आयुर्वेद की सर्वश्रेष्ठ ओषधि
विक्रय होने वाला आयुर्वेदिक उत्पाद है और सबसे अधिक गुणकारी व चमत्कारी भी है ।
स्त्रोत है, इसे सुखाने या जलाने के बावजूद इसमें मौजूद विटामिन सी की मात्रा कम नहीं होती। जिसे सबसे ज्यादा
एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है।
वाली करीब 72 प्रकार की जड़ी-बूटियां के मिश्रण से इसका निर्माण किया जाता हैं।
आँवला इसका मुख्य घटक है, इसके अलावा 【१】लौंग, 【२】इलायची, 【३】केशर, 【४】नागकेशर, 【५】पिप्पली, 【६】दालचीनी, 【७】बन्सलोचन, 【८】मधु/हनी 【९】 तेजपत्र, 【१०】पाटला, 【११】अरणी, 【१२】गंभारी, 【१३】विल्व फल 【१४】 श्योनक की छाल, 【१५】पुष्करमूल, 【१६】कमल गट्टा, 【१७】सफेद मूसली 【१८】अकरकरा, 【१९】शतावरी, 【२०】ब्राह्मी, 【२१】छोटी 【२२】हरड़(हरीतकी), 【२३】कमल केसर, 【२४】जटामांसी , 【२५】गोखरू, 【२६】कचूर, 【२७】नागरमोथा,
【२८】काकड़सिंघी, 【२९】दशमूल, 【३०】जीवंती, 【३१】पुनर्नवा
【३२】अश्वगंधा, 【३३】गिलोय, 【३४】तुलसी पत्ती 【३५】मीठा 【३६】नीम, 【३७】सौंठ, 【३८】मुनक्का, 【३९】मुलेठी आदि
सहित कई वनस्पतियां मिलाकर
इम्युनिटी पॉवर बढ़ाये
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। याददाश्त तेज करता है।
"
अमृतम च्यवनप्राश" की सबसे विशेष बात है कि यह
उम्ररोधी यानी "एंटीएजिंग" होता है। शरीर में नई ऊर्जा-उमंग का संचार कर जल्द बुढ़ापा आने से रोकता है।
रेस्पिरेटरी सिस्टम अर्थात
ऑक्सीजन लेकर व कार्बन डाइऑक्साइड देने के लिए प्रणाली को मज़बूत करता है।
पुराना निमोनिया, श्वांस ठीककर, फेफड़ो के संक्रमण या गन्दगी को मल द्वारा बाहर निकल देता है। सर्दियों में होने वाली कपकपाहट या कम्पन, ठंड लगना, खाँसी-जुकाम और संक्रमण/वायरस से आपकी रक्षा करता है।
आजकल खाने में ★कोलेस्ट्रोल★ की मात्रा ज्यादा होती है। इससे दिल की बीमारी होने का खतरा रहता है। इससे कम उम्र में हृदयरोग होने का खतरा बढ़ जाता है। इसमें ऐसी जड़ीबूटियों का समावेश है, जो शरीर से टॉक्सिन्स या विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं और रक्त संचार (ब्लड सरकुलेशन) को बेहतर बनाते हैं तथा
रक्तप्लेलेट्स की वृद्धि में सहायक हैं।
★कोलेस्ट्रोल★क्या है --
यह हमारे शरीर में हार्मोन्स, पाचक रस व विटामिन डी का निर्माण करता है जो शरीर के अंदर की चर्बी को पचाने में सहायक होता है।
"अमृतम च्यवनप्राश" प्राकृतिक व अनोखे घटक-द्रव्यों से बना होता है जो रक्त को साफ करके शरीर के नैचरल प्रोसेस को संतुलित करने में मदद करता है।
हृदय की मांसपेशियों में सूजन एवं स्नायु तंत्र की खराबी को दूर करता है।
ठंड के मौसम में विलक्षण गुणों से भरपूर
"अमृतम च्यवनप्राश" बच्चों, युवक-युवतियों,जवानों, अधेड़ और बुजुर्गों सभी वर्ग आयु के लोगों के लिये बेहद
कारगर स्वास्थ्यवर्द्धक टॉनिक है।
च्यवनप्राश का इतिहास
चमत्कारी अद्भुत वैद्यों के रूप में प्रसिद्ध
वैद्यराज अश्विनी कुमार आयुर्वेद के प्रवर्तक
या अविष्कारक माने जाते हैं।
इनके वंशज च्यवन ऋषि जब बहुत वृद्ध हो गये, तो उन्होंने यौवन की पुनर्प्राप्ति के लिये अपने पूर्वज अश्विनी कुमार से प्रार्थना की। अश्विनी कुमारों ने ऋषि च्यवन के लिये एक दैवी औषधि तैयार की जिससे ऋषि च्यवन ने फिर से युवा अवस्था को प्राप्त कर लिया। इसी देवीय औषधि को च्यवन ऋषि के नाम पर च्यवनप्राश कहा जाता है।
इसके लिए अश्विनी कुमारों ने अष्टवर्ग के आठ औषधीय पौधों की खोज की तथा च्यवन ऋषि के कृश, वृद्ध शरीर को पुन: युवा बना देने का चमत्कार कर दिखाया।
भार्गवश्च्यवन कामी वृद्धः सन् विकृतिं गतः।
वीर्य वर्ण स्वरोयेत कृतोऽश्रिभ्या पुनर्युवा॥
(भाव प्रकाश निघण्टु 1-3)
यह उम्ररोधी हर्बल ओषधि है। कामी और वृद्ध लोगों की झुर्रियां, वर्ण, रंग स्वर, वाणी यानि शरीर का एक-एक अंग रोगरहित व क्रियाशील बनाकर फिर से जवानी प्रदान करता है।
भेषजयरत्नावली आयुर्वेद ग्रन्थ के मुताबिक कमजोरी, पुराने जुकाम-खांसी सहित फेफड़े व क्षय रोग के निदान के लिए अमृतम च्यवनप्राश विशेष उपयोगी है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता Immunity बढ़ाने वाली जड़ी बूटियां आँवला, गिलोय व तुलसी भरपूर मात्रा में होती हैं।
"अमृतम च्यवनप्राश" बुढ़ापे में आई शिथिलता, कमजोरी, स्मरण शक्ति, बुद्धि व शरीर के विकास में भी काफी मददगार साबित होता है।
थायराइड की विशेष ओषधि --
जो लोग बहुत समय से थायराइड से पीड़ित हैं, उन्हें सर्दी के दिनों में 1 से 2 चम्मच दिन में 2 या 3 बार गर्म दूध या पानी से जरूर लेना चाहिए।
श्वांस,दमा, सर्दी, निमोनिया, कफ, कास,
से पीड़ितों के लिए यह बहुत ही अमृत ओषधि है।