गुरु पूर्णिमा पर्व पर पूर्ण ब्रह्मांड के प्राणियों को परम प्रकाश, परमात्मा प्राप्त हो।
ॐ के ॐ-कार के नाद से उत्पन्न, उत्सव हो या उपासना, ऊपर वाले के प्रति उन्मुख होने प्रक्रिया है।
आज गुरु उत्सव है।
गुरु पूर्णिमा है। उत्साही शिष्यों के लिए आज का दिन उदासी, उत्कंठा, उष्णता, उन्माद, उत्तेजना त्यागकर उत्तरार्द्ध (पिछला समय) भूलकर मन के उत्पात, तन के उधम छोड़कर अपनी सम्पूर्ण ऊष्मा, ऊर्जा, उत्साह से सद्गुरुओं के उदघोष में तल्लीन हो जाना है।
उद्धव जैसे उत्तम भक्त बनने के लिए पूरी तरह उन्मुक्त होकर सद्गुरु द्वारा प्राप्त गुरु मन्त्र का जाप करना चाहिए। सारा संसार अन्धकार, अहंकार के कारण पीड़ित है, इसलिए अमृतम वेदों ने सुझाया कि-
"असतो मा सदगमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्युर्मा 'अमृतम' गमय
! ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: !"
हे, सद्गुरु हमें अंधकार से प्रकाश तथा मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ।
इस पुनीत प्रयास में -
'हर पल आपके साथ हैं हम'
रोगों का काम खत्म
।। अमृतम ।।
करने में सहायक है । अमृतम परिवार और सभी सहायक, सहयोगी संस्थान तथा सभी सहयोगियों
अमृतम फार्मास्युटिकल्स | अमृतम मासिक पत्रिका गुरु पूर्णिमा के परम् पवन पर्व पर कोटि-कोटि, अनन्त-असंख्य शुभकामनाएं इस भाव से की