अमॄतम परिवार सादर, शत-शत
नमन करता है।
जिद करो और दुनिया बदलो….
यह इन्हीं का जीवन सन्देश था। अपनी शर्तो-सादगी से जिये।
समय हो या स्वास्थ्य हथेलियों से फिसलती हवा है। इनसे सीख मिलती है कि-यदि इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग हो, तो बाहरी आक्रमण कुछ नहीं बिगाड़ सकते। स्वस्थ्य शरीर बड़े विशाल शक्तिशाली सत्ता से टकराकर धाराशाही कर सकता है। प्राण जाएं पर वचन न जाये… इनके जीवन में अनेक विपत्तियों आईं, किंतु उन्होंने सम्पूर्ण शक्ति के साथ मुकाबला किया।
शिव को साधे, सब सधे….
महाराणा प्रताप परिवार भी परम शिवभक्त था। इनके प्रथम पूर्वज बप्पा रावल ने एक पुराने स्वयम्भू शिंवलिंग की खोज कर जीर्णोद्धार कराया था। यह आज राजस्थान का तीर्थ है। वैदिक यंत्रालय,भाग-१/पपृ॰ ४९६ में इस मंदिर की गणना 108 उप ज्योतिर्लिंगों में की जाती है। यह अदभुत शिवालय उदयपुर से 18 km दूर श्रीनाथ मार्ग में कैलाशपुरी के नाम से स्थित है। यहां शाम की आरती दर्शनीय है। शिव कैलाश के वासी….. आज उदयपुर मेवाड़ राजघराना एकलिंगनाथ जी महादेव के प्रति इतनी अटूट श्रद्धा है कि मेवाड़ राज्य परिवार खुद को इनका प्रतिनिधि मानकर सब काम करता है। यह कुल देवता मालिक हैं।
राजपूताना का इतिहास नामक किताब के प्रथम संस्करण में महाराणा प्रताप के पूर्वजों और वंशावली का समूर्ण इतिहास लिखा है। मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते…
अकबर के दरवार में उपस्थित होकर इस मेवाड़ ने जो जबाब दिया था वह आज राजस्थान की धरोहर है। तुरुक कहासी मुखपतौ, इणतण सूं इकलिंग, ऊगै जांही ऊगसी प्राची बीच पतंग।
महावीर महाराणा प्रताप सन्सार में हिम्मती योद्धा के रूप में जाने जाते हैं। जहां वीरों की बात चलती है, तो हर किस्सा इनका हिस्सा होता है। शम्भू शांति देना….
भारत की रक्षा के लिए कुर्बान इस महान आत्मा को देशवासी प्रणाम कर स्मरण करें। अमृतम पत्रिका परिवार प्रेरित करता है। सादर नमन "चेतक अश्व" को
और उन्हें भी जो महाराणा के हर संकट में तुम्हारे साथ रहे। कभी उदयपुर जाएं, तो इनके ऋण से उऋण होने के लिए इनकी और चेतक की समाधि के दर्शन, नमन अवश्य करें। यह स्थान श्रीनाथद्वारा मन्दिर से लगभग 20 किलोमीटर हल्दीघाटी में स्थित है।