलकन्द, 10 नग मुनक्के, 10 ग्राम अमॄतम मरोड़फली चूर्ण, 5 इलायची का काढ़ा बनाकर सुबह खाली पेट लेने से चमत्कारी लाभ होता है।
पथरी होने पर एक पान में 20 ग्राम गुलकन्द, 10 mg शुद्ध जयपाल या अमॄतम टेबलेट की एक गोली डालकर सुबह खाली पेट!
और रात को खाने से एक घण्टा पूर्व 15 दिन खाने से स्टोन गलकर निकलने लगती है। इस प्रयोग से पेट साफ होगा।
दस्त भी लग सकते हैं। घबराएं नहीं पानी खूब पियें। अन्य कोई चिकित्सा न करें।
अमृतम गुलकन्द 20 ग्राम और 2 नग अंजीर 200 ग्राम दूध में 100 ग्राम पानी डालकर इतना उबाले की आधा रह जाये।
फिर, अंजीर कादि खाते हुए गुनगुना दूध पी लें। 15 दिन के इस प्रयोग से लिवर की सभी समस्या मिट जाती हैं।
यदि यह उपाय न कर सकें, तो अमॄतम कीलिव माल्ट Keyliv Malt एक माह लेवें।
गुलकन्द की तासीर शीतल होने से यह हाथ-पैर, तलवों की जलन से बचाकर ज्वर नहीं पनपने देता।
जगत प्रसिद्ध गुलाब के फूलों में 100 से अधिक पंखड़ी होने से इसे शतपत्री भी कहते हैं। संस्कृत के एक श्लोक के अनुसार-
शतपत्री तरुणयुक्ता कर्णिका चारुकेशरा।
महाकुमारी गन्धाढया लाज्ञापुष्पाsतिमंजूला।।
शतपत्री हिमा ह्रदया ग्राहिणी शुक्रला लघु:।
दोपत्रयास्त्रजिद्वण्या कट्वी तिक्ता च पाचनी।।
अर्थात- गुलाब के संस्कृत नाम —शतपत्री, तरुणी, करजिका, चारुकेशरा, महाकुमारी, गन्धाढया, और अतिमंजुला ये सब हैं।
आयुर्वेदिक वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह भारतीय पौधा है। चरक सिद्धि स्थान अध्याय १० में स्वर्ण युथिका, पियंगू, रक्तमुली इत्यादि संगाहिक द्रव्यों के साथ तरुणी यानि गुलाब का भी उल्लेख मिलता है।
गुलाब की अनेक जातियां एवं भेद हैं, लेकिन लाल गुलाब विशेष उपयोगी है। इसे ही पूजा आदि में माला के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। शेष गुलाब को वर्णशंकर बताया है।
राजस्थान में श्रीनाथद्वारा मन्दिर एवं हल्दी घाटी में गुलाब की बहुत खेती होती है।
गुलाब से गुलकन्द बनाने के अलावा, बाहरी चिकित्सा, इत्र-सुगन्ध, शर्बत, गुलाब जल के लिए बहुत उपयोगी होता है।
गुलाब से निर्मित शुध्द रूह गुलाब इत्र 2 लाख रुपये लीटर मिलता है। लगभग एक लाख फूलों से 8 से 10 ML रूह इत्र निकलता है।
गुलाब जल का उपयोग नेत्र ज्योति बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
शरीर के किसी हिस्से में शोथ-सूजन होने पर गुलाब को पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी, अजमोद मिलाकर बांधने से आराम मिलता है।
पुराने जख्म पर गुलाब फूल का पावडर डालते हैं, जिससे व्रण जल्दी सूखने लगता है।
गुलाब के पाउडर को पूरे शरीर पर लगाने से पसीना आना, पसीने की बदबू मिट जाती है।
प्रेम और फ्रेम में उपयोगी गुलाब के साइड इफ़ेक्ट—
प्यार के इजहार में गुलाब के फूलों का बहुत महत्व है। यदि किसी प्रेमी या प्रेमिका ने गुलाब स्वीकार कर लिया, तो प्रेम की मौन स्वीकृति माना जाता है।
गुलाब को सन्सार में प्रेम के क्षेत्र में विशेष सम्मान प्राप्त है। हर साल 14 फरवरी को प्रेमियों के लिए रोज डे का अत्यन्त महत्व है।
लगता है- अंग्रेजों ने गुलाब शब्द से ही गु हटाकर लाब शब्द से लव (LOVE) खोजा गया हो।
प्यार/आशिकी हो या पीना दोनों नशावर्धक हैं। दारू जब ज्यादा हो जाती है, तो प्रेमी उल्टी करता है और जब आशिकी ज्यादा हो जाती है, तो प्रेमिका उल्टी करती है।
14 फरवरी रोज दिवस को गुलाब देने वाले अधिकांश प्रेमी ठीक 9 महीने बाद बालदिवस के दिन गुलकन्द लेने से कतराते हैं।
फ्रेम यानी मरने के बाद फोटो फ्रेम पर गुलाब पुष्प चढ़ाने का भी विधान है।
गुलाब का फूल तरुणी कुल (रोजेसी-Rosaceae) का पौधा है।
लैटिन भाषा में गुलाब को रोजा सेंटिफालिया (Rosa Centifolia linn.) कहते हैं।
गुलाब हिंदी, मराठी, गुजराती नाम है। संस्कृत में चारुकेशरा, कर्णिका कहा जाता है।
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