कैसे बनाएं रखें जीवन में पाजिटिविटी ? | Positivity & Ayurveda

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कैसे बनाएं रखें जीवन में पाजिटिविटी ? | Positivity & Ayurveda

कैसे बनाएं रखें जीवन में पाजिटिविटी ? | Positivity & Ayurveda

जानिए कैसे-हम खुद ही      

रोग-विकार,बीमारियों के लिए जिम्मेदार है-

◆ फालतू विचारों- से सिर में दर्द होता है।
◆ निगेटीव सोच से- रक्त संचार शिथिल होकर तन को सुस्त बना देता है।

◆ ज्यादा चिंता से-डर,भय,भ्रम उत्पन्न होता है।

◆ मन को भटकाने से- अशान्ति अति है
◆ ऊल-जुलूल,गलत खाने से पेट दर्द, कब्जियत होती है।
◆ चटोरेपन व ज्यादा खाने से-पेट में बीमारियां जन्म लेती हैं।
◆ नींद पूरी न लेने से-दिमाग कमजोर होने लगता है।
◆ ज्यादा आलस्य से- भुलक्कड़ पन आने लगता है। याददास्त क्षीण होने लगती है।
◆ सुबह उठते ही खाली पेट पानी न पीने से-त्वचा रोग (स्किन डिसीज़) होने लगती है।
◆ पानी कम पीने से- पित्त की थैली में पथरी (स्टोन) पड़ जाती है।
◆ पेशाब कम आने से- आंखों की रोशनी कम होने लगती है।
◆ समय पर काम न करने से- तनाव बना रहता है।
◆ जीवनीय शक्ति की कमी से- मलेरिया,ज्वरः
और संक्रमण से पैदा होने वाली बीमारी बार-बार घेर लेती हैं।
◆ गलत जीवन शैली से- शरीर, कभी दुर्बल/कभी मोटा अथवा बीमार होने लगता है।
 
            उपरोक्त लापरवाही के अलावा सैकड़ों और भी अनेक कारण है। जिस कारण हम रोगों से पीड़ित होते हैं। हम बेवजह दोषारोपण दूसरों पर करते रहते हैं | जब कि इसमें कोई भी दोषी नहीं है|

विचार करें औऱ विकार भगाएं

अगर हम इन कष्टों के कारणों पर, होने वाले विकारों पर, बारीकी से विचार करें तो पाएंगे की कहीं न कहीं हमारी मूर्खताएं,गैरजिम्मेदाराना आदतें ही हमें रोगी बनाकर रखती हैं। इनके पीछे लापरवाही बहुत बड़ा कारण हो सकता  है|

स्वस्थ्य-तन,प्रसन्न-मन हेतु

आयुर्वेद की प्राचीन अमृतम सूक्तियां,सूत्र व नियम अपनाकर हम हेल्दी और खुश रह सकते हैं।
 
    तर्क शास्त्र,व्रतराज आदि ग्रंथों में एकाग्र होने हेतु एक बहुत ही सुन्दर कथा का वर्णन है।
एकाग्रता अपनाने

कृपया ध्यान से पढ़ें-

एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर
नहीं आया करूँगी !

पुजारी ने पूछा -- क्यों ?

तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है !
लोग मन्दिर परिसर में ही गाली-गलौच,
क्रोध करते हैं। लड़के-लड़कियां गले में हाथ डाले गन्दी हरकत करते हैं। कुछ लोग पूजा कम पाखंड,दिखावा तथा बहुत शोर शराबा ज्यादा करते हैं !
यह सब देख मेरा मन बहुत विचलित हो जाता है। पूजा करने की बिल्कुल इच्छा नहीं होती।
 
इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं !

महिला बोली -आप बताइए क्या करना है ?

पुजारी ने कहा -- एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए । शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये !
 
महिला बोली -- मैं ऐसा कर सकती हूँ !
 
फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया ! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे?

■ क्या आपने किसी को फोन पर

बात करते देखा?

■ क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?

■ क्या किसी को पाखंड करते देखा?

महिला बोली -- नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा !

फिर पुजारी बोले --- जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया|
 
 अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा| सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें|
 
 इसी तरह एकाग्रता की कमी और खानपान की लापरवाही से रोग बीमारियाँ जन्म लेती है।
 शास्त्र का कथन है -- आपको केवल मन बदलना है तन अपने आप तंदरुस्त रहने लगेगा।

      '' जाकी रही भावना जैसी ..

        प्रभु मूरत देखी तिन तैसी|''

        रामायण की यह चोपाई तन-तंदरुस्त,

        मन-प्रसन्न रखने में सहायक है।

जीवन में दुःखो के लिए कौन जिम्मेदार है ?

भगवान,
भाग्य-दुर्भाग्य
गृह-नक्षत्र,
किस्मत,
रिश्तेदार,
पड़ोसी,
सरकार,
मित्र-यार ये कोई भी नहीं हैं।

जिम्मेदार आप स्वयं है।

सदैव स्वस्थ्य रहने के लिए
का नियमित सेवन करें।Ayurvedic Tips

■ मन की प्रसन्नता तथा 

भुलक्कड़ पन से छुटकारा पाने हेतु-

एवं
लाइफ टाइम ले सकते हैं।

■ बालों को झड़ने,पतले होने,

रूसी और केश रोगों से बचाना हो,तो

 
 
 
 
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■ महिलाओं की खूबसूरती बढ़ाने में
और
बहुत जल्दी असरदायक आयुर्वेदिक
ओषधि है ।
 
आपका जीवन प्रकाशमय हो तथा शुभ हो|
 
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