अमृतम के संस्थापक- श्रीमती चंद्रकांता गुप्ता

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अमृतम के संस्थापक- श्रीमती चंद्रकांता गुप्ता

आम दिनों में अमृतम का ऑफिस गहमागहमी और हलचल से भरा रहता है, कहीं कोई कंप्यूटर पर काम कर रहा होता है, कहीं कोई फोन पर बातचीत करने में व्यस्त दिखता है। लेकिन आज रविवार के दिन यहाँ अपेक्षाकृत शांति है। जैसे ही मैंने इस बड़े कमरे में कदम रखा, वैसे ही मेरा ध्यान यहाँ के सिनेमाई नज़ारे की तरफ गया। हर तरफ लकड़ी की अलमारियों में से सैंकड़ों किताबें झांक रही थीं, नाजुक कांच से बनी कुमकुमदनी तेल की बोतल दूसरे कमरे में अलमारी में रखी हुईं थी।

इसी बीच कुछ मिनट के इंतज़ार के बाद गुलाबी रंग की साडी पहने और एक सुंदर मुस्कान लिए श्रीमती चंद्रकांता गुप्ता का आना हुआ, शुरूआती औपचारिक अभिवादन के बाद वे बहुत ही सहजता के साथ मुझे एक कहानी सुनाने के लिए तैयार हुईं! एक ऐसी कहानी जो शायद उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण कहानी थी- वो कहानी जो उनके सफल और सार्थक जीवन के साथ ही लोगों के जीवन को बदलने में उनके निरंतर योगदान के बारे में भी थी।

उन्होंने इस कहानी की शुरुआत अपने बचपन से की- सांस्कृतिक रूप से समृद्ध ग्वालियर शहर में उनके जन्म के बाद उनका परिवार सिंधिया राजाओं द्वारा बसाये गये शिवपुरी नगर के करेरा कस्बे  में निवास करने लगा। इस संस्मरण को सुनते हुए मेरी उत्सुकता थोड़ी और बढ़ी और मैंने उनसे उनके बचपन के बारे में कुछ और सवाल किये जैसे- “बचपन के दिनों में आपका जीवन कैसा रहा?” उन्होंने कहा-

“बचपन में क्या होता है? वही परिवार और माता पिता का प्यार, वही छोटी-छोटी इच्छाएं, दोस्तों और भाई बहनों के साथ मस्ती और खेल कूद...मेरी परवरिश एक छोटे कस्बे में हुई और मैं बड़े शहरों की गहमागहमी वाली जिन्दगी की आदी नहीं थी, हमारे पास उस समय जो भी था हम उसमें संतुष्ट थे”

एक होमियोपैथी चिकित्सक के घर जन्म लेने के कारण उनकी रूचि बचपन से ही घरेलू उपचारों को सीखने की तरफ रही, आयुर्वेद में उनकी रूचि विवाह के बाद और बढ़ी। परिवार को उनके लिए श्री अशोक गुप्ता के तौर पर एक उचित जीवनसाथी मिला, विवाह के समय श्री अशोक गुप्ता एक M.R के तौर पर कार्यरत थे।

विवाह से पहले दोनों की मुलाकात सिर्फ पारिवारिक समारोहों में ही हुई, 17 वर्ष की आयु में संबंध तय होने के बाद 19 वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ। “पुराने समय में लड़कियां महत्वाकांक्षी नहीं होती थीं, उनके जीवन में बस एक ही लक्ष्य होता था, अपने परिवार के साथ एक साधारण और सुखमय जीवन बिताना, मैंने इस बात की कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मैं अपने पति को इस बिजनेस चलाने में सहायता करूंगी!” तीन दशकों तक घरेलू महिला के तौर पर अपने परिवार का सफल संचालन करने के बाद श्रीमती गुप्ता अमृतम के संस्थापक का दायित्व भी उसी सहजता और निष्ठा से निभा रहीं हैं।

विवाह के एक साल बाद उनके बेटे अग्निम का जन्म हुआ, “हमारे जीवन में बहुत कुछ चल रहा था,  एक संयुक्त परिवार में रहना, सभी की जरूरतों का ख्याल रखना कई बार एक थका देने वाला अनुभव होता है, पर मेरे पति ने मेरे लिए इस पूरे सफर को बहुत आसान कर दिया, उन्होंने सभी जिम्मेदारियों को बहुत ही गंभीरता से निभाया और सब का ख्याल रखा” ये कहते हुए श्रीमती गुप्ता के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान उतर आई! मानो अतीत के कई संस्मरण और संघर्ष उनके सामने दोबारा जीवित हो उठे हों!

दो वर्ष बाद उनकी बेटी स्तुति का जन्म हुआ, घर में एक नई रौनक आई, इसी के बाद उन्होंने एक नए घर में आना निश्चित किया, जहाँ दोनों बच्चों की शुरूआती परवरिश हुई। जिन्दगी धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी, उनके पति श्री अशोक गुप्ता ने तब तक एक नया काम शुरू कर दिया था, दोनों बच्चे भी स्कूल जाने लगे थे, अब श्रीमती गुप्ता के पास जीवन की उहापोह से इतर कुछ फुर्सत के पल भी थे जिसमें वो अपने जीवन और निकट भविष्य के बारे में भी कुछ सोच सकतीं थीं।

“मैंने धीरे धीरे व्यवसाय के कामों में रूचि लेना शुरू कर दिया, खाली समय में सप्लाई, स्टोरेज, आदि को चेक करना...मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन गया, मैं चाहती थी सभी इस काम में गंभीरता से जुड़ें और इसे सच में अपनाएं, इसलिए मैंने इस बिजनेस में काम कर रहे लोगों से संवाद करना भी शुरू किया”

मुझे याद है कि जब मुझे धनतेरस का पावन और महत्वपूर्ण दिन अमृतम परिवार के साथ अमृतम फैक्ट्री पर बिताने का अवसर मिला था, तब मैंने देखा था कि कैसे वहां सभी लोग एक साथ मिलकर काम कर रहे थे- आज मैं ये दावे से कह सकता हूँ कि पूरे संस्थान को एक साथ जोड़े रखने में श्रीमती गुप्ता का एक विशेष योगदान है। मुझे याद है कि कैसे वे अमृतम पत्रिका के कंटेंट का संपादन करते हुए भी हम सभी से कचौरियां खाने का आग्रह कर रहीं थीं, उनका ये आग्रह केवल औपचारिक नहीं था बल्कि उसमें एक पारिवारिक अपनत्व की भावना थी।

“अमृतम की स्थापना वर्ष 2006 में हुई, मैंने और मेरे पति ने तब तक आयुर्वेद उद्योग और वयवसाय का एक लंबा अनुभव प्राप्त कर लिया था- इस दौरान हमें स्वयं का एक उपक्रम शुरू करने की जरूरत महसूस हुई, जिसके माध्यम से हम अधिक सार्थक रूप से समाज के प्रति अपना योगदान दे पायें" उन्होंने इस पूरे सफर की शुरुआत को बताते हुए कहा कि श्री अशोक गुप्ता इस सिलसिले में बहुत अधिक यात्रायें करते थे, आयुर्वेदिक औषधियों से संबंधित किताबों से उनको दूर रखना एकदम असंभव कार्य था। समय बीतता गया, और उन्होंने आयुर्वेद के बारे में बहुत ज्ञान अर्जित कर लिया। प्रकृति में मौजूद असरकारक औषधियो के बारे में गहन शोध और उत्पादों के विकास के बाद हमने अमृतम के नाम से अपने प्रमाणिक आयुर्वेदिक उत्पाद लोगों को उपलब्ध कराना शुरू किया।”

श्री अशोक गुप्ता और श्रीमती गुप्ता एक शानदार टीम की तरह काम करते हैं, अशोक जी जब फैक्ट्री में तरह तरह की औषधियों पर आधारित विधियाँ और उत्पाद बना रहे होते हैं, तब श्रीमती गुप्ता अमृतम के ऑफिस की गतिविधियों का संचालन कर रही होती हैं। इसी टीम वर्क के कारण अमृतम आज सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है। मधु पंचामृत अमृतम का पहला उत्पाद था, जिसे e-स्टोर पर लांच किया गया था। चीज़े ठीक तरीके से चल रहीं थीं, टीम अच्छे से कार्य कर रही थी लेकिन जैसा कि कहते हैं...संघर्षों के बिना जीवन जीवन ही नहीं होता है!

“ये 2016 का साल था, स्थितियां धीरे धीरे विपरीत होने लगीं थीं, हमें कई बड़ी कम्पनियों के साथ अपनी साझेदारी को खत्म करना पड़ा, अग्निम और स्तुति दोनों इस दौरान अपने करियर की शरुआत कर रहे थे, हमने उन्हें अपने संघर्ष से दूर रखना ही उचित समझा, हम उनके वापस आने का इन्तजार कर रहे थे, इस दौरान हमने किसी तरह अपने व्यवसाय को जिन्दा रखा, जब 2017 में दोनों बच्चे वापस आये तब हमें यकीन हुआ कि हम इस स्तिथि से आत्मनिर्भर और मजबूत होकर निकलेंगे”

एक जमीनी व्यवसाय को एक पूरी तरह ई कॉमर्स आधारित व्यवसाय में बदलना बिलकुल भी आसान नहीं था, पर जब कुछ उत्साही और संकल्पित लोग एक साथ आते हैं तो कुछ भी असंभव नहीं होता है, बच्चे पहले से भी अधिक गंभीरता के साथ इस उपक्रम में शामिल हुए। अब श्रीमती गुप्ता अमृतम के भविष्य बारे में बहुत ही विश्वस्त हैं। वे कहती हैं “अमृतम एक विशाल वटवृक्ष की तरह है, जो कि एक वृक्ष से कई वृक्षों को जन्म देगा” – उनके इसी विश्वास पर खरे उतरते हुए अमृतम आज सिर्फ एक आयुर्वेदिक कंपनी नहीं है बल्कि एक सम्पूर्ण लाइफस्टाइल ब्रांड है।

मुझे यह वास्तव में बेहद आकर्षक लगा कि  वे बहुत ही स्वाभाविक रूप से अमृतम के बारे में बात करती हैं, मानो अमृतम उनका ही कोई सहकर्मी या मित्र हो “अमृतम के ऑनलाइन होने से पहले, दीपक ने अधिकांश कार्यों का ध्यान रखा था। श्रीमती गुप्ता कहती हैं कि शुरुआत से ही वह हमारे साथ थे और अमृतम को आगे बढाने में उनकी अहम भूमिका थी। उन्होंने मुझे बताया कि हर व्यक्ति जो कभी भी अमृतम से जुड़ता है वो अपना 100 फीसदी देता है, और यह इस बात का साक्ष्य है कि “वो व्यक्ति अमृतम के लिए है, और अमृतम उस व्यक्ति के लिए है”  वह कहती हैं, “छोटे काम या बड़े काम जैसी कोई चीज नहीं होती है। काम सिर्फ काम ही है। हमें इसे दृढ़ता और दृढ़ संकल्प के साथ करने की जरूरत है। ”

हालाँकि सबकुछ उनके पक्ष में था लेकिन, श्रीमती गुप्ता के मन में अभी भी कई शंकाएं थीं जैसे कि उनके बच्चे अमृतम पर केवल इसलिए काम कर रहे थे क्योंकि उन्हें ऐसा करने का दबाव महसूस हो रहा था। श्रीमती गुप्ता कहती हैं, "मैंने स्तुति को समझाने की कोशिश की," मैंने उसे उच्च शिक्षा के लिए आवेदन करने और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए राजी करने की कोशिश की" लेकिन स्तुति दृढ़ रही और उसने अमृतम के साथ काम करने को ही चुना।“ इसी तरह, जब अग्निम SqrFactor  में काम करने के लिए बैंगलोर गये , तो श्रीमती गुप्ता मन में कई स्वाभाविक आशंकाएं थीं। लेकिन ये सभी आशंकाएं एक सुखद आश्चर्य में बदल गईं जब उन्होंने देखा कि अग्निम द्वारा अर्जित कौशल और जानकारी अमृतम के लिए लाभकारी ही होंगे। "अमृतम के विस्तार के लिए अग्निम ने नई तकनीक का सहारा लिया, जो कि अमृतम के लिए एक गेम चेंजर साबित हुआ”

अमृतम में यश की भूमिका पर, श्रीमती गुप्ता बहुत अधिक विस्तार से बात करतीं हैं, “2017 के अंत में यश ने अमृतम के साथ जुड़ने का फैसला किया। उसने अमृतम को शीर्ष पर पहुंचाने को ही अपने जीवन मिशन बना लिया है। वह अपने प्रयासों में बहुत दृढ़ और ईमानदार रहा है और एक अद्भुत टीम प्लेयर रहा है, “

यह तो स्पष्ट है कि, टीम के पास एक दृष्टि थी - वे जो लगातार काम कर रहे थे उनके लिए ये दृष्टि या विजन दिन ब दिन और स्पष्ट होता जा रहा था”

श्रीमती गुप्ता ने अमृतम फैक्ट्री में उत्पादन और उसकी प्रक्रिया के बारे में भी चर्चा की।

“जब हम कहते हैं कि हमारे उत्पाद प्यार, देखभाल और प्रार्थनाओं के साथ बने हैं, तो हम वास्तव में इसका मतलब है। हम अपने अमृतम वाटिका में सभी पौधों और जड़ी बूटियों का विशेष ध्यान रखते हैं, हम इस्तेमाल होने वले सभी अवयवों और घटकों को अच्छी तरह से धोते हैं और पूरी प्रक्रिया में अत्यधिक सावधानी बरतते हैं। यहाँ तक कि रेसिपी बनाते समय हम हमेशा सकारात्मक विचार रखते हैं क्योंकि विचार ऊर्जा बनते हैं। और यह ऊर्जा किसी भी सृजन की प्रक्रिया में स्थानांतरित हो जाती है। हम अमृतम के उत्पाद का उपयोग या उपभोग करने वाले व्यक्ति तक केवल सकारात्मक ऊर्जा पहुँचाना चाहते हैं। सकारात्मक विचार उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना कि सकारात्मक कार्य। ”

श्रीमती गुप्ता का काम नैतिक रूप से बहुत ही दृढ है, और उनका विश्वास, अटल है। जब मैंने उनसे श्री अशोक गुप्ता की अमृतम में भूमिका के बारे में पूछा तब उन्होंने कहा कि “वो अमृतम की आत्मा हैं” श्रीमती गुप्ता के लिए अमृतम एक संपूर्ण शरीर है और वे सब इसके अंग हैं,, श्रीमती गुप्ता कहती हैं,  वह आत्मा ही है जो अमृतम को जीवित रखती है। हम सभी उनकी छाया के नीचे हैं, लगातार सीख रहे हैं और उनसे बहुत कुछ प्राप्त कर रहे हैं।

लेकिन यह कहना अनुचित होगा कि यह गुप्ता परिवार के केवल चार सदस्य हैं जो अमृतम को बनाते हैं। वह विनम्रतापूर्वक कहती हैं, "यह हमारे हजारों उपभोक्ताओं, समुदाय के सदस्यों, योगदानकर्ताओं और सहकर्मियों के प्रयास ही हैं जो अमृतम का निर्माण करते हैं।" भारत के सबसे प्रमुख आयुर्वेदिक लाइफस्टाइल ब्रांड में से एक होने के बावजूद, श्रीमती गुप्ता अपने नैतिक मूल्यों पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं जो उन्हें कभी भी उनकी उपलब्धियों के बारे में दंभ या अहंकार महसूस नहीं होने देते।

इस बिंदु तक, मैं श्रीमती गुप्ता के व्यक्तित्व और सहजता से आश्चर्य में था। मैंने एक घंटे से भी कम समय की बातचीत के दौरान बहुत कुछ सीखा है और अंतत: एक औपचारिकता के लिए मैंने उनसे पूछा कि “ पाठकों के लिए आप कोई सन्देश देना चाहती हैं?” वे कहती हैं-

“ईमानदारी और सत्यता मेरे लिए दो सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं। केवल अमृतम ही नहीं, यदि आप किसी भी संगठन के लिए काम कर रहे हैं, तो आपको इन दोनों मूल्यों को ध्यान में रखना चाहिए। अपने कार्यों को एक सिर्फ एक बोझ या दायित्व के रूप में न लें - इसके लिए तत्पर रहने की कोशिश करें और निश्चित रूप से, आप अपने कार्यों में सफल होंगे, अपने काम में, या उस चीज़ में जो भी आप पाना चाहते हैं, उस पर अपना विश्वास रखो। यह परम साधन है जो आपके विचारों को में व्यापकता लेकर आयेगा, मेहनत करने से कभी मत डरो, धैर्य रखो और दृढ़ रहो। और जल्द ही, आपकी सभी ऊर्जाएं एक साथ आएंगी, और हर वो चीज जो आप पाना चाहते हैं, वह आपके लिए होगी। "

श्रीमती गुप्ता की कार्यशैली हमें अपने भीतर से देखने और खुद के बेहतर रूप से मिलने के लिए मजबूर करती है। उसका एक सच्चा सपना अमृतम को दुनिया के हर घर तक पहुंचना है। अंत में उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा "मैं चाहती हूं कि हर कोई अमृतम को अपनी दिनचर्या के हिस्से के रूप में ले - अपने दिन की शुरुआत अमृतम के डेंटकी मंजन से करें या दिन में सोने से पहले हेयर स्पा और ऑयल लगाने के दौरान चवनप्राश या काढ़ा का सेवन करें। मैं चाहती हूं कि लोग हमारे परिवार का उतना ही हिस्सा महसूस करें जितना हम करते हैं।“

अमृतम बहुत जल्द लाखों लोगों का परिवार बन जाएगा, मैं इसे अपनी आंखों के सामने इसे होता हुआ देख रहा हूं। एक संगठन जो परिवार के मूल्यों पर बनाया गया है और एक साथ, यह हर दिन, लोगों के जीवन को बदलता है, उम्मीद है कि यह मह्द्वीपों, देशों, और संस्कृतियों की सीमाओं से परे पूरी दुनिया भर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगा, क्योंकि प्यार और विश्वास वो शाश्वत मानवीय मूल्य हैं जो, तमाम विविधताओं के बाद भी हर कहीं मौजूद हैं...और इन्हीं मूल्यों पर ही तो अमृतम की स्थापना हुई है।

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