डेंगू की आयुर्वेदिक दवा
डेंगू संक्रमण एक “हड्डी तोड़ बुखार” है।
चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक संक्रमण है। डेंगू फीवर वायरस के कारण तेजी से फेल रहा है। करीब 200 वर्ष पूर्व के आसपास डेंगू के बारे में पता चला था
डेंगू 1835 से पहले मच्छर के काटने से उत्पन्न हुआ ऐसा मानते हैं।
हालांकि डेंगू के कारण, लक्षण और इस बीमारी के संक्रमण फैलने से संबंधित विवरणों का पता 20 वी सदी में चला है। 21वी सदी में डेंगू फीवर अब महामारी का रूप ले चुका है।
यह किसी को, किसी भी उम्र में, कभी भी
हो सकता है।
डेंगू फीवर के लक्षण –
डेंगू से पीड़ित लोगों में सामान्यतः निम्न लक्षण
(सिम्टम्स) दिखाई दे सकते हैं:
【】तेज़ बुखार 【】उल्टी
【】त्वचा पर रैशेस【】सिरदर्द,
【】थकान, 【】चकत्ते,
【】जी मिचलाना, 【】पेटदर्द,
【】खून व भूख की कमी
【】नजर धुंधली होना,
【】मांसपेशियों में अकड़न
【】जोड़ों व हड्डियों में दर्द,
【】निम्न रक्तचाप ((BP Low)
यानि ब्लड प्रैशर कम होना।
【】ब्लड प्लाज़मा लिकेज
【】ब्लड प्लेलेट्स का स्तर कम होना
आदि तकलीफों से रोगी पीड़ित हो सकता है।
डेंगू तीन तरह का होता है
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)
डेंगू की आयुर्वेदिक चिकित्सा
100% आयुर्वेदिक ओषधि
“फ्लूकी माल्ट” आयुर्वेदिक ग्रन्थ –
भावप्रकाश निघण्टु और
रस तन्त्र सार सिद्धप्रयोग संग्रह
में उल्लेखित जड़ीबूटियों से निर्मित एक
विलक्षण ओषधि है,जो
■ डेंगू फीवर,
■■ बुखार,मलेरिया,
■■■ चिकनगुनिया आदि अनेक
■■■■ ज्वरविकारों को दूर कर सभी तरह के संक्रमण (वायरस) बचाव करने में सहायक है।
आयुर्वेद ग्रंथों में 12 तरह के खतरनाक संक्रमण बुखार तथा 24 प्रकार के सामान्य ज्वर/फीवर और बहुत सारी ज्वर नाशक ओषधियों का वर्णन है, जिसके द्वारा डेंगू/मलेरिया को जड़ से मिटाया जा सकता है।
वर्तमान में 54 से अधिक मलेरिया नाशक डेंगू की एक अनुभूत (पेटेंट) ओषधि
फ्लूकी माल्ट के नाम से उपलब्ध है। आपको या आपके परिवार में किसी भी बच्चे, बुजुर्ग, महिला या पुरुष डेंगू न हो, इसके लिए फ्लूकी माल्ट का नियमित सेवन कर सकते हो।
अथवा निम्नलिखित घरेलू चिकित्सा द्वारा
डेंगू से बचा जा सकता है।
5 नग पीपल के पत्ते
10 नग पपीते के पत्ते
5 नग नीम के पत्ते
10 नग तुलसी के पत्ते
10 नग गिलोई के पत्ते या सूखी गिलोय
10 ग्राम नेपाली चिरायता
10 ग्राम कालमेघ
10 ग्राम पुनर्नवा
15 ग्राम महासुदर्शन चूर्ण
15 ग्राम त्रिफला
9 ग्राम त्रिकटु
9 ग्राम त्रिसुगन्ध
100 ग्राम द्राक्षा
100 ग्राम देशी गुड़
सबको मिलाकर करीब 16 गुने पानी में इतना उबाले कि काढ़ा लगभग 2 गुना रह जाए। तत्पश्चात इसे ठंडा करके शीशी में भरकर फ्रिज में रख लें। 200 मिली पानी में दो से तीन चम्मच मिलाकर एक दिन में 3 से 4 बार तक और 5 दिन तक लें।
विशेष ध्यान देवें —
यह काढ़ा अथवा फ्लूकी माल्ट वर्ष भर पूरा परिवार सेवन करें, तो हमेशा सभी प्रकार के ज्वरः, संक्रमण या वायरस अथवा प्रदूषण से होने वाले बुखार/मलेरिया या अन्य किसी भी तरह की बीमारियों
से बचाया जा सकता है।
फ्लूकी माल्ट के बारे में और जानने के लिए
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अमृतम आयुर्वेदिक शास्त्रों
का मानना है कि रोग 2 या 4 दिन में उत्पन्न
नहीं होते। लगातार जीवनीय शक्ति व
रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी, त्रिदोष अर्थात वात,पित्त,कफ के बिगड़ जाने से
ज्वर,मलेरिया,डेंगू जैसे इस तरह के रोग/फीवर जैसी व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं।
आयुर्वेदिक दवाओं (हर्बल मेडिसिन) द्वारा
काफी हद तक डेंगू जैसे संक्रमण/वायरस
से बचाव किया जा सकता है।
नवीन शोधों/रिसर्च के मुताबिक
आयुर्वेदिक दवाएँ प्रतिरोधक क्षमता एवं
इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने में विशेष कारगर हैं।
अमृतम आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार- ये 40 कारण है मलेरिया औऱ डेंगू फीवर होने के