गिलोई एक अमृत

Call us at +91 9713171999
Write to us at support@amrutam.co.in
Join our WhatsApp Channel
Download an E-Book
अमृतम जड़ी-बूटियां
^^^^^^^^^^^^^^^^^
"निपाह वायरस" 
जैसे संक्रमण का रक्षक-
गिलोय युक्त "अमृतम गोल्ड माल्ट"
 
 गिलोय एक अमृत
 
गिलोय –के गुण-लाभ, उपयोग,
 उत्त्पत्ति सेवन विधि व पहचान के
 बारे में इस लेख में वह सब कुछ मिलेगा,
 जिसे आज तक न जान सकें ।
 
आयुर्वेद शास्त्र -
? वनोषधि चन्द्रोदय,
? भावप्रकाश निघंटु,
 ? द्रव्यगुण विज्ञान
आदि में  गिलोय के विभिन्न
नाम बताये हैं, जो इस प्रकार हैं-
गिलोय के संस्कृत नाम-
 
गुडूची- 'गुडरक्षते' । अर्थात
गुडूची अनेक व्याधियों से रक्षा करती है ।
 
मधुपर्णी- 'मधुमयानि पर्ण अन्यस्या:'।
 जिसके पर्ण (पत्ते) मधुर होते हैं ।
अमृता- न मृतमस्या:,
अर्थात गिलोय या गिलोय से निर्मित ओषधियों
के सेवन से रोग व मृत्यु टल जाती है ।  जीवाणु-कीटाणुओं से रक्षा करता है ।
 
अमृतवल्लरी-अमृत रस बरसाने वाली
छिन्ना- जो काटने पर भी नष्ट न हो ।
छिन्नरुहा- छिन्ना अपि रोहति.,।
जो काट डालने पर भी बढ़ती रहती हो ।
छिंनोदभवा
वत्सादनी- वत्से:अद्यते, 'अद भक्षणे',।
बछड़े जिसे खाते हैं ।
जीवन्ती-
जीवन दायिनी । जीवनीय शक्तिदायक ।
रोगप्रतिरोधक क्षमता वृद्धिकारक ।
संक्रमण नाशक ।
तंत्रिका- तन्त्रयति या-सा, 'तत्रीकुटुम्बधारणे' ।
"तन्त्रयते धारयत्यायु:" ! अर्थात- गिलोय सारे शरीर के साथ ही कुटुम्ब के आयुष्य की रक्षा करती है ।
सोमा- अमृत से भरने वाली ।
सोमवल्ली
कुण्डली-आध्यात्मिक ऊर्जादायक ।
 कुंडलिनी जागरण में सहायक
चक्रलक्षणिका- सप्तचक्र जागृत करे
धीरा- धीरे-धीरे शरीर को क्रियाशील
बनाने वाली ।
विशल्या
रसायनी- ताकत देने वाली । इसके सेवन
 से हानिकारक रसायन नष्ट होते हैं ।
गरुनवेल
गुलवेल
चंद्रहासा
वयस्था
मण्डली और
देवनिर्मिता- देवताओं द्वारा खोजी गई ।
आदि गिलोय के संस्कृत नाम है ।
गुणकारी गिलोय-
वायरस,संक्रमण तथा आकस्मिक रोगों से शरीर
 की रक्षा करने के कारण इसका काढ़ा बनाकर
"अमृतम गोल्ड माल्ट" में मिलाया है ।
Amrutam Gold Malt
 
यह सर्वरोग नाशक है ।  गुडूची,अमृता या गिलोय नाम से प्रसिद्ध यह कटु (कड़वी) तिक्त, तथा कषाय रस युक्त एवम विपाक में मधुर रसयुक्त, रसायन, संग्राही, उष्णवीर्य, लघु,बलकारक, अग्निदीपक तथा त्रिदोष, आम (आँव), तृषा (प्यास), दाह (जलन), मेह (मधुमेह), कास (खांसी) पाण्डुरोग (खून की कमी या खून न बनना), कामला (यकृत रोग पीलिया), कुष्ठ (सफेद दाग) वातरक्त, ज्वर, कृमि, त्वचारोग और वमि (अति सूक्ष्म कीटाणु) आदि रोगों का
नाश करती है ।
 
अमृतम गिलोय- प्रमेह, श्वांस,
अर्श (बबासीर),मूत्रकृच्छ
 (पेशाब की रुकावट,जलन)
 हृदयरोग, संक्रमण या वायरस से
 फैलने वाले रोग और पुराने वात-विकारों
 को उत्पन्न नहीं होने देती।
 
 गिलोय के बारे में
 'गुडूच्यादिवर्ग:', में लिखा है कि-
 
 "गुड़ति रक्षति इति गुडूची"।
 
 यह रोगों से शरीर की रक्षा करती है ।
 गिलोय-वातघ्न है (चरक)
 गिलोय- ग्राही, वातहर,
 दीपनीय (भूख बढ़ाने वाली),
 श्लेष्महर (फेफड़ों के रोग,कफनाशक),
 रक्तरोगों का संहार करने वाली तथा
 विबंध (पुरानी कब्ज) दूर करने वाली है ।
 पित्त और कफ पूरी तरह मिटा देती है ।
 
 सुश्रुत संहिता के हिसाब से गिलोय-
 
 शरीर में  संक्रमण, वायरस के कारण पनपने
 वाले विकारों का नाशकर,  बेशुमार जीवनीय शक्ति बढ़ाकर शरीर को शक्तिशाली बनाती है ।
 
 राज्यनिघण्ठ के अनुसार-
 गिलोय भय-भ्रम से उत्पन्न
 विकारों को दूर करती है । संक्रमण, वायरस, ज्वर के जीवाणु गिलोई के सेवन से नष्ट हो जाते हैं ।
 गिलोय के अन्य उपयोग -
@- गिलोय देसी घी के अनुपान के साथ लेने से शरीर की सम्पूर्ण वायु, वात-विकार नष्ट हो जाते हैं ।
@- गिलोय- गुड़ के साथ लेने से पुरानी से पुरानी कब्ज दूर होकर, दस्त साफ आता है ।
@- गिलोय-मिश्री के साथ लेने से पित्तनाशक है ।
@-गिलोय-शहद (मधु) के साथ लेने से
कफ को तथा शुण्ठी के साथ आमवात को दूर करती है ।
 
धन्वन्तरि निघंटु में ऐसा लिखा है  ।
 
अमृतम के इस सम्पूर्ण लेख (ब्लॉग) को पढ़कर ही पकड़ पाएंगे की गिलोय अमृत क्यों है ?
ग्रामीणों की पुरानी कहावत है कि-
 
जिसके घर हो गिलोय, 
वह काय को रोये ।
 
शास्त्रों में क्या लिखा है-
 प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ
आदर्श निघंटु, भावप्रकाश,
द्रव्यगुण विज्ञान, आयुर्वेद सहिंता आदिमें
"अमृतम गिलोय" के बारे में इतना विस्तार से बताया है कि सृष्टि में होने वाले अनेक ज्ञात-अज्ञात, दृश्य-अदृश्य, साध्य-असाध्य किसी भी प्रकार के नए व पुराने रोगों को, तो ठीक करती है । साथ ही अमृता के सेवन से तन-मन व वतन में समय-असमय फैलने वाले विकार विपरीत परिस्थितियों में भी कुछ नहीं बिगाड़ पाते ।
 
गिलोय का परिचय- 
 
भारत में सब स्थानों में  मिलने वाली अमृतम गिलोय बरसात के समय गाँव-गाँव, वन-वन बहुत मात्रा में पायी जाती है । ।गिलोय एक बहुवर्षायु बेल की तरह फैलने वाली लता है |
पहले कथा में इस लता की चर्चा होती थी । भागवत कथा, वेद-पुराणों में भी इसका
 उल्लेख है ।
 
कहाँ उगती है गिलोय-
 
गिलोय को खेत की मेढ़ों, घर की छत पर, बाग़ – बगीचे या सड़क के किनारे किसी पेड़ या दीवार पर चढ़ी हुई देख सकते है | गिलोय के पत्ते पान (नागवल्ली) के पतों की आकृति के होते है |
  आयुर्वेद में इसे अमृता, अमृतम ओषधि कहा गया  है । अमृत के समान उपयोगी होने से मानव शरीर पर गिलोय का प्रयोग  लाभदायी होता है |
 
आदिकाल से आज तक अमृतम आयुर्वेद की परम्परागत चिकित्सा पद्धति में गिलोय का
इस्तेमाल हजारों-लाखों वर्षों से हो रहा है ।
भारत में  इसके चिकित्सकीय गुणों का ज्ञान बुजुर्गों को अत्याधिक था | गाँवों में प्राचीन समय से ही बुखार , ज्वर, कफज, संक्रमण व बरसात के कारण फैलने  वाले रोग, प्रमेह रोग, उदर रोग, पुरुषों व महिलाओं के रोग, रक्त की खराबी,सर्दी-खांसी, आदि रोगों में गिलोय के पंचांग को उबाल काढ़ा बनाकर  देने का प्रचलन रहा है |
 
गिलोय का प्रमुख गुण -
यह जिस पेड़ पर चढ़ कर फैलती है | उसके सारे गुण भी अपने में गृहण कर लेती है | नीम पर चढ़ी गिलोय सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है – जिसे नीम गिलोय भी कहते है , इसमें नीम के सारे गुण होते है । इसीलिये यह ज्वर नाशक ओषधि के रूप में प्रसिद्ध है । उदर में उपजे मल का एरिया ठीक होकर  मलेरिया इसके सेवन से नष्ट हो जाता है ।साथ ही अपने गुणों के कारण यह सभी प्रमेह, मधुमेह जैसी बीमारियों  में तुरन्त लाभकारी है |
भारत के अलग-अलग प्रान्तों
 व भाषाओं में गिलोय
को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे-
 
◆हिंदी में- गिलोय, गुरुच, गुडुच ।
◆ बँगाली में- गुलंच, पालो (सत्व) ।
◆मराठी में- गुलवेल, गरुडवेल ।
◆ गुजराती में- गलो ।
◆ कंन्नड में- अमरदवल्ली, अमृत वल्ली ।
◆ तेलगु में- तिप्पतिगे ।
◆ तामिल में- शिन्दिल्कोडी, अमृडवल्ली ।
◆ उड़ीसा में- गुलंचा ।
◆ मलयालम में- अंम्रितु ।
◆ गोआ में- अमृतवेल ।
◆ फारसी में- गिलोई, गिलोय ।
◆ अरबी में- गिलोई ।
◆अंग्रेज़ी में- टिनोस्पोरा ।
 
उत्त्पत्ति स्थान- सर्वत्र , भारत के हर कोने में ।
उपयोगी अंग- काण्ड व पर्ण
संग्रह काल- गर्मी के दिनों में वर्षा पूर्व
 इकट्ठी करना चाहिए ।
 
-गिलोय की ताज़ी काण्ड
त्वक में तीन रवेदार पदार्थ, गिलोइनिन,
ग्लाइकोसाइड (Giloin,C-23, H-32, 5H-2, O), गिलोइनिन नामक कड़वा पदार्थ (Giloinin,C-17, H-18, O-5) तथा गिलिस्टेरॉल (Gilosterol, C-28, H-48, O ) पाए जाते हैं ।
इसके अतिरिक्त गिलोई में बर्बेरिन (barberin)
 की तरह का एक पदार्थ पाया जाता है ।
 
गिलोय का कांड (तना)
 
औषध उपयोग में गिलोय का कांड ही सर्वाधिक उपयोगी  है | इसका तना मांसल होता है जिन पर लताये नीचे की तरफ झूलती रहती है | गिलोय के तने का रंग धूसर , भूरा या सफ़ेद हो सकता है | तने की मोटाई तन की अंगुली से अंगूठे जितनी होती है , लेकिन अगर बेल अधिक पुरानी है तो यह तना भुजा के आकार का भी हो सकता है | तने को काटने पर तने के अन्दर का भाग चक्राकार दिखाई पड़ता है |
 
गिलोय के पत्र (पतियाँ)-
 
पान के पते आप सभी ने देखे होंगे | गिलोय   पान के पत्तों के समान आकृति और प्रारूप वाली होती है | गिलोय पत्तों का व्यास 2″ से 4″ का होता है | इस पर 7 से 8 रेखाएं बनी हुई होती है | पत्तेछूने पर कोमल और स्निग्ध (चिकने) प्रतीत होते है | ये पते 1 से 3 इंच के पत्र डंठल  सीधे बेल के पतले तनों से जुड़े हुए होते है |
 
गिलोय का फूल-
 
गर्मी के दिनों (ग्रीष्म ऋतु) में जब अमृता के पत्ते झड़ जाते है,  तब इसके फूल आते है | गिलोय के फूल आकार में छोटे, पीले या हरिताभ पीले रंग के होते है | इसके फूल मंजरियों में इक्कठे लगते है |
 
गिलोय के फल -
 
इसके फल शीत ऋतु में लगते है, जो आकार में मटर के सामान छोटे अंडाकार और चिकने मांसल होते है | कच्चे फल हरे रंग के और पकने पर लाल रंग के हो जाते है | इन फलों में बीज निकलते है जो सफ़ेद और चिकने , ये बीज मिर्च के बीज के सामान टेढ़े और पतले होते है |
 
गिलोय का रासायनिक संगठन -
 
इसके कांड में स्टार्च मुख्य रूप से पाया जाता है , इसके अलावा इसमें तीन रवेदार द्रव्य गिलोइन , गिलोइनिन और गिलिस्टरोल पाए जाते है तथा साथ में ही बर्बेरिन भी कुछ मात्रा में पाया जाता है | ये सब ऊपर लिख दिया है ।
 
आयुर्वेदिक शास्त्र -
★ सोढल,
★ वंगसेन,
★ शारंगधर सहिंता आदि में पुराने समय में गिलोय से नष्ट होने वाले  रोग के बारे में जिस भाषा शैली में  प्राचीन रोगों के नाम लिखे हैं, उन्हीं शब्दों में प्रस्तुत है ।
 
गिलोय के औषधीय गुण धर्म-
गिलोयके लिये लिखा कि-
 जो न खाये गिलोय, वही जल्दी सोये ।
अमृतम आयुर्वेद के आचार्यों का 'सोये से तात्पर्य जल्दी मृत्यु से है' ।
गिलोय का रस तिक्त और कषाय  होता है |
 गुण में गिलोय गुरु और स्निग्ध होती है |
  यह शीत वीर्य होती है ।
  पचने पर इसका विपाक मधुर होता है |
 यह स्वाभाव में चरपरी, कडवी, रसायन, पाक में मधुर, ग्राही, कसैली, हलकी, गरम, बलदायक, त्रिदोष शामक और ज्वर, आम तृषा, प्रमेह, खांसी, पांडू, कामला, कुष्ठ, वातरक्त, कृमि, वमन, श्वास, बवासीर, मूत्र कृच्छ, हृदय रोग एवं वात प्रकोप को दूर करती है |
 
गुडूची का सत्व -वातिक, पैतिक, श्लेष्मिक
(वात-पित्त-कफ) ज्वर में बहुत फायदेमंद होता है | साथ ही जीर्ण ज्वर, सन्निपात ज्वर, ज्वरातिसार, सूतिका ज्वर, रात्रि ज्वर और मलेरिया ज्वर में बहुत गुणकारी माना जाता है |
नीम गिलोय का सत्व- मधुमेह रोग के लिए उत्तम औषधि साबित होता है | लगातार इसके सत्व का उपयोग करने से रक्त शर्करा का विकार दूर होता है ।
 
गिलोय के रोग-प्रभाव-
 
गिलोय त्रिदोष शामक, सभी प्रकार के ज्वर में सबसे उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है | विषम ज्वर ,जीर्ण ज्वर, वायरल , छर्दी , अम्लपित, पीलिया, रक्ताल्पता आदि रोगों में भी बेहतर प्रभाव डालती है | रक्तविकार, यकृत , प्लीहा, सुजन , कुष्ठ, मेह, पुयमेह, श्वेत प्रदर और स्तन्य विकारो में लाभकारी होती है  ।
 
मात्रा एवं सेवन विधि-
 
गिलोय का चूर्ण 1 से 3 ग्राम तक ले सकते है | इसके सत्व को 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक लिया जा सकता है एवं क्वाथ को 5 से 10 ग्राम तक ले सकते है | अथवा
■ "अमृतम गोल्ड माल्ट"
का नियमित सेवन कर सकते हैं । इसमें गिलोय, चिरायता, सेव्,आँवला, हरड़ (हरीतकी) मुरब्बा, सिद्ध मकरध्वज का समावेश किया गया है ।
 
विभिन्न भाषाओँ में गुडूची के पर्याय
 
∆ हिंदी – गिलोय, गुडूची |
 
∆ बंगाली – गुलच्च |
 
∆ मराठी – गुलवेल |
 
∆ गुजराती – गलो |
 
∆ तेलगु – टिप्पाटिगो |
 
∆ लेटिन – Tinospora chordifolia Mies
 
जाने रोगानुसार गिलोय के फायदे
 
गिलोय को अमृता भी कहा जाता है , क्योंकि इसके फायदे अमृत समान गुणकारी होते है | विभिन्न रोगों में गिलोय के लाभ एवं उपयोग यहाँ देख सकते है –
 
रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धिकारक गिलोय-
 
गिलोय में एंटी ओक्सिडेंट गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते है | इसके सेवन से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में विकास होता है , जिससे व्यक्ति जल्दी बीमार, तो होता ही नहीं एवं लम्बे समय तक स्वस्थ -मस्त रहता है |
गिलोय यकृत, गुर्दे और जिगर स्वस्थ रखता है | शरीर में मूत्र सम्बन्धी विकारो में भी शुभ परिणामकारी  है |
●आदिकाल से अभी तक सबको पता है कि  अमृता कितनी प्रभाकारी है । हम भी यही बता रहे हैं  । अमृता का नियमित सेवन
शरीर को अनेक संक्रमण, वायरस,
बीमारियों से बचा सकता है |
 
रक्त की कमी एवं रक्त विकारों में उपयोगी-
 
गिलोय के नियमित सेवन से शरीर मे खून की कमी को पूरा किया जा सकता है |
शरीर में खून हो और दिल में जुनून हो ,
 तो व्यक्ति अपने सभी सपने साकार कर सकता है । जिनके शरीर में खून की कमी है वे गिलोय के रस के साथ
★ "मधु पंचामृत" मिलाकर सुबह – शाम सेवन करे |
★ "अमृतम गोल्ड माल्ट" 2-2 चम्मच गुनगुने दूध से 2 या 3 बार 2 माह तक लगातार लेवें । खून की कमी के साथ – साथ यह नुस्खा त्वचारोग दूरकर  खून को भी साफ- स्वस्थ रखने तथा रक्तसंचार में मदद करेगा |
 
उत्तम ज्वर नाशक औषधि - सभी ज्वर नाशक ओषधियों के निर्माण में गिलोय मिश्रण जरूर किया जाता है । क्योंकि गिलोय एक प्राकृतिक ज्वरनाशक,
 संक्रमण रक्षक, औषधि है |
सभी संक्रमणों व वायरस के आक्रमणों से
बचाता है । ज्वर या जीर्ण ज्वर में गिलोय के कांड का काढ़ा बना कर लेने से बुखार से निजात मिलती है – बुखार में इस काढ़े को तीन समय तक प्रयोग कर सकते है |
 निपाह वायरस,
 चिकनगुनिया, 
डेंगू फीवर, या
स्वाइन फ्लू
आदि रोग जो कि संक्रमण या वायरस के कारण रोगों का रास्ता खोलते हैं । उनके लिये गिलोय या गिलोय से निर्मित हर्बल उत्पाद
चमत्कारी रूप से फायदा पहुंचाते हैं ।
 
जिनके अचानक प्लेटलेट्स भी कम हो रहे हो तो – गिलोय के कांड के साथ पपीते के पत्तों का रस मिलाकर काढ़ा तैयार कर ले और नियमित सेवन करे | जल्द ही खून में प्लेटलेट्स की संख्या में बढ़ोतरी होगी एवं संक्रमण रोग में भी आराम मिलेगा |
 
नयनों का तारा है गिलोय-
 
नेत्र विकार दूर कर सपने साकार करने में भी गिलोय के अच्छे परिणाम देखे गए है | स्वस्थ्य तन से ही मन अच्छा रहता है एवम मन में
अमन होने पर सपने पूरा करना सहज-सरल
 हो पाता है ।
अमृता-आँखों की रोशनी बढ़ाती है, जिनकी  द्रष्टि कमजोर हो वे दूरदृष्टि से सोच नहीं पाते । वे गिलोय  स्वरस का सेवन कर सकते है या आँखों पर गिलोय के पतों को पीस कर लगाने से भी लाभ मिलता है |
 
वात-विकार, करे हाहाकार-
 
गिलोय और गिलोय से निर्मित
 ¶"अमृतम गोल्ड माल्ट" तथा
 ¶"ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल" माल्ट,चूर्ण, व
 ¶"ऑर्थोकी पेन आयल"
वात-विकार से लाचार
स्त्री-पुरुषों हेतु बहुत ही असरकारक है । शरीर के सुन्न हिस्से में हलचल पैदाकर सम्पूर्ण नाड़ी प्रणाली को क्रियाशील बनाता है ।
 वात-व्याधियों को उत्पन्न करने वाली सख्त नाड़ियों को मुलायम बनाने में सहायक है ।
 
जब दर्द सताए और नींद न आये,-
ऑर्थोकी- असंख्य वात रोग नाशकर, सूखी
हड्डियों में रस-रक्त कानिर्माण करता है ।
भय-भ्रम, चिंता, तनाव व संक्रमण या वायरस की वजह से होने वाले रोग तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी से उत्पन्न,
 "विकार ग्रस्त वाहिनियों"
 की पूरी तरह मरम्मत कर उनमें
रक्त का संचार करता है ।
 
40 के पार, जिनका तन बेकार
होने लगा हो,उनके लिये
 "ऑर्थोकी" अदभुत  है ।
 
वातज विकारो में -
मुख्य रूप से शरीर में दर्द रहता है यह दर्द जोड़ों (जॉइंट्स) ,कमर, साइटिका,  पेट आदि किसी भी जगह हो सकता है | अगर आपके शरीर  वातज विकार से लाचार हो, तो साथ में गिलोय् के 3 ग्राम चूर्ण को मधु पंचामृत या शुद्ध घी के साथ रोज 4 या 5 बार सेवन करे |
 
जब रोग किसी भी योग (चिकित्सा)
से ठीक न हो रहे हों, तब
पुराने से पुराने असाध्य वातरोगों को जड़मूल से मिटाने के लिये
ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल, माल्ट एवम ऑर्थोकी पेन आयल का उपयोग करें  । शरीर की सप्तधातुओं को बलिष्ठ बनाकर वात- विकारो का सर्वनाश करता है ।
हमेशा की तकलीफ से आराम मिलेगा |
 
यकृत रोगों में लाभकारी गिलोय-
 
उदर रोग या यकृत के कारण होने वाले पीलिया रोग में इसका सेवन सर्वश्रेष्ठ है | गिलोय में पाए जाने वाले तत्व पीलिया रोग को ठीक करने में कारगर सिद्ध होते है | गिलोय के कांड को कूट कर इसका काढ़ा बना ले और इसमें  "मधूपंचामृत" मिलाकर  3 बार सेवन करे | छाछ के साथ भी गिलोय का रस मिलाकर
लेने से भी पीलिया रोग में जल्दी ही आराम मिलता है |
 
कैंसर-रोधी गुणों से भरपूर 
 
गिलोय में कैंसर रोधी गुण पाए जाते है | ब्लड कैंसर के रोगी को गिलोय के रस  एवम
 गेंहू के ज्वारे का रस
दोनों समान मात्रा में और साथ में तुलसी के पतों को पीस कर इस रस में मिलाये , इसका सेवन नित्य करने से कैंसर (कर्कटरोग) में काफी लाभ मिलता है |
 यह नुस्खा कीमोथेरेपी से होने वाले शारीरिक नुकसानों से भी बचाता है |
 
वमन (उल्टी) में उपयोगी -
 
 गिलोय के रस में "मधु पंचामृत" मिलाकर सेवन करने से उल्टी होना बंद हो जाती है , साथ ही इसके प्रयोग से पेट भी साफ-स्वस्थ रहता है
 
दिल के मरीजों हेतु लाभकारी-
 
गिलोय उन्माद ( पागलपन ) के साथ – साथ हृदय के लिए भी फायदेमंद होती है | गिलोय के कांड को कूट कर इसका काढ़ा बना ले , इस काढ़े में एक चम्मच
? ब्राह्मी का रस,
एक चम्मच मिलादे | इसका सेवन करने से हृदय को बल मिलता है ।  उन्माद का नाश तथा याददास्त तेज़ होती है  |
 
फोड़ेफुंसियों में उपयोग 
 
त्वचा के सभी विकारो में गिलोय एक
 अच्छी औषधि है |
चेहरे पर फोड़े – फुंसी या दाग धब्बे है, तो गिलोय के फलों को पीसकर  इसका लेप चेहरे पर करने से फोड़े – फुंसियो व त्वचा रोगों में राहत मिलती है | गिलोय में एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद होते है अत: त्वचा के सभी प्रकार के संक्रमण (इन्फेक्शन) में भी गिलोय का प्रयोग किया जा सकता है |
 
मुहाँसे,फोड़े फुंसियों को मिटाने के लिए गुडूची का रस और निम्बू का रस दोनों को समभाग मिलाकर चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करने से जल्द ही फोड़े-फुंसियाँ एवं मुंहासे ठीक होने लगते है |
 
सिद्ध बूटी गिलोय- केवल पुरुषों के लिए
 
गिलोय का सिद्ध योग बनाने हेतु
 1 ग्राम गिलोय सत्व – 4 ग्राम  मधु पंचामृत
 अच्छी तरह मिलालें | यह इसकी एक मात्रा है | इसके उपयोग से शुक्रमेह (वीर्य का पतलापन) मिटता है | इसके साथ
∆ "बी.फेराल माल्ट एवम कैप्सूल"
 महीने भर तक सुबह- शाम लेने से
 पुरुषों के समस्त रोग दूर होते हैं ।
 
लगे कि लेख  लाभकरी है, पढ़ने में लचीला है, तो इसे लाइक, शेयर,कमेंट करें ।

RELATED ARTICLES

Talk to an Ayurvedic Expert!

Imbalances are unique to each person and require customised treatment plans to curb the issue from the root cause fully. Book your consultation - download our app now!

Amrutam Face Clean Up Reviews

Currently on my second bottle and happy with how this product has kept acne & breakouts in check. It doesn't leave the skin too dry and also doubles as a face mask.

Juhi Bhatt

Amrutam face clean up works great on any skin type, it has helped me keep my skin inflammation in check, helps with acne and clear the open pores. Continuous usage has helped lighten the pigmentation and scars as well. I have recommended the face clean up to many people and they have all loved it!!

Sakshi Dobhal

This really changed the game of how to maintain skin soft supple and glowing! I’m using it since few weeks and see hell lot of difference in the skin I had before and now. I don’t need any makeup or foundation to cover my skin imperfections since now they are slowly fading away after I started using this! I would say this product doesn’t need any kind of review because it’s above par than expected. It’s a blind buy honestly . I’m looking forward to buy more products and repeat this regularly henceforth.

Shruthu Nayak

Learn all about Ayurvedic Lifestyle