दीपावली स्वास्थ्य-सुख-संपन्नता, ऐश्वर्य दायक हो।
धनतेरस से भाई दोज तक ये
पंचतत्व युक्त-पावन "पंचपर्व"
की परम्पराएं प्राणियों
को परम् प्रसन्नता प्रदान करें।
आप सभी पर "राहु-केतु" स्वरूप
श्री गणेश का वरद हस्त हमेशा बना रहे।
अमङ्गल नाशक
"भगवान कार्तिकेय"
बल, सुख और तेज देकर अपनी
"मङ्गलदृष्टि" बनाये रखें।
"महाराजाधिराज महाकाल"
"काल" (मृत्यु) से सबकी रक्षा करें।
महालक्ष्मी-परम् सौभाग्यशाली बनाये!
महाकाली-परम् ज्ञान प्रदान करे!
महासरस्वती-वाक्य वृद्धि दे!
64 योगिनियां,
षोडस मातृकाएँ,
10 महाविद्याएं,
9 दुर्गाएँ,
सप्तघृत माताएं
हमें अष्टसिद्धियाँ,
धन-धान्य,
ज्ञान एवं वाणी सिद्धि में
परिपूर्णता देवे।
गुप्त रूप में स्थित
महातपस्वी, महात्मा,
सद्गुगुरु सबको सदमार्ग सुझावें।
हमारे कुल देवी/देवता,
इष्ट देवता, पितृ/पूर्वज गण,
पितृ मातृकाएँ - मातृ माताओं
की हम पर सदैव कृपा दृष्टि
बनी रहे।
"असतो मा सदगमय ॥
तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥
मृत्योर्मामृतम् गमय" ॥
ॐ शान्ति:शाँति:शांति:!!
भोलेनाथ और
भगवान सूर्य
से प्रार्थना है कि -
सारे संसार को
असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।
अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।।
मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥
चहुँ ओर शान्ति हो।
सृष्टि में सम्पूर्ण जीव-जगत को
दीपावली की ("दीप+अवली")
यानि दीपों की श्रृंखला
तन-मन, जीवन को प्रकाशित तथा
रोशनी से लबालब करे।
इन्ही प्रेरित अमृतम शब्दों
के माध्यम से
!!अमृतम!! परिवार
देश के सभी महापुरुषों,
महाबलिदानियों और
सभी पुण्यात्माओं को
प्रणाम, "सादर नमन" करते
हुए अनन्त-असंख्य और
कोटि-कोटि "शुभकामनाएं"
प्रेषित करता है।