जाने - प्राचीन आयुर्वेद के बारे में पार्ट - 6 अति दुर्लभ ज्ञान

Read time : min

जाने - प्राचीन आयुर्वेद के बारे में पार्ट - 6 अति दुर्लभ ज्ञान

जाने - प्राचीन आयुर्वेद के बारे में पार्ट - 6

पिछले लेख पार्ट 5 में हमने तीन तरह के रोगों के बारे में लिखा था, अब जाने रोगों के स्थान शरीर में इन तीन स्थानों पर रोग पैदा होते हैं
तीन रोग स्थान --
तन-मन में रोगों के तीन स्थान बतलाए हैं

पहला रोग स्थान --

सबसे पहले शरीर की सप्त धातुओं में रोग उत्पन्न होते हैं। इन सात धातु के नाम निम्न प्रकार हैं

【1】रस
【2】रक्त या खून (blood)
【3】माँस
【4】मेद यानि चर्बी【5】अस्थि यानि हड्डी
【6】मज्जा
【7】शुक्र यानि वीर्य व स्त्रियों में रज

सप्तधातु की विकृति से होने वाले विकार -

【A】गलगण्ड (Goitre) इसे घेंघा रोग भी कहते हैं। घेंघा यानि गोइटर रोग थॉयराइड ग्लैंड के असामान्य तरीके से बढ़ने के कारण होता है।

【B】अपची या तपेदिक

(Tuberculous adenitis)
तपेदिक उपचार शब्द का उपयोग संक्रामक
(Infectious) रोग तपेदिक (क्षय या टीबी)
के लिए किया जाता है।

【C】अर्बुर्द (Tumors) मस्तिष्क अर्बुद (ब्रेन ट्यूमर) मस्तिष्क में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि है जो केन्सर युक्त (असाध्य) या कैंसरविहीन (सुसाध्य) हो सकती है। अर्बुर्द को कर्कट अर्थात केन्सर रोग भी कहा है, जिसमें कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित वृद्धि

(सामान्य सीमा से अधिक विभाजन),

रोग आक्रमण (आस-पास के उतकों {tissu}
का विनाश और उन पर आक्रमण) और कभी कभी अपररूपांतरण अथवा मेटास्टैसिस
(लसिका ग्रंथि या रूधिर यानी खून के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फ़ैल जाता है)

【D】कुष्ठ प्रभृति यानि गलित कुष्ठ (Leprosy Prbriti) सफेद दागों का आना। जीवाणुओं के कारण होने वाली एक दीर्घकालिक बीमारी है।

उपरोक्त सभी व्याधि सप्तधातु के कमजोर
होने वाले पहले प्रकार के रोग कहलाते हैं।

अमृतम मंथन --

शरीर में सबसे पहले वात, पित्त, कफ विषम
होते हैं, फिर अग्नि दोष, इसके बाद सप्तधातु
में रोग आते हैं। फिर त्वचा यानि चमड़ी में
और उसके बाद मर्म, अस्थि और संधि में
रोग पनपने लगते हैं। मर्म, अस्थि, संधि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी इसी श्रृंखला में पढ़ने
को मिलेगी।
दूसरा तीसरे रोग स्थान  के बारे में अभी शेष है।

अगले आर्टिकल पार्ट 7 में
2
अन्य रोग स्थान के बारे में जाने

 

 

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Talk to an Ayurvedic Expert!

Imbalances are unique to each person and require customised treatment plans to curb the issue from the root cause fully. Book your consultation - download our app now!

Learn all about Ayurvedic Lifestyle