वायु विकार में मुलेठी एवं गुलकन्द युक्त पान खाने के बाद लेवें, तो गैस से तुरन्त राहत मिलती है।
आयुर्वेदिक शास्त्रों में विशेष
निर्देश दिया गया है कि…..
सौ काम छोड़कर खाना,
हजार काम त्यागकर नहाना और
लाखों कार्य छोड़कर पाखाना।
क्योंकि पेट सफा, तो सब रोग दफा
यानी पाखाना साफ होने से सब बीमारी
मिट जाती है हैं या होती ही नहीं है।
शरीर में कब्ज का कब्जा होने से सारा
जज्बा, आत्मविश्वास नेस्तनाबूद हो जाता है।
पेट में गैस तथा कब्ज की तकलीफ के कारण सन्सार में 70 फीसदी व्यक्ति के हालात
कुछ इस प्रकार हैं कि….
कोई गुमसुम सा बैठा है,
कोई पेटदर्द का मारा है।
तबियत मत पूछिए किसी से,
हर कोई कब्जियत से हारा है।।
रसेन्द्र सारः सहिंता के अनुसार कब्ज
के कारण अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं।
हरेक बीमारी की शुरुआत कब्ज से ही होती है।
पेट की लगातार खराबी से तन-मन, जीवन बर्बाद हो जाता है।
गैस बनी, तो रिलेक्स खत्म…
आयुर्वेद का नियम है…उदर वायु से आयु
क्षीण हो जाती है। गेस विकार शरीर में हाहाकार मचा देते हैं।
अमृतम पत्रिका का यह उदघोष ....
जीवन का सार-जीवन के पार ....
ले जाने में सहायक है।
ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
अभी मनुष्य स्वास्थ्य के मामले में ही अंधकार में जी रहा है।
मोक्ष-मुक्ति, तो अभी दूर की कोढ़ी है।
कबीरदास जी ने कहा है कि- ईश्वर ने जैसी चदरिया दी है, हमें वैसी ही वापस करना चाहिए।
तंदरुस्ती भी मृत्यु से अमृत की यात्रा है।
जिनका तन-मन-अन्तर्मन पूर्णतः प्रसन्न है.... स्वस्थ्य है!
शांति का श्रेष्ठ अनुभव वही कर पाते हैं।
स्वास्थ्य हेतु खाने से ज्यादा जरूरी है... नहाना
आयुर्वेद के ऋषि-मुनि कहते हैं कि सर्वप्रथम प्रातः पहले पहर में स्नान करके ही नष्ट आदि करें।
नाश्ते में मीठा दही या दूध जरूर शामिल करें। यदि जीवन से राग है, परिवार से प्रेम है, तो तन-मन को रोग-रहित बनाओ।
निरोगी होना सबसे बड़ी सम्पदा है।
उदर में कब्ज या गैस से होते हैं 25 प्रकार के रोग….
【१】हृदय कमजोर होने लगता है।
【२】सिर में लगातार दर्द बना रहता है
【३】गुदा और गुर्दे के रोग होने लगते हैं।
【४】लिवर, किडनी, आंते और पाचनतंत्र विकृत हो जाते हैं।
【५】पेट में दर्द बना रहता है।
【६】बीपी हाई रहता है
【७】चक्कर आते रहते हैं।
【८】सिर व शरीर भारी रहता है।
【९】हाथ-पैरों में कम्पन्न रहता है
【१०】बुढ़ापा जल्दी आता है।
【११】आंखें कमजोर होने लगती है।
【१२】कब्ज के कारण ही वातरोग पैदा होते हैं
【१३】कफ की शिकायत रहती है।
【१४】खून की कमी होने लगती है।
【१५】भूख लगने बन्द हो जाती है।
【१६】किसी काम में मन नहीं लगता।
【१७】याददाश्त कमजोर होने लगती है।
【१८】मोटापा तेजी से बढ़ने लगता है।
【१९】स्वभाव चिढ़ चिढ़ा हो जाता है।
【२०】रात को नींद नहीं आती।
【२१】 हमेशा चिन्ता बनी रहती है।
【२२】शुक्राणु क्षीण होने लगते हैं।
【२३】महिलाओं को भयानक पीसीओडी जैसे खतरनाक स्त्रीरोग घेर लेते हैं।
उनकी सुन्दरता कम होने लगती है। चेहरे की चमक मिट जाती है।
पीसीओडी या पीसीओएस की परेशानी निरन्तर बनी रहे, तो बुढापा जल्दी आता है।
अमृतम नारी सौंदर्य माल्ट के फायदे गूगल पर पढ़ें।
【२४】बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता
【२५】केन्सर, मधुमेह, अल्सर, बबासीर,
थायरॉइड आदि ऐसी बहुत सी बीमारियों
का कारण कब्ज अथवा वायुविकार/गैस है।
कब्ज होने या पेट एक बार में साफ न रहने से शौच करने में बाधा उत्पन्न होती है।
पाचनतंत्र प्रभावित होता है, जिसकी वजह से शौच करने में बहुत पीड़ा होती है।
किसी किसी को कब्ज कारण केवल गैस की समस्या होती है।
कब्ज से पाचनतंत्र बिगड़ने से भोजन समय पर पच नहीं पाता।
आजकल कब्ज की समस्याओ से बच्चे और युवा पीढ़ी, बुजुर्ग तथा स्त्री-पुरुष सभी परेशान होकर रोगों से पीड़ित हो चुके है।
आयुर्वेद ग्रंथों में इसका विस्तार से उल्लेख है।
अमृतम के पास इसका शर्तिया उपाय है..
कब्जियत को मिटाने का सर्वश्रेष्ठ और सरल
उपाय है कि…
रोज रात को 1 से 2 गोली
√ अमृतम टैबलेट के साथ
√ कीलिव स्ट्रांग सिरप एक गिलास सादे जल से नियमित लेते रहें।
आयुर्वेदिक शरीर विज्ञान के मुताबिक…
शरीर को थाकाएँगे, तो यह आराम देगा एवं स्वस्थ्य भी रखेगा। अगर तन को आराम दिया, तो यह रोग देगा।
फिर राम-श्याम भी देह की रक्षा कर सकते।
अतः तन-मन की शांति-सुंदरता के लिए आयुर्वेद सहिंता ग्रन्थ के अनुसार नीचे निर्देशित नियम तथा परहेज अपनाएं...
@ मॉर्निंग वॉक एव व्यायाम नियमित करें।
प्राणायाम की आदत बनाये…
@ रात का खाना भरपेट न लें
@ रात्रि में दही का सेवन कतई न करें।
@ रात्रि में सोते समय और सुबह उठते ही अधिक से अधिक पानी ग्रहण करें,
ताकि आँतों में खुश्की उत्पन्न न हो।
@ सप्ताह में दो बार मूंग की दाल का पानी जरूर पिएं। हो सके, तो मूंग की दाल
में रोटी गलाकर खावें। पेट के रोगों में यह बहुत मुफीद है।
@ अमरूद, गुलकन्द, मुनक्का, किसमिस, अनारदाना और अमलताश गूदा आदि
कब्जनाशक तथा पेट को ठीक रखने वाली प्राकृतिक ओषधियाँ हैं।
जिनका ज्यादा से ज्यादा सेवन करने की आदत डालें।
@ रात को फल, जूस, सलाद के सेवन से बचें।
@ अरहर की दाल सबसे ज्यादा कब्ज
पैदा करती है। पेट की बहुत सी बीमारी
इसी की वजह से होती है। इसका उपयोग कम से कम करें।
यदि खाने का बहुत मन हो तो अधिक से अधिक जल जरूर पियें।
@ एसिडिटी रहती हो, तो खाने के बाद
एक पान गुलकन्द युक्त चबचबाकर खाएं।
@ सुबह बिना नहाए कुुुछ भी
अन्न न लेवें। अधिकांश लोगों ने यह
आदत बना ली है कि…सुबह चाय के
साथ बिस्किट आदि बिना स्नान के ही
लेते हैं, जो शरीर के लिए बेहद हानिकारक है।
दरअसल हमारे शरीर में 70 फीसदी
पानी का हिस्सा है, इसलिए शरीर की पहली
जरूरत पानी है।
@ पानी जवानी बनाये रखता है। पानी से ही
वाणी शुद्ध होती है।
बिना नहाए, खाया गया अन्न शरीर में अनेकों दोष एवं रोग उत्पन्न करता है।
@ पेट साफ करने वाले सभी
चूर्ण सनाय तथा शुद्ध जयपाल जैसी नुकसानदेह ओषधियों से निर्मित होते हैं, जो तत्काल तो लाभ देते हैं, किन्तु बाद में रोगों का कारण बनते हैं। इनसे बचे।
आयुर्वेद से ताल्लुक रखो,
तबियत ठीक रहेगी।
अमृतम वो हकीम है,
जो अल्फाजों से इलाज करता है।।
¶~ “अमृतमपत्रिका” ग्रुप से जुड़कर आयुर्वेद की सत्य और सच्ची जानकारी का सन्दर्भ ग्रन्थ सहित पढ़ें।
¶~ अमृतम की १०० फीसदी आयुर्वेदिक
ओषधियों का सेवन कम से कम 20 से 40 दिनों तक करें, तभी हितकारी रहेगा।
¶~ “अमृतम गोल्ड माल्ट”
तीन महीने तक सेवन करें।
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“जिओ गोल्ड माल्ट” लेवें।
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बढ़ाने में “नारी सौन्दर्य माल्ट”
पीसीओडी की समस्या से निजात दिलाता है।
नवयौवनाओं हेतु बहुत कारगर ओषधि है।
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का इस्तेमाल करें
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√ अमृतम कुंकुमादि तेल अदभुत नैचुरल ट्रीटमेंट है।
!!हर-हर-हर महादेव!!
गुरुपूर्णिमा को करें- श्रीगुरुगीता का पाठ, तो मिल जाएंगे सारे ठाठ-वाट और राज्य-पाठ।
पढ़ते रहें अमृतम पत्रिका, ग्वालियर मप्र से साभार
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