तंदुरुस्त रहने के 16 आसान उपाय और सेहत बनाने वाली आयुर्वेदिक औषधि क्या है?

तंदुरुस्त रहने के 16 आसान उपाय और सेहत बनाने वाली आयुर्वेदिक औषधि क्या है?

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तंदुरुस्त रहने के 16 आसान उपाय और सेहत बनाने वाली आयुर्वेदिक औषधि क्या है?

स्वस्थ्य रहने के कुछ कायदे हैं। जिन्हें अपनाने के लिए आपको स्वयं से वादे करना आवश्यक है और फिर, फायदे ही फायदे हैं।

विद्वानों ने बाबा विश्वनाथ से विनती करते हुए सभी के स्वस्थ्य होने की कामना करते हुए लिखा है कि- तन को जितना विश्राम दोगे, यह उतना ही परेशान करेगा, रोग देगा और शरीर को जितना थकाओगे, ये उतना ही आराम देगा।

किसी सन्त ने सही कहा है कि-

शरीर त्याग बिना नहीं बनता, चाहे कर लो लाख उपाय। धन, ध्यान बिना नहीं बढ़ता चाहे कर लो लाख उपाय।।

सेहत बनाने के सोलह स्वास्थ्यवर्द्धक सूत्र और सरल तरीके, जो सदैव सर्वश्रेष्ठ बनाएंगे..सेहत केवल ज्यादा हेल्दी फ़ूड खाने या डाइटिंग अकेले से नहीं बनती।

छोटा सा यह सूत्र आपके स्वास्थ्य, सेहत को ठीक रखेगा। अमृतम पत्रिका, ग्वालियर मप्र.
शरीर रूपी गाड़ी में ओवर लोडिंग और ओवर डाइटिंग दोनों ही खतरनाक है। दरअसल हम लोग अनजाने में ही अपनी सेहत खराब कर रहे हैं।

हमारी कुछ गतिविधियां मन-मस्तिष्क, बल-बुद्धि और तंदरुस्ती को नुकसान पहुंचा रही हैं। इससे हर क्षेत्र में गति अवरोध हो रहा है। जिससे हम उन्नति, उत्साह का उत्सव नहीं बना पाए रहे।

उन्नति, सफलता में शरीर ही सहायक है। शरीर को समझने के लिए हमें आयुर्वेद के ग्रन्थों का अध्ययन स्वयं ही करना होगा। गूगल के ज्ञान के भरोसे न चलें। क्योंकि बहुत सी जानकारी गलत उपलब्ध हैं, जो सबको भ्रमित कर रही हैं।

हमारे विचार-कुविचार, द्वेष-दुर्भावना, खानपान, अव्यवस्थित लाइफ स्टाइल तथा शारीरिक गतिविधियां हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। इसका असर हमारे दिमाग पर भी पड़ रहा है।

तंदरुस्ती के लिए हमें ही बदलना, समझना तथा संभलना होगा…

अकेले समय बिताना बन्द करें। कुछ लोग घर से ज्यादा निकलते नहीं हैं। बुढ़ापे का आवरण ओढ़कर घर में पड़े रहते हैं। कुछ इस तरह –

एक घण्टा न्यूज देख लो, तो लगता है। अब जीना व्यर्थ है, हम कुछ ही घण्टे के मेहमान हैं, तो कुछ लोगों ने समाचार देखना बन्द किया।

प्रसन्न रहने का फार्मूला आपके अंदर ही है। सांस भी अच्छी चल रही है, फेफड़े भी एकदम टनाटन है, अन्यथा ये चैनल वाले तो मारने, कमजोर करने एवं मुक्तिधाम पहुँचाने का पूरा इंतजाम किए बैठे है।

एक दवा, जो सदैव देगी साथ…हरड़, आंवला मुरब्बा, गुलकन्द का सेवन करें या इनसे युक्त दवाएं सेवन करें।

अच्छी तंदरुस्ती के लिए अमृतम गोल्ड माल्ट 3 तरह के मुरब्बे एवं 27 असरकारी ओषधियाँ से तैयार किया है। इसका नियमित सेवन करें।

यह भूख को सन्तुलित करेगा। रक्त की वृद्धि कर देह ओज-ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाएगा। बुढापा आने से रोकेगा। जीने की उमंग में वृद्धि करेगा। इसे आयुर्वेद के 5000 साल पुरानी पध्दति के अनुसार निर्मित किया है।

पेट खराब रहता हो, कब्जियत हो, पाचन तंत्र कमजोर हो, तो 2 गोली रात को अमृतम टेबलेट सादे जल से हमेशा लेते रहें।

ये दोनों आयुर्वेदिक दवाएं हानिरहित हैं। इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है बल्कि इनके साइड बेनिफिट असंख्य है।

व्यायाम, जिम, योगा, प्राणायाम आदि सभी शुभ कर्म प्रातःकाल के समय खाली पेट ही करें।
कसरत करने के एक घण्टे बाद पानी पिएं।
सप्ताह में एक से 2 बार सारे शरीर की मालिश ओषधि युक्त से जरूर करें। काया की ऑयल बेहतरीन है।

बुद्धि की शुद्धि हेतु शतरंज, बैडमिंटन जैसे खेल खेलें।
रात को सोने के बाद कुछ न खाएं।
बिना स्न्नान के अन्न ग्रहण न करें।
पसीना आ रहा हो, तब पानी न पिएं।
पानी खड़े होकर न पिएं।
भोजन धैर्य से चबा चबाकर खाएं।

जब कसकर भूखह लगे, तभी भोजन करना श्रेष्ठ होता है, इससे पाचनतंत्र मजबूत होकर इम्युनिटी बढ़ती है।
सबसे अच्छा व्यवहार बनाकर चलें। किसी का मन खराब न करें अन्यथा उसकी बद्दुआ आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती है।
दिन भर में ग्रीन टी, जूस आदि पेय पदार्थ केवल 2 ही बार लेवें।
मीठा दही हमेशा सुबह के समय लेवें। नमकीन दही लेना हो उसमें दुगुना पानी मिलाकर लेना चाहिए।
द्रव्यगुण विज्ञान शास्त्र के अनुसार रात को फल, जूस, सलाद, तुअर की दाल न लेवें। इससे जठराग्नि तथा पाचन शक्ति कमजोर होकर पित्तदोष की वृद्धि होती है।
सम्भव हो, तो बेजुबान पशुओं की सेवा करें। कुछ खिलाएं।

कबीरदास जी ने कहा है कि-ईश्वर ने जैसी चदरिया दी है, हमें वैसी ही वापस करना चाहिए। अर्थात हम स्वस्थ्य आये हैं, तन्दरुस्त ही जाएं।
गैस बनी, तो रिलेक्स खत्म…आयुर्वेद का नियम है…उदर वायु से आयु क्षीण हो जाती है। गेस विकार शरीर में हाहाकार मचा देते हैं।

उदर में कब्ज रहने से जलन होती है तथा असंख्य वायुविकार एवं गैस की समस्या उत्पन्न होने लगती है। अगर समय रहते ध्यान नहीं देते, 10 विकृतियां देह को तबाह कर देती है एवं होते हैं 10 तरह की बीमारी…

लिवर, किडनी, आंते और पाचनतंत्र विकृत हो जाते हैं।
पेट में दर्द बना रहता है।
बीपी हाई या असन्तुलित रहता है
हृदय कमजोर होने लगता है।
सिर में लगातार दर्द बना रहता है।
गुदा और गुर्दे के रोग होने लगते हैं।
चक्कर आते रहते हैं।
सिर व शरीर भारी रहता है।
हाथ-पैरों में कम्पन्न रहता है
बुढ़ापा जल्दी आता है।
पेट की गर्मी मिटाकर राहत पाएं…

अमृतम द्वारा निर्मित जिओ माल्ट- ZEO Malt एक शुद्ध आयुर्वेदक दवा है।

ZEO Malt में आंवला मुरब्बा, हरड़ मुरब्बा, सेव मुरब्बा, गुलकन्द, मधुयष्ठी आदि अनेक कारगर औषधियों का मिश्रण है। ऑनलाइन उपलब्ध!

रोग-राग के अनेक रिश्तेदार आकर शरीर पर कब्जा कर लेते हैं। फिर रोज-रोज का रोजा (भूख न लगना) हमारी मजबूरी हो जाती है। तन-मन का पतन होने लगता है तथा निम्नलिखित व्याधि शरीर की शक्ति आधी कर देते हैं!

बीमारी बनी रहने की वजह…कब्ज बनी रहना,, वायुविकार, पेट में जलन, उल्टी जैसा मन होना। भूख न लगना। आदि रोग से लोग परेशान रहते हैं।

आयुर्वेदिक घरेलू उपचार…पेट की जलन और वायु विकार में मुलेठी एवं गुलकन्द युक्त पान खाने के बाद लेवें, तो गैस से तुरन्त राहत मिलती है।

दूसरी घरेलू चिकित्सा…रात में 4 छोटी हरड़, 8 मुनक्का, जीरा, अजवायन, धनिया, इलायची, गुलाब फूल सभी 1–1 ग्राम, अमृतम त्रिफला चूर्ण 5 ग्राम सभी को 400 ml पानी में 12 या 18 घण्टे पहले किसी मिट्टी के पात्र में गलाएं।

औषधि बनाने की विधि…सुबह सबको उपरोक्त पानी आधा रहने तक उबाले। फिर अच्छी तरह मसलकर छाने ओर इसमें 10 ग्राम गुड़, सेंधा नमक 2 ग्राम मिलाकर एक बार और गर्म कर ठंडा करें।

सेवन करने का तरीका….100 ml सुबह खाली पेट लेवें। शेष दवा खाने के पहले दो बार में लेवें। यह उपाय 30 दिन करें, तो पेट के सभी साध्य-असाध्य विकार शनक्त हो जाते हैं। लिवर क्रियाशील यानि एक्टिव हो जाता है।

पेट की गैस-जलन मिटाने हेतु इसे भी आजमाऐं… सप्ताह में दो बार मूंग की दाल का पानी जरूर पिएं। हो सके, तो मूंग की दाल में रोटी गलाकर खावें। पेट के रोगों में यह बहुत मुफीद है।

# अमरूद, गुलकन्द, मुनक्का, किसमिस, अनारदाना और अमलताश गूदा आदि.

कब्ज, गैस, उदर रोग, जलननाशक तथा पेट को ठीक रखने वाली प्राकृतिक औषधियाँ हैं।

ये परहेज करने से स्वास्थ्य सही रहेगा…

# रात को फल, जूस, सलाद के सेवन से बचें।

# अरहर की दाल सबसे ज्यादा कब्ज पैदा करती है। पेट की बहुत सी बीमारी इसी की वजह से होती है। इसका उपयोग कम से कम करें।

#यदि दाल खाने का बहुत मन हो, तो अधिक से अधिक जल जरूर पियें।

# हमेशा एसिडिटी रहती हो, तो खाने के तुरन्त बाद एक पान गुलकन्द युक्त चबचबाकर खाएं।

# सुबह बिना नहाए कुुुछ भी अन्न न लेवें। अधिकांश लोगों ने यह आदत बना ली है कि…सुबह चाय के साथ बिस्किट आदि बिना स्नान के ही लेते हैं, जो शरीर के लिए बेहद हानिकारक है।

#दरअसल हमारे शरीर में 70 फीसदी पानी का हिस्सा है, इसलिए शरीर की पहली जरूरत पानी है। स्नान से देह की शुद्धि हो जाती है। सारे संक्रमण धुल जाते हैं।

# पानी जवानी बनाये रखता है। पानी से ही वाणी शुद्ध होती है।

# बिना नहाए, खाया गया अन्न शरीर में अनेकों दोष एवं रोग उत्पन्न करता है।
विज्ञापन वाले चूर्ण, टेबलेट से सावधनी बरतें…

# सोशल मीडिया, tv आदि पर चल रहे विज्ञापन पेट साफ करने वाले सभी चूर्ण सनाय तथा शुद्ध जयपाल जैसी नुकसानदेह औषधियों से निर्मित होते हैं, जो तत्काल तो लाभ देते हैं, किन्तु बाद में रोगों का कारण बनते हैं। इनसे बचे।

स्वास्थ्य वर्धक तथा तन्दरुस्त रहने के लिए अमृतमपत्रिका गूगल पर सर्च कर पढ़ सकते हैं

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