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श्री गणेश चतुर्थी पर एक दुर्लभ जानकारी | Happy Ganesh Chaturthi
कैसे करें- गणपति जी से प्रार्थना-
बहुत ही सरल,सहज,भावुक पूजा विधि
प्राचीन पुस्तकों को प्रणाम-
गणेश रहस्य,
स्कन्दः पुराण,
शिवपुराण आदि 50 से ज्यादा
5000 (पांच हजार) साल से भी
अधिक पुराने ग्रंथों तथा
कालसर्प विशेषांक,
अमृतम मासिक पत्रिका
इत्यादि पुस्तकों से एकत्रित कर वर्षों के अध्ययन,अनुसंधान एवं कड़ी मेहनत के बाद श्री गणपति बब्बा के बारे में यह अद्भुत जानकारी प्रस्तुत है।
इस लेख में श्री गणेश चतुर्थी का पूजा,विधान बहुत ही सरल विधि से संस्कृत सूत्रों,श्लोकों का हिंदी में अनुवाद करके दिया जा रहा हैै।
इस विधान से पूजा करके देखें यह वर्ष
बहुत ही शुभकारी,लाभकारी और सुख-संपन्नता दायक होगा।
गजब के गणेश,काटो क्लेश--
दुनिया में बहुत कम लोगों को ज्ञात होगा कि
श्री गणपति जी राहु-केतु का संयुक्त रूप है।
नीचे का हिस्सा गण (केतु) है और ऊपर का हिस्सा पति (राहु) है। ज्योतिष के ग्रंथों में राहु को मस्तिष्क का कारक माना है। और विस्तार से यह जानकारी 700 पृष्ठ में प्रकाशित होने वाला विशेषांक श्री गणेश अंक में दी जावेगी। पुस्तक का नाम अभी निर्धारित नहीं है।
कानीपाकम गणेश मन्दिर-
यह दुनिया का एक मात्र
स्वयम्भू गणेश का मन्दिर दक्षिण भारत के
चित्तूर जिले में पड़ता है। कानी का अर्थ है-
सफेद अकौआ तथा पाकम का मतलब पवित्र पेड़। सफ़ेद आक के पेड़ से प्रकट यह प्रतिमा प्रतिवर्ष 2 से 3 इंच अपने आप बढ़ रही है। दक्षिण भारत के अधिकांश फ़िल्म स्टार इनके परम् भक्त हैं।
श्री राहु के मन्दिर में गणपति-
पंचतत्वों में प्रमुख वायु तत्व का यह मन्दिर राहु
व कालसर्प,पितृदोष की शान्ति हेतु चमत्कारी है।
श्रीकालहस्ती के नाम से प्रसिद्ध इस मन्दिर में
पचास लाख वर्ष पुरानी
पाताल गणेश,बाल गणेश
मुक्ति गणेश,लक्ष्मी गणेश, शिव गणेश आदि
करीब 25 अलग-अलग प्राचीन प्रतिमाएं हैं।
देश-दुनिया के अनेकों चमत्कारी व दुर्लभ
गणपति मंदिरों की जानकारी श्री गणेश विशेषांक में प्रकाशित की जावेगी
चारों वेदों में प्रथम प्रमथनाथ (भगवान शिव
के प्रथम मुख्य गण) श्री गणपति की स्तुति में
ऐसी प्रार्थना की गई है-
असतो माँ सद्गमय,
तमसो मां ज्योतिर्गमय
मृत्युर्मा अमृतम गमय
ॐ शाँति:!शान्ति!!शांति:!!!
अर्थात-हे परमात्मा स्वरूप गणेश,हमें अंधेरे से उजाले की ओर ले चलें। बार-बार के जन्म एवं
जरा,पीड़ा,मृत्यु से मुक्त करें। हमें अमृत रस
का आनंद देकर अमृतम बना देवें।
कालसर्प-पितृदोष नाशक उपाय-
घर के मुखिया अपनी उम्र के अनुसार यदि किसी की उम्र 55 वर्ष है,तो
55 मिट्टी के दीपक अमृतम राहुकी तेल के पान,गिलोय,या जामुन के
पत्ते पर रखकर 90 मिनिट तक जलावें।
सम्भव हो,तो दियों से स्वास्तिक बना लें।
फिर पूजा-प्रार्थना आरम्भ करें।
श्रीगणेश जी से गुहार-
बहुत विनय भाव से,भावुक होकर अंतर्मन से
हाथ जोड़कर प्रार्थना करें!
■■ गणेश चतुर्थी का यह उत्सव,ऊर्जा,उमंग से सभी को उत्साहित करे।
■■ हम उर्ध्वगामी हों। हमारा जीवन,तन-मन उत्साहवर्द्धक हो।
■■ श्री गणेश चतुर्थी पर सभी को चतुर्थ पुरुषार्थ अर्थात धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष की प्राप्ति हो।
■■ चारों दिशाओं में यश,कीर्ति,ऐश्वर्य और आनंद फैले।
■■ सबका मन चमन हो।
■■ वतन में अमन हो।
■■ यह रत्न रूपी तन तंदरुस्त तथा स्वस्थ्य हो।
■■ सबकी सकारात्मक सोच हो।
■■परमात्मा एवं पितरों-पूर्वजों की कृपा हो।
■■ सद्गुरुओं का आशीर्वाद हो।
■■ मातृ-पितृ मातृकाएँ माँ की तरह लाड़-दुलार करें।
■■ ग्राम देवता,स्थान देवता,इष्ट देवता, पितृदेवता,कुल के देवी-देवता हमारे परिवार की रक्षा करे।
■■ सप्त ऋषिगण,सप्त नाग,शेषनाग,भीमा देव,कुंअर बाबा,खाती बाबा,बाबा हीरा भूमिया सबका कल्याण करें।
■■ भैरवनाथ हमारे भय-भ्रम का नाश करें।
■■ महाकाल और माँ महाकाली हमारे बीते कल (प्रारब्ध) के क्रूर पापों व कालसर्प,पितृदोष
को दूर करें। आने वाला कल (भविष्य) स्वस्थ्य,सुख-समृद्धि और प्रसन्नता दायक हो।
वर्तमान (समय) की परेशानियाँ, रोग-दुःख दूर हों।
कभी-कभी,कठिन,कष्ट-क्लेश कारक काल
(समय) में परम् शान्ति प्रदान करें।
■■ हे श्री गणेश,हे माँ,हे महाकाल हमें काल (मृत्यु) के कपाल से मुक्त करो।
■■ आकाश,अग्नि,जल,वायु,पृथ्वी ये पंचमहाभूत (पंचतत्व) पञ्च परमेश्वर की तरह न्याय करें।
■■ पवित्र नदियां,ताल-सरोवर,जलाशय,जलप्रपात,
कूप जल (कुओं का जल), बावड़ी, वर्षाजल,
मेघ जल,पुष्कर,सप्त सागर तथा समुद्रों का जल इस जीव-जगत के अंतर्मन व तन को पवित्र-पावन करे।
■■ संसार में सुख-संपन्नता का साम्राज्य हो।
■■ दुःख-दारिद्र का दहन हो।
■■ कष्ट-क्लेश काल-कवलित हों।
■■ नकारात्मकता का नाश हो।
■■ विकार व बीमारियों का विनाश हो।
■■ देश के दुश्मनों का सर्वनाश हो।
इन्हीं भावपूर्ण भावनाओं के साथ शिवपुत्र,
गौरीनंदन सिद्धि-बुद्धि के दाता श्री गणेश को
कोटि-कोटि वंदन,शत-शत नमन और
साष्टांग प्रणाम करते हैं।
अमृतम परिवार की और से देश-दुनिया के
सभी श्री गणपति साधकों-उपासकों को
हृदय से शुभकामनाएं प्रेषित हैं।
सनातन धर्मानुसार भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारम्भ होकर ढोल ग्यारस तक चलने वाला यह अष्ट दिवसीय (आठ दिनों)का पर्व सभी मनुष्यों के
अष्ट-दरिद्र,अष्ट-विकार, का विनाश करे।
इन्हीं प्रार्थनाओं,कामनाओं,भावनाओं सहित
बड़ी विनयपूर्वक
"विध्न नाशक श्री विनायक" से विनती व विनम्र निवेदन करते हैं।
"गणेश जी के चमत्कार"
कभी मिल जाएं,तो गणपति बब्बा से पूछना--
कैसे सूरज गर्म बनाया,
शीतल चाँद उजारा।
जुदा-जुदा नित नभ के माहीं,
कैसे चमकत तारा।।
ऊँचे-ऊँचें पर्वत कीन्हें,
सरिता निर्मल धारा।
कैसे भूमि अचल निरन्तर,
क्यों सागर जल खारा।।
किस विध बीज बने बिरछन के,
नाना भाँति हजारा।
'ब्रह्मानन्द' अंत नहीं आवे,
सुर-नर-मुनिगण हारा।।
यह टेक्नोलॉजी हमें भी समझना है।
इस 'काफी तीनताल' दोहे का अर्थ
समझ नहीं आये,तो
ईमेल करें अमृतम की वेवसाइट पर
श्री गणेश ,काटो क्लेश-
परम् माँ भक्त, माँ के दुलारे,
परमात्मा शिव के पुत्र,
मङ्गलनाथ भगवान कार्तिकेय
स्वामी के छोटे भाई,
मणिधारी,इच्छाधारी सिद्ध नागों के अधिपति,
श्री विश्वकर्मा जी के दामाद,
रिद्धि-सिद्धि के पति,
शुभ-लाभ के पिता हैं।
नंदीनाथ के नारायण
लड्डू गोपाल के सखा
सकल जगत के रचयिता,सबका पालनहारा,
निसदिन न्यारा बुद्धि-बलदायक,अखण्ड जीव-जगत का नायक "विनायक"
धन्य है!बहुत लम्बे हाथ वाले,
लम्बोदर को।
तभी कहा गया कि
"गण लम्बोदर की लीला,
नहीं जाने गुरु और चेला"
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