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वृक्षों में जीवन | Vraksho mein Jeevan
एक विनम्र निवेदन-
दस कुओं के बराबर
एक बावड़ी होती है ।
दस बावड़ियों के बराबर
ह तालाब है,
दस तालाबों के बराबर
एक पुत्र है,
दस पुत्रों के बराबर
एक वृक्ष है ।
अतः खेत-खलियान की
मेढ़ पर पेड़ लगाएं।
वृक्षों में जीवन
हम वृक्षों को जीवित
रखेंगे,तो ही हम
भविष्य में जीवित
रह पायेंगे।
कृपया पेड़ों की पुत्र
जैसी देखभाल करें।
पेड़ हमें अधेड़
बनाने से बचते हैं।
पेड़ों के गुच्छे
बेलों की झालर
डॉलर से कम नहीं हैं।
"तमः प्राया:अव्यक्तचैतन्या:,"
मतलब है, वृक्षों को अव्यक्त
चेतना शक्ति होती है ।
"अन्तः स्पर्शा:"
इन्हें स्पर्श का ज्ञान होता है ।
इसप्रकार वृद्ध वृक्ष वैज्ञानिक
१- गुणरत्न,
२- कणाद,
३- उदयनाचार्य
आदि वृक्षाचार्यों ने
खोज कर दुनिया को चोंका
दिया कि पेड़ भी प्राणी
की तरह प्रकृति के
हर भाव- प्रभाव,
स्वभाव को समझते हैं ।
वृक्ष बस बोल नहीं पाते ।
इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है!
"लाजवंती"
इसे छूने, स्पर्श करने
से ही यह पत्र-डाली
सहित सिकुड़ जाती है ।
"अमृतम आयुर्वेदिक निघण्टु"
में, तो इतना तक कहा कि
रजः स्वला स्त्री
पेड़, पौधों को
छूले, तो वे सूख जाते हैं ।
अशोक व बकुल वृक्ष
पर युवती के स्पर्श से
पुष्पपल्लवित, प्रकट हो जाते हैं ।
कुष्मांड इसी से पेठा बनता है ,
इसे उंगली दिखाने पर तुरन्त मुरझा
जाता है ।
फिर,हम जो
अमृतम हर्बल दवाएँ
बालों के लिए
कुन्तल केयर हर्बल हेयर स्पा
एवं
दिमाग की शान्ति तथा
घबराहट,बैचेनी मिटाने व
याददास्त बढ़ाने हेतु-
ब्रैन की गोल्ड माल्ट
उपयोग कर रहें हैं,
ये सब वृक्षों की ही दें हैं।
गिलोय की बेल,
बरसात के दिनों में
वृक्षों का श्रृंगार करती है।
हरे-भरे वृक्ष जिंदगी
हरी-भरी कर देते हैं।
वृक्ष अल्लाहताला
की सौगात है।
पारदियों व फारसियों
का प्रेम है।
ईसाइयों की जान है।
जीव-जंतुओं का जीवन है।
बच्चों का बचपन है।
पशुओं के लिए परमात्मा है।
और विश्व-ब्रह्मांड की
आत्मा हैं वृक्ष।
आचार्य चतुरसेन एवं
देवरहा बाबा
ने एक बार कहा था कि