सुबह फल,जूस,मठा,छाछ,लस्सी, दूध,द्राक्षा,सलाद, आदि एवं रोटी,
ब्रेड हो अथवा पराठे में
■ मन प्रसन्न रहता है।
■ काम में मन लगता है ।
सुबह के नाश्ते के बाद कभी विश्राम न करे ।
रात के भोजन में केवल मूंग की दाल, दलिया, खिचड़ी,हल्का भोजन कर, कम से कम 200 कदम टहलना चाहिए । भोजन के 1 घंटे बाद 2 या 3 गिलास पानी पीकर सोने से नींद बहुत अच्छी,गहरी आती है । सुबह उठते ही
दुपहर के भोजन पश्चात कुछ देर आराम कर सकते हैं । सुबह के समय गरिष्ठ, घी-तेल से भरपूर भोजन भी लाभकारी है। थोड़ी मिठाई में भी लेना लाभदायक रहता है। दुपहर के भोजन में मीठा का उपयोग जोड़ो में नवीन रस-रक्त निर्माण करता है । लेकिन पानी खाने के एक घंटे बाद ही पीवें ।
रात को खाने के साथ
दही,खट्टेफल, जूस, सलाद,रायता, दहीबड़े,आइस्क्रीम,कोल्डड्रिंक
आदि खाने से वात-व्याधि सताती हैं ।
1 हाथ-पैर व जोड़ों में दर्द,
2 हड्डियों में रस की कमी हो जाती है ।
3 यूरिक एसिड बढ़ जाता है ।
यदि लेना जरूरी हो,तो रात में सोते समय “
ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट 2 चम्मच सादा जल या दूध के साथ एवं
“ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल” 1 साथ में लेने से सुबह मल विसर्जन द्वारा सारे उदर विकार निकल जाते हैं । वातरोग से बचाव होता है ।
फ्रिज़ से निकाले हुआ खाद्य-पदार्थ का सेवन कुछ समय ठहर कर करें,तो तन के लिए बहुत लाभकारी है ।
बना हुआ खाना एक घंटे के अंदर खाना बेहत्तर होता है । ज्यादा ठन्डे खाने के नुकसान यह है कि वह पचता नहीं है।
खाना खाने के बाद हमेशा 5 या 8 मिनिट वज्रासन करने से खाना तुरन्त पच जाता है । पेट रोग नहीं होते । चर्बी नहीं बढ़ती,मोटापे से बचाव होता है ।
आँखों की सुरक्षा - सुबह उठते ही आखों को ठंडे पानी से धोना चाहिए ।
अघोरी की तिजोरी से- अवधूत की भभूत
भगवान भास्कर के परम् उपासक,
सूर्य विज्ञान के प्रवर्तक
परमहँस श्री श्री स्वामी विशुद्धानंद जी,
जिन्होंने विश्व के वैज्ञानिकों के समक्ष सबसे खतरनाक जहर पीकर दिख दिया था ।
इन्हें !!शत-शत नमन!!
इनके अनुभव पर रचित चमत्कारी पुस्तक
“मनीषी की लोकयात्रा“,
में बताया है कि प्रातः ब्रह्म महूर्त में कोइ यदि हरि घांस पर नंगे पैर 1 माह तक 50 कदम उल्टा चले,तो आँखों का मोतियाबिन्द
कट जाता है । आखों की रोशनी बढ़ती है ।
इस उपाय से बहुत लोगों को फायदा हुआ ।
रात को हर हाल में 9 – 10 बजे तक सोने की कोशिश करना चाहिए ।
आयुर्वेद में चीनी , मैदा , सफेद नमक ये तीनों अधिक लेने पर जहर हो जाते हैं ।
सब्जी-दाल आदि में अजवाइन, जीरा,हल्दी,धनिया,गरममसाला,लालमिर्च डाल कर खाना चाहिये ।
खाना हमेशा नीचे बैठकर व खूब चबाकर
ग्रहण करें ।
सुबह दूध में हल्दी डालकर पीने से वायरस,केन्सर,ज्वर से रक्षा होती है ।
शाम को 5 बजे के बाद कभी चाय न पियें, इससे रात में नींद नहीं आती ।
अमृतम आयुर्वेद का प्रभाव-
अब दुनिया भी सृष्टि की अतिप्राचीन चिकित्सा
भी मानने लगी है । इसके कोई हानिकारक दुष्प्रभाव नहीं हैं । हर्बल चिकित्सा तत्काल असर नहीं दिखाती, किन्तु रोगों को अंदर से ठीक करने में इसका कोई सानी नहीं हैं ।
अमृतम आयुर्वेदिक ओषधियां कभी स्वादिष्ट नहीं होती। क्यों कि नीम,चिरायता,
अमृतवल्लरी आदि घटक असरदायक,
तो हैं किंतु स्वादहीन होते हैं ।
आयुर्वेद ग्रंथों के
“अमृतम वचन” में लिखा है कि-
तन ही वतन है
तंदरुस्त तन, स्वस्थ मन तथा स्वच्छ वतन
ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए । इसके लिए सुबह जल्दी उठकर बेखुटके, मटके का 2-3 गिलास पानी पीओ । तन ही वतन है इसको बचाने के लिये हर जतन,प्रयत्न, करने हेतु अमृतम हर्बल दवाएँ, अपनाएं जैसे-
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◆ नारी सौन्दर्य माल्ट मसाज तैल
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{8} जिओ माल्ट -एसिडिटी के लिए
{9} काया की तेल बॉडी मसाज ऑयल
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अमृतम द्वारा 90 तरह के हर्बल उत्पाद का निर्माण किया जा रहा है। इनका सेवन कर तन को स्वस्थ बना सकते हैं ।
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