20 प्रकार की योनि के लक्षण

महिलाओं को सफेद पानी की परेशानी को ही अमृतम आयुर्वेद में प्रदररोग कहते हैं ।
अंग्रेजी में  इसे Leuccorrhea लिकोरिया तथा white  discharge व्हाइट डिस्चार्ज भी  कहा जाता है ।
प्रदररोग गर्भाशय का विकार है । इस रोग से पीड़ित महिला को गर्भवती होने में रुकावट होती है ।
सोमरोग शरीर के धातु संबंधी निर्बलता का रोग है ।
 
इस रोग के कारण तन-मन मलिन होकर जर्जर हो जाता है । इन दोनों रोगों का प्रत्यक्षीकरण योनि के। माध्यम से होता है । फिर भी आयुर्वेद ग्रंथों में इन्हें योनिरोग नहीं माना गया ।
तन्त्र शास्त्रों में योनिरोगों के विस्तृत वर्णन
पढ़ने को मिलते हैं ।
 
 
आयुर्वेद में भी योनिरोगों को अलग से स्थान दिया गया है । ये 20 प्रकार के होते हैं , जो निम्नलिखित हैं -
वायु- के कारण उत्पन्न्
@  उदावृता
@  बंध्या
@  विप्लुत
@  परिलुप्ता
@  वातला
 
 
उपरोक्त 5 योनिरोग वायुविकार के
 कारण होते हैं ।
 
पित्त- विकार के कारण होने वाले योनिरोग:-
@  लोहितक्षरा
@  प्रस्रांसिनी
@  वामनी
@  पुतघ्नी
@  पित्तला
 
कफ प्रकृति के कारण होने वाले योनिरोग :-
@  अत्यानंदा
@  कर्णिनी
@  चरणा
@  अतिचारणा
@ कफजा
 
त्रिदोषज व्याधि के कारण होने वाले योनि रोग :-
@  षंडई
@  आंदिनी
@  महती
@  सुचिवक्त्र
@  त्रिदोषज
 
उपरोक्त 20 प्रकार की योनि तथा इन सबके अलग-अलग रोग होते  हैं ।
 
कारण-  मिथ्याचार, मिथ्या विहार, दुष्ट आर्तव,
वीर्यदोष, देव इच्छा, बार बार गर्भपात करवाना,
चोट, अप्राकृतिक मैथुन आदि कारणों से ये योनि रोग होते हैं ।
 

1-  उदावृता योनि के लक्षण-

जिस स्त्री को योनि से झाग-मिला हुआ खून
बहुत तकलीफ के साथ गिरता है, उसे "उदावृता" कहते हैं । इस योनि रोग वाली स्त्री का मासिक धर्म  कष्ट से होता है । उसके पेड़ू में दर्द होकर रक्त की  गांठ सी गिरती है ।
इनका वैवाहिक जीवन  आर्थिक संकटों
 से गुजरता है ।
 

2-  बंध्या योनि-

जिसका आर्तव नष्ट हो, अर्थात
जिसे रजोधर्म न होता हो, यदि होता भी हो, तो
अशुद्ध और ठीक समय पर न होता हो, उसे बंध्या कहते हैं । इन योनि वाली महिलाओं को शारीरिक। सुख कम मिल पाता है ।

3-  विप्लुत-

जिसकी योनि में निरंतर पीड़ा या
भीतर की ओर से सदा एक तरह का दर्द- सा
 होता है, उसे विप्लुत योनि कहते हैं । जिनका वैवाहिक जीवन क्लेशकारक रहता है ।
 

 4-  परिप्लुत-

जिस स्त्री को मैथुन करते समय
 योनि के भीतर बहुत पीड़ा होती है, उसे परिप्लुत योनि कहते हैं ।
 

 5-  वातला-

जो योनि कठोर या कड़ी हो तथा
उसमे शूल और चोंटने सी पीड़ा हो उसे वातला योनि कहते हैं । इस रोग वाली स्त्री का मासिक खून या आर्तव, वादी से रूखा होकर, सुई चुभाने जैसा दर्द करता है । ये महिलाएं अपनी दम पर
बहुत कुछ करके दिखाती हैं । अपने पति से ज्यादा क्रियाशील होती हैं ।

 आगे के लेख (ब्लॉग) में 15 प्रकार की योनि के। बारे में और बताया जाएगा ।
 Login करें

RELATED ARTICLES

Talk to an Ayurvedic Expert!

Imbalances are unique to each person and require customised treatment plans to curb the issue from the root cause fully. We recommend consulting our Ayurveda Doctors at Amrutam.Global who take a collaborative approach to work on your health and wellness with specialised treatment options. Book your consultation at amrutam.global today.

Learn all about Ayurvedic Lifestyle