बवासीर/अर्श/पाइल्स घर बैठे करें ठीक। पाइल्स की गोल्ड माल्ट खूनी बवासीर का शर्तिया इलाज है। यह मस्से भी सुखाता है।
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बवासीर/अर्श/पाइल्स घर बैठे करें ठीक। पाइल्स की गोल्ड माल्ट खूनी बवासीर का शर्तिया इलाज है। यह मस्से भी सुखाता है।
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दर्दनाक बवासीर या पाइल्स की प्रॉब्लम के कारण, ऐसे करें बचाव और उपचार….
अभया नामक ओषधि बवासीर मिटाने के लिए सर्वश्रेष्ठ ओषधि है। आयुर्वेद निघण्टु में अभया को हरड़, लघु हरड़, हरीतकी आदि नामों से भी जाना जाता है।
मधुमेह/डाइबिटीज से पीड़ित रोगी पाइल्स की गोल्ड कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं। यह विशेष विधि द्वारा बनाया जाता है, जो खूनी व बादी बवासीर की समस्या से हमेशा के लिए निजात दिलाने में मददगार है।
पाइल्स के मस्से सुखाने का 100 फीसदी उपाय…
पाइल्स पीड़ितों को रोज रात को सोते वक्त रुई का एक फोहा कुंकुमादि तेल या काया की ऑयल में भिगोकर लगाने से मस्से सूखने लगते हैं। खून आना बंद होता है।
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आयुर्वेद के अनुसार किन दवाओं या जड़ीबूटियों द्वारा बवासीर को जड़मूल से मिटाया मिटाया जा सकता है।इस जबाब को पढ़कर आप अर्श/बवासीर या पाइल्स को हमेशा के लिए अलविदा कर सकते हो।
बवासीर शरीर की तासीर खराब कर हमेशा मानसिक तकलीफ बनाये रखता है। अर्श रोग सफलता में बाधक है। यह व्यक्ति को फर्श पर ला सकता है।
पाइल्स की प्रताड़ना से बच सकते हैं…
“रोगी को पाइल्स का पता जल्दी नहीं चलता”
29% लोग पाइल्स से बुरी तरह पीड़ित हैं जिसमें १६ फीसदी महिलाएँ शामिल हैं। पाइल्स/अर्श/बवासीर/महेशी ये सब पाइल्स के ही विभिन्न नाम हैं।
चिकित्सा चंद्रोदय एवं आयुर्वेदिक निघण्टु ग्रन्थ में बवासीर अंदर या बाहर इंटरनल या एक्सटर्नल (वाह्य तथा आंतरिक) अर्श/बवासीर विभिन्न रूप में गुदा के अंदर या फिर, बाहर की तरफ उपस्थित हो सकता है।
मल के कड़े/कठोर विसर्जन से गुदाद्वार पर मस्से या अर्श अंकुर हो जाते हैं।
इनके सूखने या ख़रीश होने इन मस्सों में बहुत दर्द होकर खून आने लगता है।
अर्श-ए-इलाही या अर्शे इलाही अरबी शब्द ‘अर्श’ से जुड़कर बने शब्द का शाब्दिक अर्थ “अल्लाह का सिंहासन” है।
इब्राहीमी यानि अर्थात यहूदी, इस्लाम या ईसाई, जो अब्राहम अथवा इब्राहिम को ईश्वर का पैग़म्बर मानते हैं। इन धर्म ग्रन्थों में ईश्वर के सिंहासन विषय में विभिन्न रूप से बताया गया है। अरबी में अर्श शब्द का अर्थ होता है भगवान का ठिकाना। अर्श शब्दआकाश छत के अर्थ में भी आता है।
जाने बवासीर की बीमारी, जिससे दुनिया हारी…
लगातार कब्ज बने रहने से भारतीय जीवन में लगभग 63 फीसदी लोग अक्सर अर्श रोग या बवासीर से (Piles) से पीड़ित होते हैं।
चरकादि कुछ आयुर्वेदिक शास्त्रों में अर्श/Piles/ बवासीर जैसा गुदा रोग 3 तरह का बताया है।
【१】 बाह्य (External),
【२】आभ्यन्तर (Internal),
【३】उभय (Interno-external)।
पाइल्स पीड़ित रोगी को प्रायः बिना किसी दर्द या दर्द के साथ मलत्याग यानि लैट्रिन के वक्त गुदाद्वार में खून निकलता है या मल के साथ रक्तस्राव होता है।
अर्श बवासीर विकार की वजह विभिन्न हैं। जैसे- खानपान में उपयोगी खाद्य पदार्थों में रेशे की कमी, विबन्ध अर्थात कब्जियत, ग्रहणी आदि उदर विकार।
पाइल्स, फिस्टुला, पाइल्स और भगंदर से हमेशा के लिए छुटकारा पाएं..
पाइल्स की गोल्ड माल्ट और कैप्सूल एक विश्वसनीय आयुर्वेदिक उपचार। इसमें हरड़ मुरब्बा, त्रिकटु चूर्ण तथा नागकेशर विशेष रूप से मिलाया गया है।
नाग केशर (Mesua ferrea) पाचन के गुणों के वजह से पाचनशक्ति में मदद करता हैं। यह ग्रहणी रोग होने से बचाता है।
★ पाइल्स की गोल्ड माल्ट तुरंत सूजन कम कर सर्जरी से बचाता है।
★ अंदरूनी, आंतरिक अर्श और बाहरी बवासीर एवं रक्त फैलाने वाली पाइल्स का जड़ से उपचार करें। केवल 5 दिनों में परिणाम पाएं।
★ जड़ से मिटाने हेतु 3 से 6 माह सेवन करन जरूरी है। ऑनलाइन उपलब्ध
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाणित।
अर्श/पाइल्स की मूल वजह है-ग्रहणी ibs…..
आयुर्वेदानुसार ग्रहणी/संग्रहणी रोग एक पाचन तंत्र से सबंधित उदर विकार है जो मंदाग्नि यानि पेट की अग्नि को ठंडा कर भोजन समय पर नहीं पचाता। अंग्रेजी में ग्रहणी रोग को इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम Irritable Bowel Syndrome (IBS) कहते हैं।
ग्रहणी रोग से पीड़ित पुरुष-स्त्री, व्यक्ति रसक्षय यानी शरीर में नवीन रस का निर्माण न होना और रक्तक्षय अर्थात नया खून न बनने के कारण शारीरिक दुर्बलता का शिकार हो जाता है।
गृहणी उदर विकार में भोजन के पश्चात पेट में ऐंठन एवं मरोड़ उठने लगते हैं। भोजन के पचने से पूर्व ही खाना शरीर से बाहर निकलने की कोशिश करता है जिससे शरीर में पोषण की कमी हो जाती है। फिर देह क्षत-विक्षत होकर बहुत सी व्याधियों से घिर जाता है।
ग्रहणी उदर रोग से पनपे अतिसार, उदर के अन्दर दबाव बढ़ना, अचेष्टा, स्थौल्य, जरा। सम्प्राप्ति (Pathogenesis) जैसी समस्या का निरंतर बने रहना भी अर्श को जन्म देते हैं।
अतिसार हर ओषधियाँ.. अजमोद, अजवायन, आमला, कालीमिर्च, जायफल, गिलोय, मेथीदाना, जीरा, सौंफ, हरीतकी एवं अपामार्ग।
एक खतरनाक रोग है-ग्रहणी-iBS…
ग्रहणी रोग /ibs ठीक करने हेतु हरड़ मुरब्बा एवं त्रिकटु सर्वश्रेष्ठ ओषधि है। हरड़ का एक नाम अभया भी है, जो रोगों के भय को मिटाकर अभय बनाती है। आयुर्वेद की सुप्रसिद्ध ओषधि अभयारिष्ट हरड़ से ही निर्मित होती है और हर रोज हर लेने के कारण इसे हरड़ कहते हैं। च्यवनप्राश का भी यह एक खास घटक है।
हरड़ या अभया मुरब्बा है- जबरदस्त लाभकारी…
!!हरति/मलानइतिहरितकी!! …अर्थात-हरड़ रोगों पेट की गंदगी का हरण करती है। हरड़ मुरब्बा शरीर मे व्याप्त अज्ञात रोग मल विसर्जन द्वारा बाहर निकल देता है। पेट साफ रखता है। कब्ज नहीं होने देता। हृदय को ताकत देने में सहायक है। नेत्र रोग दूर होते हैं।
आयुर्वेदक ग्रन्थों में हरड़ मुरब्बा के के विषय पर संस्कृत के एक श्लोक का उल्लेख है-
हरस्य भवने जाता हरिता च स्वभावत:।
हरते सर्वरोगानश्च ततः प्रोक्ता हरीतकी।।। (भावप्रकाश निघण्टु)
हरड़ के गुण और प्रयोग–
यह श्रेष्ठ विरेचक तथा हल्का दस्तावर द्रव्य है, जो मल को सूखने नहीं देता और शरीर को कोई हानि नहीं पहुचाता।
हरड़ मुरब्बा के सेवन से तन की सभी क्रियाएं पूरी तरह सुधर जाती है । हरड़ को आयुर्वेद का अमृतम योग कहते है । प्रतिदिन 1 से 2 गुठली रहित हरड़ मुरब्बा सादे जल से लेने पर अर्श रोग मिट जाता है। मस्से सूखने लगते हैं एवं सर्वरोग नष्ट होते हैं तथा कभी जीवन भर कोई भी उदररोग उत्पन्न नही होते। पाइल्स की गोल्ड माल्ट का मुख्य आधार और औषधि हरड़ मुरब्बा ही है।
रस तन्त्र सार सिद्ध आयुर्वेदिक प्रयोग के अनुसार गृहणी रोग की अन्य दवाएं-
जाने- सम्प्राप्ति दोष क्या होते हैं….
रोगों के अंदरूनी विकास या वृद्धि को सम्प्रान्ती कहते हैं इसमें दोषों के संचय, प्रकोप, प्रसर तथा स्थान संश्रय रोगों की पूर्वरूप अवस्था है। इसमें अंदरूनी रोग के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं और रोग प्रकट हो जाता है। भेद अवस्था रोग की जीर्ण अवस्था है।
उदाहरण के लिए छोटा सा उठनेवाला दर्द बाद में भयंकर वात विकार बनता है। अंत में वात की बढ़ोतरी अस्सी विभिन्न प्रकार की बीमारियों की वजह बनती है।
अर्श रोग मुख्य रूप से चार प्रकार की सम्प्राप्ति से पैदा होता है –
{A} गुदामार्ग में रक्त की अत्यधिक आपूर्ति से।
{B} रक्तवह-स्रोतसों की दीवाल कमज़ोर होने से।
{C} गुदामार्ग से निकलने वाली सिराओं में संग अवरोध होने से।
आयुर्वेदिक औषध उपचार ( Herbal treatment & Management) !…..अर्शोघ्न औषधियाँ (Anti-hemorrhoidal drugs) अर्श रोग में निम्न रूप से किया गया औषध उपचार, उत्साहवर्धक परिणाम देता है
प्राचीन हर्बल किताबों में अर्श रोग की चिकित्सा में निम्न औषधियों को हितकारी बताया गया है-
इसके अलावा
• अतिविषा चूर्ण, दारुहरिद्रा – क्वाथ, पिप्पली चूर्ण, त्रिकटु चूर्ण, ये औषधियाँ मुख्यतः निम्न प्रकार से मस्से या अर्शांकुरों का आकार कम कर सुखा देती हैं
¶~ गुदामार्ग की रक्त-आपूर्ति कम करके (Reduce arterial blood supply to the hemorrhoidal plexuses);
¶~ रक्त-वह-स्रोतसों की दीवालों (Walls of sinusoids in the hemorrhoidal plexuses) को बल प्रदान करके अर्शांकुरों का आकार कम करती हैं।
¶~ गुदमार्ग से निकलने वाली सिराओं में रहने वाले संग को दूर करके (Reinforce venous drainage from the hemorrhoidal plexuses)।
¶~ रक्तवह-स्रोतसों के आधारभूत सौत्रिक धातु को बल दे कर (Strengthen connective tissue in the hemorrhoidal plexuses that supports the sinusoids)।
■ अन्य रक्तस्रावहर रक्त रोधक औषधियाँ (Hemostatic drugs)
• दारुहरिद्रा क्वाथ, रसौत, बोल-पर्पटी, बोल-बद्ध रस, कहरवा – पिष्टी; दुग्धपाषाण, शुभ्रा (स्फटिक) भस्म सभी समभाग लेकर 200 मिलीग्राम की एक खुराक बनाकर मक्खन के साथ दो बार लेवें। अगर बनी हुई तैयार दवा लेने चाहें, तो अमृतम द्वारा निर्मित पाइल्स की गोल्ड माल्ट ले सकते हैं, इसमें उपरोक्त सभी औषधियों का समावेश है।
ये औषधियाँ मुख्यतः रक्तवाहिनियों का संकोच करके रक्तस्राव बन्द करने में उपयोगी हैं…
■ जीवाणुहर तथा संक्रमणहर औषधियाँ (Anti-bacterial /Anti-infective drugs)…
अर्श रोग में प्रायः जीवाणु-जन्य संक्रमण हो जाता है, जिससे रोगी को अर्शांकुरों में शोथ, वेदना, स्राव, व रक्तस्राव होने लगते हैं। ऐसे में पाइल्स की गोल्ड माल्ट Pileskey Gold Malt विशेष हितकारी है।
■ शोथहर औषधियाँ (Anti-inflammatory drugs) अर्श रोग में संक्रमण व घर्षण से अर्शांकुरों में शोथ व वेदना होने पर भी पाइल्स की गोल्ड माल्ट एक बेहतरीन विकल्प है साथ ही गुदाद्वार में अमृतम काया की तेल
का फोहा अवश्य लगाएं। इसमें मिली केशर, चंदनादि तेल मिला हुआ है, जो मस्सों को सुखाने में सहायक है।
■ अर्श रोग में विबन्ध होने पर निम्न औषधियों का उपयोग कर सकते हैं…
अमृतम टेबलेट यह कब्ज नाशक आयुर्वेदक गोली है, जो मल को जलाकर एक बार में ही पेट साफ करती है। रात को सोते समय 2 टेबलेट सादे जल से लेवें।
भगन्दर के लिए आयुर्वेदिक दवाएं, जो जड़ से मिटा देती हैं- भगन्दर, एनल फिस्टुला Anal Fistula को…
अर्श जब पुराना हो जाता है, तो गुदा के अंदर मस्सों को गुच्छा बन जाता है। बवासीर का बिगड़ा हुआ रूप है भगन्दर। यह गुदा के अंदर जख्म बनाता है।
पाइल्स की गोल्ड माल्ट कैसे ठीक करता है-अर्श/पाइल्स
सेवन विधि…
सुबह खाली पेट 1 से 2 चम्मच सादे जल या गुनगुने दूध के साथ और रात भोजन से पूर्व ऐसे ही लेवें।
!- गुदाद्वार की सूजन को कम करता है।
!!- दर्द को जड़ से मिटाकर राहत देता है।
!!!- गुदाद्वार में संक्रमण यानी बैक्टीरिया नहीं पनपते।
!v- मलद्वार का रूखापन दूर कर पखाना आसानी से लाता है।
V- बार-बार होने वाली अर्श की समस्या हटाता है। Vi- अर्श की की जड़ पर काम करता है।
Vii- मस्सों से खून बहना रोकता है।
शर्तिया देशी इलाज है पाइल्स की गोल्ड माल्ट… और Pileskey Gold कैप्सूल
◆ सुबह उठते ही एक बार में दस्त साफ लाता है।
◆ आंतों को साफ करता है
◆ मल में नरमी लाता है
◆ पाचन में सुधार करता है
◆ तन-मन को विषाक्त मुक्त कण रहित अर्थात डिटॉक्स करता है
◆ आँतों की गन्दगी साफ कर शरीर की बदबू मिटाकर पाचन प्रणाली को ठीक करता है।
◆ ग्रहणी, अतिसार पनपने नहीं देता।
◆ उदर विकारों को नियंत्रित करता है।
अर्श के मस्सों को मुलायम कर, नसों में रक्त चाप को सामान्य बनाए तथा ख़राब खाल को ठीक करें
खतरनाक बनने से पहले अपने अर्श/बवासीर या पाइल्स का जड़ से इलाज करें
पाइल्स की में मिलाएं घटक, जड़ीबूटी…
बायविडंग (Embelia Ribes) एंटी-हेल्मिंथिक गुणों के साथ, यह जठराग्नि उत्पन्न कर पाचन तन्त्र को ठीक करता है। भूखह को संतुलित करता है और आंत से अतिरिक्त वसा और अतिरिक्त वात दोष को बाहर निकालता है। कृमियों का नाश करता है।
ताम्र भस्म (Incinerated Copper) कब्ज़ यानी कॉन्स्टिपेशन और आंत के विकार कम करने में मदद करता हैं
कुटज (Wrightia antidysenterica)
सिकोड़नेवाली गुण के वजह से खूनी बबासीर में बहने वाले रक्त बहनेवाली अर्श को नियंत्रित करता हैं और ज़ख़्म को ठीक करने सहायक है।
बवासीर के पुराने टोटके…अघोरी की तिजोरी से
[1] पाइल्स का शर्तिया घरेलू इलाज जिन्हें वर्षों से खूनी बवासीर है, उन मरीजों को कच्ची मूली खाने से बवासीर से गिरने वाले खून शीघ्र बन्द हो जाता है।
[2] 5 ग्राम सफेद तिली, 10 देशी डेयरी का मक्खन मिलाकर गोली बनाएं और सुबह खाली पेट सादे जल से एक महीने नियमित लेवें।
[3] नागदमन के 2 पत्ते, एलोवेरा का गूदा 10 ग्राम और गुड़ तीनों को मिलाकर सुबह खलिपेट लेने से मस्से जल्दी सूखने लगते हैं।
रात में दही, अरहर की पीली दाल न खाएं।
पाइल्स की गोल्ड माल्ट 100 फीसदी आयुर्वेदिक औषधि है। बवासीर को जड़ से मिटाने के लिए कम से कम तीन महीने तक लेना जरूरी है।
यह आयुर्वेदिक 100% अर्श की सर्वश्रेष्ठ ओषधि हरड़ मुरब्बे, गुलकन्द, अमलताश, अर्शकुठार, अभया, त्रिकटु, त्रिफला, नागकेशर आदि 30 औषधियों से निर्मित पहला हर्बल माल्ट है तथा पूर्णतः हानिरहित है-
निम्नलिखित अर्श सम्बंधित रोगों को ठीक करता है-अमृतम पाइल्स की गोल्ड माल्ट..
【1】गुदा में जलन,
【2】मस्सों में खुजली
【3】खून आना,
【4】जलन खुजली
【5】उठते-बैठते, चलते-फिरते समय अर्श, बवासीरके मस्सों में दर्द रहना
【6】पेट साफ न होना,
【7】खून बहना कम करे।
【8】नसों व मस्सों की सूजन दूर करें।
【9】मल ढ़ीला कर पेट साफ करता है।
【10】भूख बढ़ाता है।
【11】भोजन को पचाकर पाचन तन्त्र सुचारू करे।【12】यकृत की समस्याओं को दूर कर सामान्य करने में सहायक।
【13】आँतों की सूजन कम करता है।
【14】यह 1 से 3 माह तक नियमित लेने पर बवासीर के मस्से सुखा देता है।
क्यों होता है-पाइल्स या बवासीर…
१- पुराना कब्ज,
२- मल का कड़ा होना,
३- आँतों की खुश्की,
४- आँतों का क्षतिग्रस्त होना
५- पेट की खराबी,
६- पित्त का प्रकोप
७- भोजन न पचना
८- मन्दाग्नि रोग
आदि कारण है -बवासीर होने का।
अर्श-बवासीर की परेशानी की वजह से कोई भी पीड़ित अच्छे मन या ठीक ढंग से कोई कार्य नहीं कर पाते, इस वजह से भाग्यशाली मनुष्यों की भी तकदीर खराब हो जाती है। पाइल्स की बीमारी से रोगी दुर्भाग्य का शिकार हो जाता है। (वैद्यक चिकित्सा सार शास्त्र)
बवासीर से राहत पाने के लिए एक अदभुत ओषधि तेल का उपयोग करें, तो कभी मल सूखेगा नहीं। मल सूखने, रूखा होने तथा कब्ज होने से पाइल्स पनपने लगता है। (रसायन सारः संग्रह ग्रन्थ सम्वत 1997)
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1 thought on “बवासीर/अर्श/पाइल्स घर बैठे करें ठीक। पाइल्स की गोल्ड माल्ट खूनी बवासीर का शर्तिया इलाज है। यह मस्से भी सुखाता है।”
Kamlesh kumhar
सर मेरी वाइफ को पिछले लगभग 2 साल से पाइल्स की तकलीफ थी जिसको मेने रेगुलर आयुर्वेदिक इलाज करवाके खत्म की हे उसकी तकलीफ तो ठीक हुई पर बाहर एक छोटी सी गठन बन जाती है और फूटती है पीप निकलते हे थोड़ी राहत मिलती है वापस बन जाती है और वो प्रेसाहन रहती हैं आप कोई खास दवाई हो तो बताए