वात विकार (अर्थराइटिस) की “24″ (चौबीस) बीमारियों का कारण है —
“वायु विकार यानि गैस की समस्या”
वायु का प्रकोप-
आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार उदर में बहुत समय तक गैस यानि वायु के बनने से वात की बीमारियां (अर्थराइटिस प्रोब्लम) उत्पन्न हो सकती हैं
● वात से रात खराब हो जाती है।
●● नींद पूरी होती।
●●● चिड़चिड़ाहट,गुस्सा,क्रोध उत्पन्न होता है।
●●●● व्यक्ति सदा तनावग्रस्त रहता है।
●●●●● वात रोग हालात बिगाड़कर तन को हर तरीके से बर्बाद करने में कसर नहीं छोड़ता।पूरे शरीर में दर्द, अकड़न, जकड़न, कम्पन्न बना रहता है। शरीर में सूजन आने लगती है।थायराइड की समस्या से तन शिथिल हो जाता है
वातोदयात भवेच्चिते,
जड़ताsस्थिरताभयम ।
शुन्यत्वम विस्मृति:
श्रान्तिररतिच्चित्तविभ्रम: ।।
अर्थात-
वात-विकार से पीड़ित मानव शरीर में जब वायु का प्रकोप होता है, तब स्थिरता आने लगती है । व्यक्ति निर्णय या निश्चय नहीं कर पाता । उसका निर्णय बदलता रहता है ।
शरीर में वायु की तीव्रता होने पर ऐसा होता है ।
वायु प्रकोप का दुष्प्रभाव–
वात-विकार से शरीर में हाहाकार
होने लगता है। व्यक्ति बीमार होकर
इन रोगों से पीड़ित रहता है—–
【1】तन के अंग-अंग में दर्द की वजह से
रंग में भंग होने लगता है
【2】शरीर के सभी जोड़ों में तीव्र वेदना होती है
【3】आलस्य व सुस्ती बनी रहती है
【4】काम से उच्चाटन हो जाता है
【5】बार-बार खट्टी डकारें आती हैं
【6】चलने-फिरने, उठने-बैठने में गिरने का भय होता है।
【7】उदर की नाड़ियां कड़क व जाम हो जाती हैं
【8】शारीरिक क्षीणता व दोष उत्पन्न होते हैं
【9】हड्डियां कमजोर होने लगती है ।
【10】हड्डियां में चटकने की आवाज होती है
【11】हड्डियां जल्दी टूटने लगती है
【12】हड्डियों में रस व रक्त की मात्रा घट जाती है
【13】तन रस व रक्त हैं होने लगता है
【14】बुढापा जल्दी घेरता है
【15】वीर्य क्षीण एवं पतला हो जाता है
【16】ग्रंथिशोथ (थायरॉइड) सताता है
【17】हाथ-पैर व गले में सूजन रहती है
【18】शरीर में कम्पन्न होती है
【19】शून्यता,झुनझुनाहट आने लगती है
【20】अचानक पेशाब छूट जाती है
【21】स्नायुओं में दुर्बलता आने लगती है ।
【22】जोड़ों में भयँकर दर्द रहता है ।
【23】अंगों का अकड़ जाना एवं
हाथ-,पैरों में टूटन होना सूजन, शिथिलता आने लगती है ।
【24】हाथ-पैर एवं शरीर जकड़ने लगता है
वात-विकार का इलाज-
केवल आयुर्वेद में ही स्थाई रूप से उपलब्ध है।
यदि व्यक्ति में धैर्य हो,तो वात रोग को
पूरी तरह मिटाया जाता है।
यदि 3 माह तक नियमित निम्नांकित
हर्बल दवाओं का सेवन करें,तो निश्चित
ही इससे जीवन भर के लिए मुक्ति
पा सकते हैं।
ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट
1 से 2 चम्मच साथ में
एक–ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल
गुनगुने दूध या पानी से सुबह खाली पेट एवं रात्रि में खाने से पहले 3 महीने तक लगातार लेवें।
प्रत्येक शनिवार
कायाकी तैल की पूरे शरीर में मालिश करवाकर स्नान करें ।
प्रतिदिन दर्द के स्थान पर हल्के हाथ से
ऑर्थोकी पेन आयल की मालिश करें
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