हमारी इम्युनिटी या रोगप्रतिरोधक क्षमता क्यों खत्म होती जा रही है?

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हमारी इम्युनिटी या रोगप्रतिरोधक क्षमता क्यों खत्म होती जा रही है?

!!वक्त की मार है कि-हम बीमार हैं!!

समय हो या स्वास्थ्य हथेलियों से फिसलती हवा है। ज्ञान का अजीर्ण और अज्ञान की अपूर्णता से बीमारी को बल मिलता है।

रोग सर्वप्रथम इम्यून सिस्टम पर ही आक्रमण करता है। जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार होकर क्षयग्रस्त होने लगता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक खबर
में बताया है कि-खराब डाइट,
पाचनतंत्र, मेटाबोलिज्म की कमजोरी
से कोरोना जैसे वायरस से संक्रमित
होने की आशंका बहुत बढ़ जाती है।

टुफ्ट्स यूनिवर्सिटी अमेरिका के 

फ्रेडमेन स्कूल ऑफ साइंस के
मुताबिक दुनिया में 5 में एक व्यक्ति
का ही मेटाबोलिज्म मजबूत है। इस
वजह से भी हर साल 5 लाख से ज्यादा
लोग मर रहे हैं।
खराब मेटाबोलिज्म,
कमजोर पाचनतंत्र इम्युनिटी पॉवर को
घटा देता है। अतः आयुर्वेद दवाओं का
सेवन रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
 
अमृतम गोल्ड माल्ट (स्वर्णभस्मयुक्त)
मेटाबोलिज्म को करेक्ट कर प्रतिरक्षा
प्रणाली मजबूत करने वाली 100
फीसदी हर्बल ओषधि है।

इसे तीन माह तक नियमित एक से दो
चम्मच तक दूध या जल से लिया जावे, तो
देह के दुष्ट दुःख-दर्द दूर कर देता है।
 
भारत सरकार द्वारा प्रकाशित
आयुर्वेदिक फार्मूलेशन ऑफ इंडिया (AFI)
नामक पुस्तक के योग-घटक अनुसार निर्मित
और आयुष मंत्रालय से प्रमाणित
"अमॄतम गोल्ड माल्ट" नियमित लेवें
 
एक दवा से 100 रोग सफा....

अमृतम गोल्ड माल्ट (स्वर्णभस्म युक्त) 

एक असरकारी आयुर्वेदक ओषधि है, जो
इम्युनिटी/रोगप्रतिरोधक क्षमता में तेजी वृद्धि करता है। क्योंकि यह स्वर्णयुक्त है..
....
स्वर्ण भस्म के अनसुलझे रहस्य और चमत्कारी फायदे....

स्वर्ण एक उत्तम उम्ररोधी (एंटीएजिंग) रसायन है। रसायन का अर्थ है, जो बुढ़ापे को आने से रोके तथा जवानी बरकरार रखे।
आयुर्वेद में अमॄतम स्वर्ण भस्म को एक बेहतरीन रोग प्रतिरोधक शक्ति दायक द्रव्य माना गया है।
वैद्यरत्न, पण्डित रामप्रसाद द्वारा सन 1902 में रचित संस्कृत ग्रंथ रसेन्द्र पुराण के पृष्ठ 241 पर स्वर्ण के बारे में बहुत ही दिलचस्प जानकारी दी गई है।

सोना हर्बल है, इसमें हर बल है....

अर्थात स्वर्ण शरीर में हर-बल प्रदायक है।

यह निर्बल व्यक्ति को बलशाली बनाता है। स्वर्ण भस्म युक्त "अमृतम गोल्ड माल्ट” के  खाने से, तन में तरंग, हलचल शुरू हो जाती है।

स्वर्ण/गोल्ड भस्म को आयुर्वेद की सर्वश्रेष्ठ ओषधि माना गया है। आयुर्वेद के अनेक ग्रन्थों में इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है। जैसे-

©- रसेन्द्र सार संग्रह,

©- रसराज, रस तन्त्रसार,

©- आयुर्वेद सारसंग्रह आदि अनेक किताबो के किबाड़ खोलने पर स्वर्ण के चमत्कारी परिणामों का खजाना मिलता है।

रोगों का रायता फैलने से रोकता है-सोना

स्वर्ण भस्म युक्त दवाएँ  ¶कृशता, ¶निर्बलता, ¶बुढापा, शारीरिक क्षीणता, ¶जरा रोग, ¶टीबी, नपुंसकता, शुक्राणु की कमी, ¶वातरोग, ¶मधुमेह, ¶मानसिक बीमारी, ¶याददाश्त की कमी, डिप्रेशन, ¶तनाव आदि ऐसा कोई विकार नहीं है, जो स्वर्ण भस्म के उपयोग से दूर न हो।

® स्वर्ण की खोज, 

® शुद्ध सोने की पहचान

® सुनारों की समझदारी आदि अनेक अनजाने आलेख, आंखों में लाने एवं जानने के लिए नीचे दोनो लिंक क्लिक करें-

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स्वर्ण देवी महालक्षमी की महिमा....

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क्यों बनाया गया "स्वर्ण भस्म"  युक्त

अमॄतम गोल्ड माल्ट - फायदे जानकर आनंदित हो जायेगें।

इसे अन्न ग्रहण करते समय खाने से पहले या बाद में बच्चों को एक तथा बड़ों को दो चम्मच लेकर अपने भोजन का ही हिस्सा बनाएं, तो बार-बार डॉक्टर के द्वार जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

आयुर्वेद के "रसेन्द्रचिंतामणि ग्रन्थ" में अमॄतम स्वर्ण भस्म के संस्कृत श्लोकों में गुणधर्मो का उल्लेख है...
मधुरं कटुकं पाके स्वर्णम् वीर्य शीतलं।
सर्वदोष प्रशमनं विषध्नं गरनाशनम्।।
आयुर्मेधा स्मृतिकर: पुष्टिकान्ति विवर्धन:
सर्वोषधि प्रयोगैर्ये व्याधियो न विनिर्जता:

अर्थात-
स्वर्ण भस्म वात-पित्त-कफ त्रिदोषों को शान्त कर, शरीर के विषयुक्त जहरीले (टोक्सिन)
को जड़ से मिटाकर नवजीवन प्रदान करती है। प्रतिरक्षा प्रणाली सुदृढ बनाती है।
स्वर्ण भस्म युक्त अमॄतम गोल्ड माल्ट
संक्रमण उत्पादक विषाणुओं-जीवाणुओं का नाश कर सेन्द्रिय विष जला देता है।
शरीर की कड़क या शिथिल कोशिकाओं-नाड़ियों को ऊर्जावान और मुलायम बना देता है। 

★ स्वर्ण भस्म त्वचा में चमक लाता है।

★ अंडकोष की ग्रंथियां बलवान बनती हैं। ★ व्याकुलता, बेचैनी विकार कम होने लगते हैं।

★ नींद अच्छी लाने में सहायक है।

★ यह आयु, बल-बुद्धि, कान्ति-स्मृतिवर्धक और पुष्टिदाता है।

★ ऐसे असाध्य रोग जो किसी भी ओषधि से ठीक न हों, स्वर्ण भस्म के सेवन से दूर हो जाते हैं।

रस कामधेनु शास्त्र के स्वर्ण भस्म संस्कृत सूक्ति के अनुसार-
आरोग्यं...रोगप्रशान्तये देवदेवेश्वर सदा...
यह श्लोक बहुत विस्तृत है...

भावार्थ- निम्न रोगों में उपयोगी स्वर्ण जैसे-
क्षय आदि दोष दूर करने, रोगप्रतिरोधक
शक्ति प्राप्ति के लिए देवदेवेश्वर (स्वर्ण) का सदैव सेवन करना चाहिए

स्वर्ण भस्म धातुक्षीणता, नपुंसकता, मर्दाना ताकत की कमी, सेक्स की कमी, शीघ्रपतन, जीर्णज्वर, वातवाहिनियों एवं रक्त वाहिनियों की निर्बलता, नाड़ियों-कोशिकाओं की शिथिलता, मानसिक अशान्ति, भय-भ्रम, चिन्ता, बेचैनी, पुराना कास-श्वास,
दमा-अस्थमा, अन्न से अरुचि, शरीर में गर्मी, नेत्र व तलवों में जलन, उन्माद, सोरायसिस जैसे त्वचा/विषविकार, मधुमेह-प्रमेह आदि बीमारियों को जड़ से मिटाती है।

मधुमेह रोगी ध्यान देवें-

अमॄतम गोल्ड माल्ट आँवला, सेव, हरड़ मुरब्बे, गुलकन्द, अश्वगंधा, सतावर आदि से निर्मित होने के कारण यह मीठा अवलेह है। लेकिन मधुमेह से पीड़ित इसे केवल सुबह दूध के साथ एक चम्मच लेवें! यह जोड़ो की सूजन,कमजोरी, अनियमित मल त्याग, उदर विकार तथा शरीर की कम्पन्न से राहत देने में सहायक सिद्ध होगा।

3 या 4 दिन इसका सेवन करके देखें। लाभ होने पर लगातार केवल सुबह एक बार लेते रहें। यदि डाइबिटीज बढ़ती दिखे अथवा कोई हानि या साइड इफ़ेक्ट का एहसास हो, तो फिर न लेवें।

गोल्ड भस्म के नियमित उपभोग से
ह्र्दय को बल मिलता है।
अमॄतम गोल्ड भस्म से निर्मित माल्ट

महिलाओं के पीसीओडी रोग, सफेद पानी, लिकोरिया समस्याओं से राहत दिलाता है।

बच्चों को बलवान बनाये...

शिशुओं को बार-बार होने वाले सर्दी-खांसी, जुकाम, न्युमोनिया, छाती चलना, सूखारोग नाशक कारगर ओषधि है।
बढ़ते बच्चों की बल-बुद्धि में वृद्धिकर लम्बाई बढ़ाता है। बचपन से ही अपने लाडले को यदि अमॄतम गोल्ड माल्ट खिलाया जाए, तो वे जल्दी-जल्दी बीमार नहीं पड़ते और ताउम्र स्वस्थ्य-तन्दरुस्त, फुर्तीले रहते हैं।
स्वर्ण भस्म युक्त अमृतम गोल्ड माल्ट-  आलस्य, सुस्ती, थकान से बचाता है आप चाहेें,  दुकान में रहें या मकान में!  कहीं भी किसी भी जहान में रहो, थकान होना उम्र का तकाजा है, इससे बच नहीं सकते।

चलता हुआ शरीर अंततः थकता ही है।
थका, तो रुका और जो रुका, वही दर-दर ठुका...फिर वह पूरी तरह फुका बल्ब की
तरह हो जाता है।

थके हुए तन को ऊर्जा-अग्नि की जरूरत
पड़ती है। आयुर्वेद ओषधियों से शरीर
को शक्ति,ऊर्जा और अग्नि मिलती है।
आयुर्वेद अमृताग्नि है। यह विकारों का
विनाश ही नहीं करती, निर्माण का प्राणाधार भी है। शरीर के भीतर का मूल तत्व इम्युनिटी पॉवर या प्रतिरक्षा प्रणाली अर्थात अग्नि है। जिस दिन अग्नि निश्चेत हो गयी, तो कोरोना जैसे वायरस या अन्य संक्रमण तन का तमाम कर देते हैं। फिर, मनुष्य का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है।

■ आयुर्वेद चिकित्सा सार,
■ आयुर्वेद योगरत्नाकर
■ द्रव्य-गुण विज्ञान आदि
उपरोक्त आयुर्वेद शास्त्रों में शरीर के
अन्दर अनेक प्रकार की अग्नि का उल्लेख
आया है, जिनमेें कुछ खास-जाने...

[1] दाक्षिणाग्नि
[2] गारहप्तयाग्नि
[3] आवाहनियाग्नि
[4] जठरानल अग्नि
[5] दावानल अग्नि
[6] वाडवानल अग्नि
हमारी जिव्हा/जीभ पर भी 3 तरह की
अग्नि का वास है, जिसे अग्निजिव्हा कहा
गया है, जिस कारण सभी प्राणियों में
मात्र मनुष्य ही बोल पाता है ।
【१】रसवती
【२】मधुमती【३】प्रज्ञावती

ये अग्नियां उदर को ऊर्जावान बनाये रखती
हैं, इसी से पाचन तन्त्र मजबूत रहता है।

उदर में अग्नि-ऊर्जा प्रज्वलित कर जागृत बनाये रखने तथा रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए-

अमॄतम गोल्ड माल्ट (स्वर्णयुक्त)
अत्यंत लाभदायक है। यह
@ पेट में जमी गन्दगी, @ कब्ज, @ गैस, @ संग्रहणी आदि की साफ-सफाई कर अनेक अंदरूनी उदर विकारों को मल विसर्जन द्वारा जड़-मूल से बाहर कर देता है।

इसे 3 महीने कम से कम खाना जरूरी है ।
क्योंकि ये आयुर्वेदिक चिकित्सा है।
यह अपना प्रभाव तभी दिखाता है जब,
तक शरीर में त्रिदोष का नाश न हो जाए ।

आयुर्वेद रोग निदान“
नामक कृति में भी लिखा है कि
हर्बल ओषधि सबसे पहले तन से त्रिदोष
(वात-पित्त-कफ) का दूर करती है,
फिर रोगों को जड़ से ठीक करना शुरू
करती है। अतः जिन्हें धैर्य-विश्वास हो,
जो हर प्रकार से पूर्णतः निरोग होकर प्रसन्न रहना चाहते हैं, वे ही लोग आयुर्वेद से लाभ उठा सकते हैं।

 “निदान, निघण्टु, उपचार
आयुर्वेद का मुख्य आधार है ।
यह प्रकृति प्रदत्त चिकित्सा है,
जो तन-मन, अन्तर्मन और आत्मा
की शुद्धि करता है।

रोगप्रतिरोधक क्षमता में बेतहाशा वृद्धि कर, यह निम्नलिखित बीमारियों के सिस्टम को ठीक कर, देह को  विकार रहित बनाता है और पुनः पैदा नहीं होने देता..

【१】 हमेशा कब्ज बने रहना, अनियमित मल त्याग, गृहणी रोग (आईबीएस) पूरी तरह एक बार में पेट साफ न होना आदि उदर रोग ठीक कर पखाना समय पर एवं साफ लाता है।

【२】पेट की कड़क नाडियों को मुलायम
बनाकर उदर के सभी रोगों का ठीक करने
में सहायक है।
【३】आँतो की खराबी, रूखापन, मल
की चिकनाहट दूर कर यकृत (लिवर),
गुर्दों (किडनी) तथा ह्रदय की रक्षा करता है।
【४】थकावट, आलस्य, बहुत ज्यादा
नींद आना, हांफना जैसे सामान्य रोग
मिटाता है।
【५】त्रिदोष नाशक होने से वात-पित्त-कफ
को सम कर शरीर के रोग कम करता है।
【६】बीमारी के पश्चात की कमजोरी दूर
कर, रक्त निर्माण में सहायक है।

【७】अमृतम गोल्ड माल्ट के सेवन से देह में ऊर्जा-उमंग, उत्साह की वृद्धि होती है। जिससे आधि-व्याधि बार-बार नहीं होती।बीमारियों का आवागमन रोकता है।

【८】सभी विकार-हाहाकार कर तन
से निकल जाते हैं, ताकि शरीर की टूटन, जकड़न-अकड़न मिट जाएं। यह
शरीर को मुलायम बनाता है।
【९】शरीर जीवनीय शक्ति से लबालब हो जाता है। अमृतम गोल्ड माल्ट का सेवन मौसमी (सीजन) बदलते समय होने वाले रोगों से रक्षा करता है। इसे 12 महीने सभी ऋतुओं में कभी भी लिया जा सकता है।

【१०】चिड़चिड़ापन, बात-बात पर क्रोध आना एवम गुस्सा होना। इसके सेवन से तन-मन प्रसन्न तथा शक्ति, स्फूर्ति आती है। काम में मन लगने लगता है  ।

【११】पुरुषार्थ शक्ति, शिश्न का ढ़ीलापन, शीघ्रपतन मर्दाना कमजोरी, वीर्यअल्पता, आदि पुरुष रोगों को दूर कर सेक्स की इच्छा बढ़ाता है। तुरन्त लाभ हेतु साथ में बी फेराल गोल्ड केप्सूल 3 महीने लेवें।

【१२】महिलाओं का मासिक धर्म समय पर लाकर, श्वेत प्रदर, सफेद पानी एवम व्हाइट डिस्चार्ज और पीसीओडी आदि विकारों को दूरकर त्वचा में चमक तथा सुंदरता में वृद्धि करता है।

【१३】 दुबले-पतले शरीर वालों की कमजोरी, कृशता मिटाता है। भूख व खून एवं बल-वृद्धि बढ़ाकर शरीर को ताकतवर बनाता है।

【१४】 बच्चों के लिए बल-बुद्धि, स्फूर्ति, शक्ति, साहस में वृद्धि दायक है। नियमित 10 से 12 महीने तक खिलाएं, तो बढ़ते बच्चों की लम्बाई बढ़ने लगती है।

【१५】अज्ञात रोगों के कारण लंबे समय से बीमार या बार-बार विकार ग्रस्त व्यक्तियों को स्वर्णयुक्त अमृतम गोल्ड माल्ट
खाने से चमत्कारी लाभ होता है। यह अंदरूनी कमजोरी दूर कर इम्युनिटी शक्ति वृद्धिकारक है।

【१६】कमजोर शरीर व हड्डियों को ताकत देकर मजबूत बनाता है ।

अमृतम गोल्ड माल्ट असरकारक ओषधि के साथ-साथ  एक ऐसा अदभुत हर्बल सप्लीमेंट है, जो रोगों के रास्ते रोककर सभी नाड़ी-तंतुओं को क्रियाशील कर देता है!

आहार-विहार सम्बंधित सूचना..
#-गर्म पानी किसे नहीं पीना चाहिए...

रक्त विकार, खून की खराबी, पित्त दोष
पेट रोग से परेशान प्राणियों को उष्ण जल
अर्थात गर्म पानी पीने से बचना चाहिए।

#-अल्प जलपान-
अरुचि यानि खाने की इच्छा न होना,
मन्दाग्नि रोग अर्थात भूख कम लगना,
उदर रोग, शरीर में सूजन, सर्दी-जुकाम
से पीड़ितों को एक साथ ज्यादा जल
नहीं पिलाना चाहिए।

#-जलपान निषेध-
शौच जाने (मल विसर्जन) के बाद, कसरत, व्यायाम, प्राणायाम या सूर्य के ताप में घूमकर तथा शारीरिक परिश्रम या पसीना रहने तक जल कभी नहीं पीना चाहिए।

#- दुग्ध निषेध-
ख्याते, लस्सी, गुड़, मूंगफली,  मूंग, मूली,
शराब, मछली आदि के साथ दूध नहीं पीना
स्वास्थ्य हेतु  हितकारी रहता है।

अर्श-बवासीर के मरीज को कच्चा दूध विष समान बताया है।

कफवृद्धि, मन्दाग्नि, नवीन ज्वर,
कुष्ठ रोगियों को दूध नहीं पीना चाहिए।
आयुर्वेद के एक प्रामाणिक ग्रन्थ
चिकित्सा तत्व प्रदीप में दूध, दही, घी,
शहद, तक्र/मठा, अदरक, हल्दी, तुलसी,
नीम, दारू, तम्बाखू आदि कब-कितनी
मात्रा में किस समय लेना चाहिए इस बारे
में विस्तार से लिखा हुआ है।

दुनिया के दर्दे-दिल, दुखियों की दवा...

आइए अब अंतरात्मा से जुट जाएं, जो
वीभत्स व्याधि के कलुष को नष्ट करने में सहायक हो। अपनी जीवनीय शक्ति को मजबूत बनाने में कारगर सिद्ध हो सके।

समय आ गया है कि हम अपने रहन-सहन, खानपान को बदल दें

हम महाकाल की कालरात्रि से गुजर रहे हैं!
बहुत क्रूर और कठिन समय है यह।

एहसास करें कि- हमारा विश्वास उस जटाधारी के विचार तथा श्रृंगार को बदल देगा।

ऐसे समय में अमॄतम की 100 से अधिक दवाएँ और अमृतम गोल्ड माल्ट एक आशा की किरण बनकर उभरा है, जो अनेक व्याधियों का विनाश कर रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर तन-मन में ऊर्जा का संचार कर देता है। कम से कम इसे तीन महीने तक सपरिवार सेवन करे।

Only ऑनलाइन उपलब्ध। क्लिक करें

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आयुर्वेद के प्रकाश से हम त्रिदोषों का नाश करके त्रिदेवों (ब्रह्मा-विष्णु-महेश) की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
चराचर विश्व... स्वस्थ्य मानव की शक्ति, समिधा और बुद्धि के बल से परिचित है।
जन्म से मनुष्य महाबली है।
मनुष्य ही विश्व का नियंता है

स्वस्थ्य मनुष्य ही मनुष्यता के द्वारों को छलनी बनाकर अंततः ईश्वरीय वायुमण्डल का स्वामी बनता है।
इस मायावी भूमण्डल में महादेव के मन से मनुष्य की माया मन्मन्तरों से चलायमान है। हम निरन्तर बेकार  विकार के द्वार पार करते आएं हैं। 

तहे दिल से धन्यवाद

आयुर्वेद के मुनि-महर्षियों तथा मानवता से भरे मनुष्यों का और उन वैद्य-चिकित्सकों का, जिनकी चिकित्सा मानवीय मूल्यों पर आधारित है। "अमृतमपत्रिका परिवार" इन्हें शत-शत सादर नमन एवं साष्टांग प्रणाम करता है।

धन्यवाद और शुक्रिया सांसों का, जिसने हमारा साथ नहीं छोड़ा।

मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते।
प्रणाम, हमारे साथ चलती सदी को!

व्यतीत होता 2020, सादर नमन तुम्हे। तुम्हारे हर संकट में
प्रत्येक भारतवासी तुम्हारे साथ रहा है।

अमॄतम पत्रिका के ज्ञानवर्द्धक लेख पढ़ने के लिए नीचे लिंक क्लिक करें।

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2000 से भी अधिक ब्लॉग का अध्ययन कर देश की प्राचीन संस्कृति-संस्कार, धर्म शास्त्रों की वैज्ञानिकता को जाने..

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करुणामयी कृष्ण से करवद्ध प्रार्थना करते हैं कि-कोरोना के कठिन कष्ट से मुक्ति दिलाये।

सभी सुखी होवें, सभी रोगरहित रहें।

तेरा मङ्गल-मेरा मङ्गल, सबका मङ्गल हो।

सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और सबके दुःख-दारिद्र दूर हों।

किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

सर्वे भवन्तु सुखिनः 

सर्वे सन्तु निरामयाः।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा 

कश्चिद् दुःखभाग्भवेत् ॥ 

 

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