हनुमान नल नील कपि जाति के थे ...
ऋषि गौतम की पुत्री अंजना के साथ मरुत बलात्कार किया..
जब मां अंजनी गर्भवती हो गई..............
तो कभी जीत वानर समुदाय के राजा केसरी ने अंजनी को अपना लिया .............
हनुमान जी इसलिए वायु पुत्र पवन पुत्र कहलाए कहीं-कहीं इन्हें केसरी नंदन या अंजनी के लाला भी कहते हैं!
इसी धर्म के कारण माता अंजनी और हनुमान मैं और कष्ट जिला और अपने अनुसंधान एवं सूर्य विज्ञान के ज्ञाता कहलाए.........
शनि ग्रह के बाद हनुमान जी दूसरे वैज्ञानिक थे!
जो श्याम विवर तक पहुंचे..........
इन्होंने श्याम विवर अर्थात black whool की खोज की ..........
जिसमें मां मैंने जितना अपमान झेला है !
उनके पुत्रों ने उतना प्रशंसनीय कार्य किया है....
या इतिहास रहा है स्त्री परमात्मा की सृजनात्मक महिमा है....
उसने अनेकों बलशाली ज्ञानी महा पराक्रमी पुरुषों को जन्म दिया है ...
इसलिए इस तरह सदैव पूजनीय है...
रामायण के दोषी दास जैसे अपमानित करने के लिए नहीं है ...
नाथ नील नल कपि द्वौ भाई। लरिकाईं रिषि आसिष पाई॥
तिन्ह कें परस किएँ गिरि भारे। तरिहहिं जलधि प्रताप तुम्हारे॥1॥
गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है।
नल-नील रामायण के पात्र हैं।
उन्होंने सागर के ऊपर सेतु का निर्माण किया था।
नल-नील जिस भी बस्तु को छूते थे । वह बस्तु कभी भी जल में नही डूबती थी।