-
आंखों की रोशनी बढ़ाने में चमत्कारी हर्बल माल्ट नेत्रों का सम्पूर्ण उपचार करेगा!-
आयुर्वेदिक ग्रन्थ रस-तन्त्र सार -आयुर्वेद सार संग्रह - भावप्रकाश निघण्टु - चरक सहिंतामें वर्णित ओषधियों के उपयोग से अपनीआंखों की चिकित्सा घर बैठे कर सकते हैं। अब दूर तक देखो.…
अमृतम आई की माल्ट की खास बात यह है कि इसका कोई भी दुष्प्रभाव या साइड इफेक्ट [Side Effects] नहीं है। यह पूर्णतः हानिकारक प्रभाव से मुक्त है।
अमृतम EYE KEY Malt तीन माह तक नियमित दूध के साथ लेने से आंखों की चमक, रोशनी बढ़ाता है।आई की माल्ट पुतलियों को गीला और साफ रखने में मदद करता है। आंखों में खराबी के कारण जाने!
- भाग्य जगाने के लिए रोज की भागमभाग से आंखों में गन्दगी, कचरा एना स्वाभाविक है। कम्प्यूटर, मोबाइल, टीवी की स्किन लगातार देखते रहने से नेत्रों में लचिलापन एवं नमी कम होती जाती है।
- दूषित वातावरण तथा प्रदूषण के कारण भी आंखों में जलन, खुजली, थकान आदि से आंखों की पुतलियों पर जोर पड़ता है।
- अधिकांश लोग नेत्रों की सुरक्षा के लिए रसायनिक आई ड्राप का उपयोग करते हैं। यह केवल बाहरी उपचार है।आंखों के अंदरूनी इलाज के लिए आयुर्वेद में 55 से ज्यादा द्रव्यों का वर्णन है। जैसे-अमृतम आई की माल्ट लेने से नयनों की ज्योति तेज होती है। यह नेत्र रोग के कारण होने वाला आधाशीशी के दर्द से निजात दिलाता है।आई की माल्ट शुद्ध आयुर्वेदिक दवा हैइसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।इसमें मिलाया गया त्रिफला क्वाथ नेत्र ज्योति बढ़ाने के साथ साथ बालों को भी झड़ने से रोकता है।आवलां मुरब्बा एंटीऑक्सीडेंट होने से यह शरीर के सूक्ष्म नाडीयों को क्रियाशील बनाता है।गुलकन्द शरीर के ताप ओर पित्त को सन्तुलित करती है।लाल आँखें रहना…लाल आंखें (या लाल आंख) एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंख की सफेद सतह लाल हो जाती है या “रक्तमय” हो जाता है। आई की माल्ट में मिश्रित ओषधियाँनेत्रों के सभी विकार हर लेती हैं।नेत्र की सूक्ष्म रक्त नाड़ियों को बल देकर दर्शन शक्ति को घटाने से रोकती हैं।केवल ऑनलाइन उपलब्ध आर्डर करें
- अमृतम पत्रिका के 5100 से अधिक ब्लॉग/लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें-
- कैसे बने जिन्दजील इंसान
- डिप्रेशन को कैसे दूर करें
- इम्युनिटी बूस्टर सप्लीमेंट
- कैसे करें सेक्सी औरत की पहचान
- थायराइड का स्थाई इलाजयह सब लेख गूगल पर amrutampatrika की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
- भावप्रकाष निघंटू, आयुर्वेद सार संहिता, द्रव्यगुण विज्ञान पुराने ग्रंथ और चक्षुउपनिषद आदि संस्कृत की पांडुलिपियों में आंखों के विकार बचने हेतु करीब 55 से अधिक जड़ी बूटियों, रस, भस्म एवम प्राकृतिक उपायों का वर्णन है।
आयुर्वेद के अनुसार नेत्ररोग नाशक घटक द्रव्य
- त्रिफला चूर्ण, त्रिफला मुरब्बा
- त्रिफला घृत , ख़श, पुदीना,
- तुलसी, गुलाब जल, ब्राह्मी,
- जटामांसी, सप्तामृत लोह,
- स्वर्णमाक्षिक भस्म, सेव मुरब्बा,
- करौंदा मुरब्बा, गुडूची,
- दारुहल्दी, गाजर मुरब्बा
- त्रिफला काढ़ा, गुलकन्द
- लोध्रा, मुलहठी, समुद्रफेन,
- पुर्ननवा मूल, शतावरी,
- नीम कोपल, अष्टवर्ग,
- चोपचीनी, शहद,
- स्वर्ण रोप्य भस्म-
- स्वर्ण भस्म, ताम्र भस्म, लौह भस्म,
- यशद भस्म, प्रवाल शंख, मुक्ति शुक्त,
- सिंदूर बीज, फिटकरी भस्म, नोसादर,
- कुचला, पिपरमेंट, नीलगिरी तेल, लौंग,
- दालचीनी, त्रिकटु चूर्ण, जटामांसी,
- कुटकुटातत्वक भस्म, वंग भस्म,
- शुध्हा गूगल बच, पीपरामूल, पोदीना सत्व,
- पारद भस्म, सज्जिकाक्षर, चन्दन, जीरा,
- ख़श ख़श, नागकेशर ओर बहुत कम मात्रा
- में बेल मुरब्बा जामुन सिरका।
- पेठा, जावित्री, जायफल अनार जूस,
- ब्राह्मी, शतावर, विदारीकन्द, अदरक,
- मधु,इलायची, नागभस्म, ताम्र भस्म,
- स्वर्णमाक्षिक भस्म ,प्रवाल भस्म आदि
55 से अधिक ओषधियाँ नेत्र चिकित्सा में लाभकारी है।
- आपकी आंखों के लिए एक बेहतरीन आयुर्वेदिक ओषधि। आई की माल्ट तनाव, धुंधुलापन, आंख आना, आंखों में थकान, पलको में सूजन, आंखों का किरकिरापन, आंख आना, पानी आना, सूजन, जलन, मोतियाबिंद आदि सब समस्याओं से बचाता है। EYEKEY Malt में उपरोक्त लिखी सभी तरह की जड़ीबूटियों के अलावा, काढ़ा, क्वाथ, रस-भस्म, मेवा, मुरब्बो का उपयोग किया है।
- माधव निदान, भैषज्य आदि किताबों में २७ तरह के नेत्ररोग या आंखों की परेशानियों का कारण, लक्षण एवम निदान का उल्लेख मिलता है
- आंखों की रोशनी कम होने या करने में पित्त दोष का सर्वाधिक योगदान है।
- लगातार कब्जियत बनी रहने या नियमित पेट साफ न होने से वात-पित्त-कफ का संतुलन बिगड़ जाता है।
- रात में दही खाना,
- दिन में नमकीन दही का सेवन,
- अरहर दाल अधिक लेना या रात में खाना
- रात में फल, जूस, सलाद लेना आदि इन सब वजह से शरीर में त्रिदोष व्यापने लगता है, जिससे मस्तिष्क भारी होकर नेत्र ज्योति कम होने लग जाती है।
- अधिक आलस्य, कसरत-व्यायाम, अभ्यङ्ग न करना, ज्यादा सोना, चाय बहुत पीना, बिना स्नान किये नाश्ता या भोजन करने, सिगरेट, शराब का हमेशा भक्षण करने से भी आंखों की रोशनी क्षीण होने लगती है।
- लालिमा आना या लाल आंख एक या दोनों आंखों में हो सकती है इसके अनेक कारण हैं जिनमें निम्न लक्षण सम्मिलित हैं-
- कम दिखाई देना,
- आंखों में सूजन
- कम दिखना
- माइग्रेन आधाशीशी का दर्द
- आंखों में लाली
- नेत्रों में थकान, तनाव
- आंखों में सूखापन यानि ड्राइनेस्स
- कम या साफ न दिखना
- आंखों का आना
- आंखों में नमी न होना।
- दूर या पास का न दिखना
- मोतियाबिंद की समस्या
- आँखों में चिड़चिड़ाहट
- आंखों में खुजली होना
- आँखों में दर्द बने रहना
- आंखों में निर्वहन
- धुंधली दृष्टि
- आँखों में बहुत पानी आना
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
(Sensitivity to light ) आदि समस्याओं का अन्त, अब 100 प्रतिशत आयुर्वेदिक अवलेह अमृतम आई की माल्ट से करें।
पाप दृष्टि या कुकमों से खराब हो जाती हैं आंखे - गरुड़ पुराण
- रोगों के मूल कारण इंसान के पूर्व जन्म या इस जन्म के पाप ही होते हैं. इसलिए आयुर्वेद में कहा है कि देवताओं का ध्यान-स्मरण करते हुए दवाओं के सेवन से ही शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं-
जन्मान्तर पापं व्याधिरूपेण बाधते।
तच्छान्तिरौषधप्राशैर्जपहोमसुरार्चनै:।।
जप, हवन, देवताओं का पूजन, ये भी रोगनाशक ओषधियाँ हैं।
- आंखों की बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए भविष्य पुराण में वर्णित चक्षुउपनिषद ग्रन्थ के चक्षु मन्त्र के बारे में जाने-पहली बार आराम से पढ़े, समझे और अमल भी करे
- आयुर्वेदिक शास्त्रों में आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए तांबे के पात्र/बर्तन में सुबह की धूप में रखा हुआ जल पीने की सलाह दी गई है।
समस्त नेत्ररोग नाशक आयुर्वेदिक ओषधि अवलेह
- रसतन्त्र सार आयुर्वेदिक योग नामक पुस्तक के मुताबिक सप्तामृत लोह, नवयस लोह, ताम्र भस्म, त्रिवंग भस्म, अभ्रक भस्म, प्रवाल पिष्टी, मोती भस्म सभी समभाग लेकर इसका दोगुना अमृतम त्रिफला चूर्ण मिलाकर 500 मिलीग्राम की एक खुराक बनाकर दिन में दो से तीन बार अमृतम आई की माल्ट के साथ सेवन करने से जीवन भर आंखों की रोशनी कम नहीं होती।
- अमृतम आई की माल्ट में उपरोक्त सभी रस-औषधियों का समिश्रण है। इसे जीवन भर वेझिझक सेवन कर सकते हैं। यह सोलह आना आयुर्वेदिक औषधि है। आई कि माल्ट के साइड इफ़ेक्ट कुछ भी नहीं है, जबकि साइड बेनिफिट अनगिनत हैं। एक महीने लगातार लेने से आप अदभुत आनंद की अनुभूति प्राप्त करेंगे।
- महा त्रिफला घृत, नागकेशर, जीरा, त्रिकटु आदि की मात्रा अपने नित्य भोजन में सम्मिलित करें।
- भोजन के बाद एक पका हुआ केला, इलायची एवं सेन्धान नमक के पॉवडर के साथ उपभोग करें।
- याद रखें- अधिक मात्रा में हल्दी, अदरक, लहसुन, अंडे, नीम की पत्ती, करेला का रस न लेवें।
Eyekey Malt | Vedic Recipe for Eyes
MRP ₹ 1,449
(Inclusive of all taxes)
Quantity: (400GM)
- Your eyes are governed by Alochaka Pitta, a sub dosha of Pitta, which becomes less balanced as you age. Amrutam’s Eyekey Malt is an authentic Ayurvedic solution that maintains your eye health and relieves stress. It contains the perfect blend of herbs, spices and bhasmas that provide nutrition for your eyes and help balance the doshas that affect vision.
कुछ घरेलू आसान उपाय भी करके देखें
- सुबह उठते ही पानी मुह में भरकर उससे आंखे धोएं।
- अमृतम त्रिफला चूर्ण रात को खाएं। सुबह त्रिफला पावडर से बाल व आंख धोएं।
- बताशे को गर्म कर यानी देशी घी में सेंककर उस पर कालीमिर्च पावडर भुरखकर खाली पेट 3 से 4 बताशे खाकर एक घण्टे पानी न पिएं।
- रोज नंगे पैर प्रातः की धूप में सुबह दुर्बा में 100 कदम उल्टे चलें।
- जिस आंख में तकलीफ हो उसके विपरीत पैर के अगूंठे में सुबह 4 से 5 बजे के बीच ब्रह्म महूर्त में स्नान करके सफेद अकौआ का दूध कम मात्रा में पैर के अंगूठे के नाखून पर लगाये।
- ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को आंखों की रोशनी और नेत्र संबंधी रोग का कारक ग्रह माना गया है। संसार में रोशनी का आधार सूर्य है। जन्मपत्रिका का दूसरा घर दायें (राइट) आंख और बारहवां घर बायें (लेफ्ट) आंख से संबंधित स्थितियों को दर्शाता है।
लोगों की लापरवाही
- दुनिया में अधिकांश लोग आंखों की कोई प्राकृतिक चिकित्सा नहीं करते। अक्सर देखा गया है कि-देह में छोटे-क्षणिक रोग जैसे-सिरदर्द, सर्दी-जुकाम, खांसी, बदन दर्द आदि के लिए अंग्रेजी दवाओं का भरपूर उपयोग करते रहते हैं। इन सबका असर आंखों की रोशनी पर भी पड़ता है।
- आयुर्वेदिक शास्त्रों में यहां तक लिखा गया है कि गलत दृष्टि, द्वेष-दुर्भावना, कुविचार, गन्दे चलचित्र, ब्लूफिल्म, दूषित साहित्य आदि के भोग से भी नयन सुख कमजोर होने लगता है।
आंखों की वैदिक मन्त्र द्वारा इलाज
- कृष्ण यजुर्वेद सहाखा के चक्षुउपनिषद में आंखों को स्वस्थ रखने के लिए सूर्य प्रार्थना का मंत्र का वर्णन है। इस मंत्र का नियमित पाठ करने से नेत्र रोग ठीक होकर दिव्य दृष्टि प्राप्त होने लगती है। प्राचीन काल के परमपूज्य त्रिकालदर्शी महर्षि चक्षुष्मती विद्या के जाप-पाठ करने से तीन लोक को देखने जानने की विद्या में पारंगत हो जाते थे।
- इस चक्षु विद्या मन्त्र के पाठ से उन लोगों की आंखें भी स्वस्थ्य होने लगती हैं, जब सारी चिकित्सा व्यवस्था हार मान लेती है। जिनकी रोशनी अल्पायु में ही कमज़ोर हो गयी है, उन्हें भी इस मंत्र के जप से लाभ मिलता है।
आंखों को स्वस्थ रखने वाला सूर्य मंत्र
- हथेली में एक चम्मच जल लेकर 3 बार भगवान विष्णु का ध्यान कर, अपनी आंखों की रोशनी बढ़ाने की प्रार्थना करते हुए नीचे का विनियोग पढ़कर जल को जमीन पर डाल देंवें।
- विनियोग : -
ॐ अस्याश्चाक्षुषीविद्याया अहिर्बुध्न्य ऋषिः, गायत्री छन्दः, सूर्यो देवता, ॐ बीजम्, नमः शक्तिः, स्वाहा कीलकम्, चक्षूरोगनिवृत्तये जपे विनियोगः।
चक्षुष्मती विद्या:
ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेजस्थिरोभव। मां पाहि पाहि।
त्वरितम् चक्षूरोगान् शमय शमय।
ममाजातरूपं तेजो दर्शय दर्शय।
यथाहमंधोनस्यां तथा कल्पय कल्पय।
कल्याण कुरु कुरु यानि मम पूर्वजन्मोपार्जितानि
चक्षुः प्रतिरोधक दुष्कृतानि सर्वाणि निर्मूलय निर्मूलय।
ॐ नमश्चक्षुस्तेजोदात्रे दिव्याय भास्कराय।
ॐ नमः कल्याणकराय अमृताय ॐ नमः सूर्याय।
ॐ नमो भगवते सूर्याय अक्षितेजसे नमः।
खेचराय नमः महते नमः रजसे नमः तमसे नमः।
असतो मा सद्गमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्योर्मा अमृतं गमय
उष्णो भगवान्छुचिरूपः हंसो भगवान् शुचिप्रतिरूपः।
ॐ विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं
हिरण्मयं ज्योतिरूपं तपन्तम्।
सहस्त्ररश्मिः शतधा वर्तमानः
पुरः प्रजानामुदयत्येष सूर्यः।।
ॐ नमो भगवते श्रीसूर्यायादित्यायाऽक्षितेजसेऽहोवाहिनिवाहिनि स्वाहा।।
ॐ वयः सुपर्णा उपसेदुरिन्द्रं
प्रियमेधा ऋषयो नाधमानाः।
अप ध्वान्तमूर्णुहि पूर्धि-
चक्षुर्मुग्ध्यस्मान्निधयेव बद्धान्।।
ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः। ॐ पुष्करेक्षणाय नमः।
ॐ कमलेक्षणाय नमः। ॐ विश्वरूपाय नमः।
ॐ श्रीमहाविष्णवे नमः।
ॐ सूर्यनारायणाय नमः।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
फलश्रुति-इस पाठ से होने वाला लाभ
य इमां चाक्षुष्मतीं विद्यां ब्राह्मणो नित्यमधीयते
न तस्य अक्षिरोगो भवति।
न तस्य कुले अंधो भवति न तस्य कुले अंधो भवति।
अष्टौ ब्राह्मणान् ग्राहयित्वा विद्यासिद्धिर्भवति ।
विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्मयं पुरुषं ज्योतीरूपं तपंतं सहस्ररश्मिः शतधावर्तमानः पुरःप्रजानामुदयत्येष सूर्यः ॐ नमो भगवते आदित्याय।