स्वस्थ्य रहने के लिये- कब और केसे सोयें
शयन विधान :- -
आयुर्वेद के पुराने ग्रंथो में नींद (सोने/शयन) के नियम बताये हैं,ये आदतें आपको स्वस्थ बनाये रखती हैं ।
कब, कितने समय सोना चाहिए
सूर्यास्त के एक प्रहर के बाद ही शयन करने से तन-मन प्रसन्न रहता है।
(एक पहर में लगभग 3 घंटे होते हैं। एक दिन में यानि 24 घंटे में आठ प्रहर होते हैं)
आयुर्वेद के अनुसार- शयन की मुद्राऐं:
उल्टा सोये भोगी,
सीधा सोये योगी,
दांऐं सोये रोगी,
बाऐं सोये निरोगी।
शाास्त्रीय विधान भी यही है।
आयुर्वेद में ‘वामकुक्षि’ की बात आती हैं,
वामकुक्षि यानि कि सोते बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं।
वैज्ञानिक कारण-
शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान और औधा या ऊल्टा सोने से आँखे खराब और रोशनी (नजर) कमजोर हो जाती है। मानसिक विकार उत्पन्न होने लगते हैं।
सोते समय यह भी नियम आजमाएं - -
सोते समय गायत्री मंन्त्र /नवकार मंन्त्र या पंचाक्षर मन्त्र !!ॐ नमः शिवाय!! का जाप या अपने धर्म के अनुसार अपने इष्ट/गुरु/माता-पिता अथवा देवता/खुदा/ईसा का ध्यान करने से नींद जल्दी और गहरी आती है। सुबह समय पर जल्दी खुल भी जाती है।
स्वस्थ्य शरीर के सूत्र-
एक पुरानी ग्रामीण कहावत है
"सूतां सात, उठता आठ”
सोते वक्त "सात भय" को दूर करने के लिए सात मंन्त्र गिनें और सुबह उठते वक्त
आठ कर्मो को दूर करने के लिए
आठ मंन्त्र गिनें।
"सात भय" के नाम इस प्रकार हैं - -
■ इहलोक, ■ परलोक, ■ आदान,
■ अकस्मात , ■ वेदना, ■ मरण ,
■ अश्लोक अर्थात - भय/चिन्ता
दिशाओं का ध्यान : --
हमेशा तंदुस्त रहने के लिये सिर दक्षिण दिशा
(South) की तरफ होना अच्छा होता है।
दखिन की ओर पाँव करके कभी सोना नहीं चाहिए ।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा में यम और दुष्टदेवों का निवास माना गया है।
दक्षिण दिशा की तरफ पैर रखकर सोने से
दुष्परिणाम यह है कि कान में हवा भरती है । मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है स्मृति- भ्रंश,व असंख्य दिमागी बीमारियाँ होने लगती है।
इन्हीं कारणों से दक्षिण दिशा में सिर रखकर
सोना बहुत लाभकारी होता है।
यह बात दुनिया के वैज्ञानिकों एवं वास्तुविदों ने भी जाहिर की है।
1 -- दक्षिण ( SOUTH ) में मस्तक रखकर सोने से धनलाभ व आरोग्य लाभ होता है ।
2 -- पूर्व ( EAST ) दिशा में मस्तक रखकर सोने से विद्या-विवेक एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है।
याददास्त तेज होती है। मनोरोग या दिमाग की तकलीफें नहीं होती । भ्रम-भय नहीं रहता।
3 - पश्चिम ( WEST ) में मस्तक (सिर) रखकर सोने/शयन से प्रबल चिंता होती है। ऐसा व्यक्ति
सदैव चिन्ता में डूब रहता है। कोई भी काम समय पर नहीं कर पाता है।
4 -- उत्तर ( NORTH ) की तरफ सिर/मस्तक रखकर सोने से हानि होने की संभावना रहती है।
उत्तर दिशा की तरफ सोते समय मस्तक रखना
रोग या मृत्यु कारक होता है ।
अन्य धर्गग्रंथों में शयनविधि/सोने का तरीका और भी बातें सावधानी के तौर पर बताई गई है ।
शयन की सावधानियाँ:-
【】शय्या (बिस्तर) पर बैठे-बैठे निद्रा नहीं लेनी चाहिए। अन्यथा वातरोग जैसे कमर दर्द, जोड़ों तथा
घुटनों में दर्द, एवं थायराइड हो सकता है।
【】द्वार के उंबरे/ देहरी/थलेटी/चौकट पर मस्तक रखकर नींद न लें।
【】ह्रदय (हार्ट) पर हाथ रखकर,छत के
पाट या बीम के नीचें और पाँव पर पाँव
चढ़ाकर निद्रा न लें। आत्मविश्वास कमजोर हो
जाता है। आलस्य रहता है।
विशेष ध्यानार्थ --
【】पाँव की और शय्या ऊँची हो तो अशुभ है। केवल चिकित्सा उपचार हेतु छूट हैं।
इससे शरीर में रक्त का संचार अवरुद्ध होता है
और त्वचा/चर्म रोग, कफ विकार होते हैं।
पाचन तंत्र/मेटाबॉलिज्म कमजोर होता है।
【】सोते सोते पढना नहीं चाहिए।
अन्यथा आँखो में मोतियाबिंद बनने लगता है।
याददास्त कमजोर होने लगती है।
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