डिप्रेशन और दिमागी तनाव से पीड़ित बच्चे
इस भ्रम में न रहें कि अवसाद/डिप्रेशन सिर्फ
अधिक उम्र वालों को होता है. "वर्तमान दौर में बच्चे भी इससे पीड़ित हैं
स्कूलों में प्रतिस्पर्धा के चलते अच्छी पढाई न कर पाना, मंदबुद्धि होना, याददास्त की कमजोरी, बार-बार भूलना, पति-पत्नी के झगड़े, आपस संबंध ठीक न होना आदि से भी बच्चे डिप्रेशन में आ जाते हैं।
★ क्यों होता है डिप्रेशन?
★ क्या कारण है डिप्रेशन का?
★ डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं?
★ डिप्रेशन की समस्या किसे ज्यादा है?
★ अवसाद के बढ़ने की वजह?
★ किस देश में कितने पीड़ित
★ डिप्रेशन का निवारण
★ डिप्रेशन की चिकित्सा
★ डिप्रेशन के प्राकृतिक उपाय
डिप्रेशन के बारे में इस आर्टिकल में सब कुछ जानिए,जो आप जानना चाहते हैं।
सब अस्त-व्यस्त हो रहा है -
@ परिवार में बढ़ते घरेलू तनाव,
@ बिगड़ती आर्थिक स्थिति,
@ नैतिक मूल्यों की कमी,
@ जिम्मेदारी से भागना,
@ अव्यवस्थित दिनचर्या,
@ अत्यधिक व्यस्तता,
@ मन-मुताबिक या इच्छा अनुसार काम न होना या @ अपनी क्षमता पर संदेह,
@ कमजोर मनोबल,
@ अनुभवों की कमी,
@ आत्मविश्वास का टूटना
@ जैसी बहुत सी वजह बच्चों या
युवाओं में डिप्रेशन/अवसाद का कारण हैं!
इन सब के बाद भी लोग इस पर ध्यान नहीं देते। अधिकांश युवक डिप्रेशन को सामान्य बीमारी की तरह ही देखते हैं। लोगों की यह लापरवाही या उदासीनता कई बार काफी घातक हो जाती है।
नैचरल थेरेपी द्वारा मनोरोगियों का इलाज करने वाले आयुर्वेदिक चिकित्सकों का कहना है कि लोग डिप्रेशन से जूझ रहे रोगी यदि बचपन से ही ब्रेन की कोशिकाओं को क्रियाशील करने वाली आयुर्वेदिक ओषधियों को खाएं, तो बुढ़ापे में मानसिक समस्याओं,अवसाद आदि से बचकर दिमाग को शांत रखा जा सकता है।
भारत में भारी डिप्रेशन --
डब्ल्यूएचओ (WHO)
विश्व स्वास्थ्य संगठन का सर्वे बताता है कि भारत के युवाओं और बच्चों में बहुत तीव्रता से अवसाद (डिप्रेशन) के रोगी बढ़ते जा रहे हैं। मनोवैज्ञानिक सर्वे के मुताबिक अकेले भारत में करीब 35% लोग गंभीर डिप्रेशन का शिकार हैं। यह संख्या और भी ज्यादा हो सकती है। यह एक ऐसा मानसिक रोग है, जिसमें रोगी अकेलापन महसूस करता है।
हिंदुस्तान में बढ़ते अवसाद की वजह --
सुरसा के मुख की तरह ¶ बढ़ती महंगाई, ¶ परिवार का बोझ, ¶ वायु प्रदूषण और ¶ प्रदूषित खानपान की वजह से होने वाली बीमारियां और उन पर होने वाला खर्च और ¶ अन्य आर्थिक, ¶ समाजिक समस्याओं व ¶ मानसिक अशान्ति के कारण दुनियाभर में ¶ अवसाद (डिप्रेशन) मस्तिष्क सम्बन्धी तकलीफें दिनों-दिन तीव्र गति से बढ़ रही है।
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के हिसाब से विश्व की करीब एक तिहाई 250 करोड़ लोग यानि 33 फीसदी जनता लगभग डिप्रेशन (अवसाद), दिमागी अंसतुलन, याददास्त की कमी, मनोविकार, मानसिक बीमारियां, भूलने की आदत,घबराहट (एंजाइटी), बेचेनी, चिन्ता, भय, फ़िक्र आदि ब्रेन की बीमारी या समस्याओं से पीड़ित व परेशान है।
कहाँ कितने फीसदी हैं डिप्रेशन में --
डिप्रेशन भारत में इस समय दसवीं सबसे सामान्य समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने विश्व के 20 से अधिक देशों में करीब 95 हजार लोगों पर शोध किया,तो ज्ञात हुआ कि केवल हिंदुस्तानी
मेजर डिप्रेसिव एपिसोड (एमडीई)
36 फीसदी लोग अवसाद से पीड़ित
हैं। दूसरे नंबर पर यूरोपीय देश फ्रांस है,
यहां 32.3% और तीसरे नंबर पर यूएसए (USA) जहाँ पर 30.9 प्रतिशत मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर से हैं। इस सूची में सबसे नीचे पायदान पर है, "चीन" जहां सिर्फ 12 फीसदी लोग इसके शिकार हैं।
महिलाओं को ज्यादा है डिप्रेशन --
डिप्रेशन की समस्या महानगर की महिलाओं में ज्यादा तेजी से पैर पसारती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 'इनवेस्टमेंट इन हेल्थ रिर्सच एंड डेवलपमेंट' नाम की एक रिपोर्ट में आशंका जाहिर की गयी है कि आने वाले भविष्य में डिप्रेशन विकलांगता का प्रमुख कारण बन सकता है. एक अनुमान के अनुसार साल 2021 तक भारत में मानसिक रोगियों की भरमार होगी। जिसमें डिप्रेशन दूसरी सबसे बड़ी बीमारी होगी और
महिलायें ज्यादा पीड़ित होंगी, इसलिए नेचुरल हर्ब्स, मिनरल्स, प्रोटीन का अधिक से अधिक सेवन करें। इन सबकी पूर्ति के लिए हम ब्रेन की गोल्ड माल्ट एवं टेबलेट 2 से 3 महीने तक नियमित खाने की सलाह देते है।
प्रतिस्पर्धा के इस दौर में ब्राह्मी,शंखपुष्पी, जटामांसी,वच,सेव मुरब्बा, मालकांगनी जैसी ब्रेन की कोशिकाओं को रिचार्ज करने वाली ओषधियों का बच्चों को बचपन से सेवन कराया जाए, तो याददास्त तेज और माइंड शार्प होता है। पढ़ाई में मन लगता है। वह भी हर क्षेत्र में अपार सफलता पा सकता है।
15 दिन लगातार खिलाया जाए, तो बच्चों में ब्रेन की गोल्ड खाने से आत्मिक सुख की प्राप्ति स्वयं से होगी। इस आत्मिक आनंद की अनुभूति को प्रकट नहीं किया जा सकता।
विज्ञान मनुष्य की तरंगों का अध्ययन कर सकता है किन्तु मस्तिष्क की तरंगों का कैसा प्रभाव पड़ रहा है इसकी जानकारी भारत के प्राचीन धर्मग्रंथों, वेदों, आयुर्वेद ग्रंथों में उपलब्ध है तथा अभी अनेकों खोज, शोध, सर्वेक्षण और अनुसंधान हो रहे हैं।
आज तक वैज्ञानिक अनुसंधान इतना बता पाया है कि मनुष्य की जो मस्तिष्क की तरंगे हैं अल्फा, उसमें अत्याधिक रूप से वृद्धि हो रही है और अन्य तरंगों से डिप्रेशन बढ़ता है जिसकी वजह से निराशा और नाकारात्मक चिंतन भरता है।
प्राकृतिक चिकित्सा शास्त्रों के अनुसार आयुर्वेदिक ओषधियों का प्रभाव सचेतन अवस्था पर होता है।
जो भी लोग (बच्चे,बूढ़े, महिलाएं-पुरुष) अमृतम ब्रेन की गोल्ड माल्ट और टेबलेट का नियमित सेवन करते हैं, तो उनके ब्रेन की तरंगों में परिवर्तन होता है अल्फा तरंगे अत्यधिक रूप से वृद्धि को प्राप्त होती है उसके मस्तिष्क में अल्फा बीटा तरंगे कैसे प्रभावित हो रही है? शरीर में क्या परिवर्तन हो रहा है? हमारे मस्तिष्क की स्वास्थ्य क्रियाओं में क्या परिवर्तन हो रहा है।
ब्रेन की गोल्ड के खाने से कुछ ही दिनों में अहसास होने लगता है, क्यों कि-
ब्रेन की गोल्ड 100% आयुर्वेदिक ओषधि है इस कारण ब्रेन की सभी अति सूक्ष्म रक्तनाडियों में तेजी से खून का संचार (ब्लड सर्कुलेशन) सुचारू कर मस्तिष्क में बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने लाता है।
ब्रेन की गोल्ड को 2 से 3 माह तक लगातार लेने से
【1】मानसिक बीमारियां दूर होती हैं।
【2】साकारात्मक सोच में अत्यधिक वृद्धि होती है।
【3】समस्त मनोविकारों को दूर करता है।
【4】कार्यक्षमता में वृद्धि करता है।
【5】अनावश्यक चिन्ता, भय-भ्रम मिटाता है।
【6】नींद गहरी और समय पर लाता है।
【7】 मनोबल बढ़ता है।
【8】आनंद की अनुभूति होती है।
【9】अवसाद या डिप्रेशन, तो हो ही नहीं सकता।
अवसाद दूर करने की 100% आयुर्वेदिक दवा
ब्रेन की गोल्ड सभी वर्ग आयु के लोगों की याददास्त बढ़ाकर, अवसाद दूर करने के लिए समान रूप से लाभकारी है। ब्रेन की गोल्ड का घटक-द्रव्यों, जड़ीबूटियों एवं ओषधियों कीअधिक जानकारी
पेज पर उपलब्ध है।
प्राचीन परम्पराओं को भी समझे
प्राकृतिक इलाज या आयुर्वेद अपनाएं
अपने बच्चों को दें- ऊर्जा उमंग भरा जीवन --
एक अनुमान के अनुसार अवसाद के कारण
युवाओं में आत्महत्या का चलन बढ़ रहा है।
यदि बचपन से ही ब्रेन की गोल्ड
दिया जाए, तो बच्चों के मस्तिष्क का विकास होने लगता है, उनमें जीने की लालसा, कुछ कर गुजरने की उमंग-ऊर्जा उत्पन्न होने लगती है।
अवसाद पर नियंत्रण संभव है --
अवसाद (डिप्रेशन) को कम करने वाली
100% आयुर्वेदिक दवाइयां www.amrutam.co.in
पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
अन्य प्राकृतिक उपाय
■ खेल कून्द, कबड्डी, व्यायाम को भी अवसादरोधी माना जाता है।
■ वैज्ञानिकों का कहना है कि डिप्रेशन दूर करने में नियमित कसरत बहुत मददगार है।
■ ब्रिटेन की "मानसिक स्वास्थ्य चैरिटी" पहले ही अवसादग्रस्त लोगों के लिए व्यायाम करने की सलाह का समर्थन कर चुकी हैं।
■ येल विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के मुताबिक चूहों पर किए प्रयोग से पता चला है कि नियमित व्यायाम से अवसादग्रस्त लोगों को मदद मिलती है।
■ नियमित व्यायाम से मन प्रसन्न रहता है।
■ आयुर्वेद शास्त्रों में भीअवसाद/ डिप्रेशन मरीजों को को नियमित रूप से योगा-प्राणायाम, ध्यान या घूमने फिरने के निर्देश दिए हैं।
■ तनाव से दूर रहें --
शोधों से पता चला है कि तनाव ब्रेन की कोशिकाओं पर बुरा असर डालता है
‘नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों का कहना है कि तनाव रहित रहकर खुश रहना स्वयं में एक कारगर दवा है।
स्थाई आयुर्वेदिक इलाज-
1 से 2 चम्मच 2 या 3 बार दूध अथवा पानी से
ब्रेन की टेबलेट
1 से 2 गोली दिन में 2 या 3 बार लेवें
आयुर्वेद शास्त्रों जैसे -
< चरक सहिंता < सुश्रुत सहिंता
< वनोषधि विज्ञान < वनोषधि चन्द्रोदय
के मुताबिक ब्रेन की गोल्ड में मिली ओषधियाँ
मस्तिष्क की निम्न तकलीफों को कम करने में सहायक है -
【】भुलक्कड़ पन दूरकर, याददास्त बढ़ाता है।【】क्रोध, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, घबराहट, बैचेनी, शान्त करने में सहायक है।【】आत्मविश्वास में कमी, हीनभावना, डिप्रेशन दूर करता है【】रात में अच्छी नींद लाकर, पढ़ाई और काम करने की उमंग उत्पन्न करता है।【】 सिरदर्द, माइग्रेन, आधासीसी, कुछ रखकर भूल जाना आदि
करीब 55 तरह की मानसिक विकृतियों
का इलाज ब्रेन की गोल्ड करने में सक्षम है।
इसे आयुर्वेद की मानसिक विकार नाशक 55
हर्बल हर्ब्स के काढ़े, मुरब्बे, सत्व व रस
से तैयार किया है, जो दिमाग के बहुत से अज्ञात मानसिक रोग दूर करने में सहायता करता है।
कितने दिन में होता है लाभ -
-ब्रेन की गोल्ड- 100 फीसदी शुद्ध हर्बल मेडिसिन है, यह तत्काल फायदा नही करती। इसे कम से कम 15 दिन नियमित खाने के बाद इसके अदभुत परिणाम दिखाई देने लगते हैं। स्थाई लाभ के लिए ब्रेन की गोल्ड माल्ट और टेबलेट को 3 से 5 माह तक सेवन करना जरूरी है।
ब्रेन की गोल्ड में डाली गई दवाएँ ब्लॉक कोशिकाओं एवं ब्रेन की क्षतिग्रस्त रूधिर नाडियों को संचचरण करने में शुरू में 10 से 15 दिन का समय लेती हैं।
ब्रेन की गोल्ड - चिन्ता,•तनाव,•डर, •भय, •डिप्रेशन,•अवसाद, •क्रोध दूर कर अच्छी • नींद लाता है।
बच्चों की याददास्त तेज करने में इसका कोई
सानी नहीं है।